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जय श्री राम 🙏🏻

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जा पर कृपा राम की होई, ता पर कृपा करहिं सब कोई।
जिनके कपट, दम्भ नहिं माया, तिनके हृदय बसहुं रघुराया।।

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हमारे मन में एक प्रश्न आया है, आप सभी से बेहतर उत्तर की उम्मीद करते हैं।
आज वीर शिरोमणि महाराणा प्रताप का नाम स्वाभिमान का पर्याय बन चुका है। अनेक स्थानों पर उनकी प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं, अनेक लोग उनका आदर करते हैं और उनका स्थान भारतवर्ष के महानतम शासकों में है।
लेकिन फिर भी एक विशेष वर्ग उनसे आज भी जलता है। लेकिन ये विशेष वर्ग भी रानी लक्ष्मीबाई को सम्मान देता है। फिर महाराणा प्रताप से नफरत क्यों ? सिर्फ इसलिए कि रानी लक्ष्मीबाई के शत्रु अंग्रेज थे और महाराणा प्रताप के शत्रु मुगल ?
क्या महाराणा प्रताप की लड़ाई स्वतंत्रता की लड़ाई नहीं थी ? जिस भूमि पर महाराणा प्रताप का शासन था, वह भूमि पिछले एक हज़ार वर्षों से उनके पुरखों की रही। उस भूमि पर कोई आक्रमण करता है, नरसंहार करता है, जिसकी वजह से उनके परिवार की स्त्रियों को जौहर करना पड़ता है, ऐसे बादशाह से अगर वो जीवन भर संघर्ष करते हैं, एक राजा होते हुए भी जंगलों में रहकर सभी जातियों को साथ लेकर छापामार संघर्ष करते हैं और अपनी मातृभूमि को 90 फीसदी तक मुगलों के चंगुल से आजाद करवाते हैं। उनका अपमान यदि कोई करता है तो निश्चित रूप से वह गद्दार कहा जाना चाहिए।
आप ही बताएं, उन लोगों की क्या मानसिकता रहती होगी जो ऐसे महान शासक का अपमान कर सकते हैं ?

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वियतनाम विश्व का एक छोटा सा देश है जिसने अमेरिका जैसे बड़े बलशाली देश को झुका दिया। लगभग बीस वर्षों तक चले युद्ध में अमेरिका पराजित हुआ। अमेरिका पर विजय के बाद वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष से एक पत्रकार ने एक सवाल पूछा...
जाहिर सी बात है कि सवाल यही होगा कि आप युद्ध कैसे जीते या अमेरिका को कैसे झुका दिया...?
पर उस प्रश्न का दिए गए उत्तर को सुनकर आप हैरान रह जायेंगे और आपका सीना भी गर्व से भर जायेगा। दिया गया उत्तर पढ़िये...!!
सभी देशों में सबसे शक्तिशाली देश अमेरिका को हराने के लिए मैंने एक महान व श्रेष्ठ भारतीय राजा का चरित्र पढ़ा। और उस जीवनी से मिली प्रेरणा व युद्धनीति का प्रयोग कर हमने सरलता से विजय प्राप्त की...!!
आगे पत्रकार ने पूछा... "कौन थे वो महान राजा?"
मित्रों जब मैंने पढ़ा तब से जैसे मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो गया, आपका भी सीना गर्व से भर जायेगा...!!
वियतनाम के राष्ट्राध्यक्ष ने खड़े होकर जवाब दिया... "वो थे भारत के राजस्थान में मेवाड़ के महाराजा महाराणा प्रताप सिंह !!"
महाराणा प्रताप का नाम लेते समय उनकी आँखों में एक वीरता भरी चमक थी... आगे उन्होंने कहा...!!
"अगर ऐसे राजा ने हमारे देश में जन्म लिया होता तो हमने सारे विश्व पर राज किया होता।"
कुछ वर्षों के बाद उस राष्ट्राध्यक्ष की मृत्यु हुई तो जानिए उसने अपनी समाधि पर क्या लिखवाया...!!
"यह महाराणा प्रताप के एक शिष्य की समाधि है!!"
कालांतर में वियतनाम के विदेशमंत्री भारत के दौरे पर आए थे। पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार उन्हें पहले लाल किला व बाद में गांधीजी की समाधि दिखलाई गई...!!
ये सब देखते हुए उन्होंने पूछा "मेवाड़ के महाराजा महाराणा प्रताप की समाधि कहाँ है...?"
तब भारत सरकार के अधिकारी चकित रह गए और उन्होंने वहाँ उदयपुर का उल्लेख किया... वियतनाम के विदेशमंत्री उदयपुर गये वहाँ उन्होंने महाराणा प्रताप की समाधि के दर्शन किये...!!
समाधि के दर्शन करने के बाद उन्होंने समाधि के पास की मिट्टी उठाई और उसे अपने बैग में भर लिया, इस पर पत्रकार ने मिट्टी रखने का कारण पूछा...!!
उन विदेशमंत्री महोदय ने कहा, "ये मिट्टी शूरवीरों की है, इस मिट्टी में एक महान राजा ने जन्म लिया, ये मिट्टी मैं अपने देश की मिट्टी में मिला दूंगा...!! ताकि मेरे देश में भी ऐसे ही वीर पैदा हों।"
मेरा यह राजा केवल भारत का गर्व न होकर सम्पूर्ण विश्व का गर्व होना चाहिये...!!

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