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* TV धारावाइको का बॉयकाट का करे।*
जिसमे हर दूसरे नाटक मे हमारे देश के परिवारों को बर्बादी की ओर धकेला जा रहा है। इन धारावाहिको मे अवैध संबंधो की ट्रेनिंग दी जाती है।
20-25 साल के बच्चे मिलकर अपनी माँ की दूसरी शादी की तैयारी कर रहे है, हद है। पिता जीवित है, उनकी कहीं और सेटिंग चल रही है...
अब उनकी माँ कम से कम 45-50 वर्ष की आयु में किसी और से शादी कर रही है।
भाई बहन आपस मे कह रहे है कि हम बड़े भाग्यशाली है कि हमे अपनी मम्मी की डोली सजाने के अवसर मिल रहा है, सबको यह अवसर नही मिलता।
अब उन्हें कौन समझाए कि , हद दर्जे के बेफकूफ हो तुम।
◾आधुनिकता की आड़ में नँगा नाच हो रहा हैं। ये सब नए सीरियल की देन हैं जो कि TRP के लालच में पता नही क्या क्या परोस रहे है। ऐसा ही चलता रहा तो हमारे रीति रिवाज व सामाजिक परम्पर्रो को धूमिल होने में वक़्त नहीं लगेगा।
◾इन धारावाहिकों का बहिष्कार किया जाना चाहिए जिन धारावाहिकों में भारतीय पारिवारिक मूल्यों को विध्वंस किया जाता है।
◾इन धारावाहिकों ने ही तो सारी हदें पार की है क्योंकि फिल्म में तो तीन घंटे में ही सब कुछ दिखाना होता है। परंतु धारावाहिकों में ऐसी कोई पाबंदी नहीं है। इसलिए ये बड़े इत्मीनान से समाज को बर्बाद कर रहे हैं और टीवी की पहुंच हर घर तक है जबकि फिल्म थियेटर हर आदमी नहीं जा पाता है।
जितना दिखावा फैलाया है। जितने सामाजिक और पारिवारिक संस्कारों का कबाड़ा इन नाटकों ने किया है वैसा सिनेमा सैंकड़ों सालों में भी नहीं कर सकता था।
आईए आज ये संकल्प ले की ऐसे बेब सीरीज या टीवी सीरियलों का हम बहिष्कार करेंगे।..

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