Scoprire messaggiEsplora contenuti accattivanti e prospettive diverse nella nostra pagina Scopri. Scopri nuove idee e partecipa a conversazioni significative
विज्ञान, प्रगति या मनुष्य कारण नही नष्ट कर सकता है। जो वह कर रहा है।
डार्विन, फ्रायड या मार्क्स के विचार किसी विशेष अवचेतन से निकले है।
जो कहता है।
अस्तित्व! संघर्ष से निकली विजय में है।
वास्तव में यह विचार इब्राहिमिक पुस्तकों बाइबिल, तोरात, कुरान से निकले है। जो संघर्ष के अंतिम परिणाम कयामत का अवचेतन है।
प्रजातियों का अस्तित्व संघर्ष में निहित है।
कभी खलीफा तो कभी ब्रिटिश और आज अमेरिका यह विश्वास करते है।
शक्ति के बल पर संघर्ष को विजित किया जा सकता है। वह कोई सभ्यता हो या प्रकृति हो।
वर्तमान भारत अमेरिकन शिक्षा पद्दति से शिक्षित हुआ है। उसे डार्विन, फ्रायड, मार्क्स पर विश्वास है। यह संभव है, वह इन नामो और विचारों से परिचित ना हो।
लेकिन इस भारतीय संस्कृति के प्रारंभिक सदी में एक महान विचारक हुये।
जिनको कपिल मुनि के नाम से जानते है।
यदि हम इन पश्चिमी विचारकों से उनकी तुलना करते है। तो उनके विचार इनका खंडन करते है। विशेषतः डार्विन के बिल्कुल विरुद्ध है।
अपने सांख्य दर्शन में कपिल मुनि कहते है।
जीवन का अस्तित्व संघर्ष से नही। सहअस्तित्व से चलता है। प्रकृति और पुरुष ( ब्रह्म) एक दूसरे के सहयोगी है।
जो व्यक्त है, वह प्रकृति है। जो अव्यक्त है वह परमात्मा है। प्रकृति! परमात्मा का प्रकटीकरण है।
उनका यह विचार अनुकरणीय है कि -
'कारणों से ही अस्तित्व है। कारणों को नष्ट करने पर अस्तित्व नष्ट हो जायेगा। यहां कुछ भी अकारण नही है। '
आपके जीवित रहने में बहुत से कारण है। एक वृक्ष भी कारण है। एक जलाशय भी कारण है। एक नदी भी कारण है। पर्वत भी कारण है।
यह प्रकृति हमारे अस्तित्व का कारण है।
यदि हम इन कारणों से संघर्ष करके नष्ट कर देंगें। तो हमारा भी अस्तित्व नष्ट हो जायेगा।
सनातन के 6 मूल दार्शनिक विचारों में एक सांख्य दर्शन है। प्रारंभिक हजारों वर्षों तक भारत में सांख्य दर्शन ही था।
जो हम प्रकृति पूजक है। यह सांख्य दर्शन का ही प्रभाव है। सांख्य दर्शन को सबसे अधिक स्थान गीता में दिया गया है। जैन, बौद्ध साहित्य भी सांख्य से प्रभावित है। यह स्वाभाविक है, संस्कृति के मूल विचार हर जगह विद्दमान होते है।
लेकिन वर्तमान में भारत भी अपने ही विचारकों से बहुत दूर जा चुका है। यदि यह कहे कि धर्म को हमनें धक्के मारकर बाहर कर दिया है। तो अतिश्योक्ति न होगी।
यह आधुनिकता का मूर्खतापूर्ण स्वीकारिता है। जो हर प्राचीन विचार को मृत घोषित कर दिया है। आक्सीजन सिलेंडर लेकर और मास्क लगाकर रॉक्स सांग पर फबो में नाच रहा है।।