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दोस्तों हाइड्रो पावर प्लांट (Hydro power plant in Hindi) में हम पानी की स्थिति ऊर्जा का उपयोग बिजली पैदा करने में करते हैं। इसमें हम नदियों में स्थित पानी को बांध बनाकर एक जगह पर इकट्ठा कर लेते हैं। जिसे हम वाटर हेड बनाना भी बोलते हैं। जब नदी का पानी इकट्ठा हो जाता है तो हम उसे धीरे-धीरे करके पानी को छोड़ते हैं। चुकी हम पानी एक जगह पर इकट्ठा करते हैं तो पानी का वाटर हेड अत्यधिक होता है। यानी पानी की स्थितिज ऊर्जा बहुत अधिक होती है। यही कारण है कि जब पानी को हम छोड़ते हैं तो वह पानी तेज गति से बहता है। और उसी पानी के दबाव को हम टरबाइन लगाकर मैकेनिकल एनर्जी में बदल लेते हैं। और अगले स्टेप में हम टरबाइन से अल्टरनेटर लगाकर मैकेनिकल एनर्जी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल लेते हैं।
हाइड्रो पावर प्लांट को सबसे पुराना पावर प्लांट माना जाता है। साथ ही यह प्रदूषण रहित भी होता है। अगर भारत में देखा जाए तो सबसे पहला हाइड्रो प्लांट दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल में बना था। तथा उसी पावर प्लांट के समकालीन कर्नाटक के सरावती जिले में भी बनाया गया था।
जाब की तलवंडी साबो के पावर प्लांट (Talwandi Sabo power plant) की दूसरी यूनिट भी रविवार को खराब होने के कारण660 मेगावाट बिजली उत्पादन (660 MW power generation) ठप हो गया, जिससे सूबे में बिजली का संकट और बढ़ गया है. इस संकट से बिजली के उपयोग पर उद्योगों पर लगाए गए प्रतिबंधों को हटाने पर भी सवालिया निशान लग गए है. मध्य और उत्तरी क्षेत्रों में स्थित औद्योगिक इकाइयां (Industrial units) तीन दिनों से बंद हैं और आज बिजली उत्पादन की स्थिति बिगड़ने के साथ अब प्रतिबंधों को और बढ़ाया जा सकता है.
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राज्य भर में घरेलू और वाणिज्यिक उपभोक्ताओं ने भी दो से चार घंटे तक की अनिर्धारित बिजली कटौती की शिकायत की है. पीएसपीसीएल के अधिकारियों का कहना है कि इस कटौती का कारण तलवंडी साबो में 660 मेगावाट के संयंत्र के बॉयलर ट्यूब में रिसाव है और संयंत्र को चालू होने में दो से तीन दिन लगेंगे. एक अन्य इकाई (660 मेगावाट) खराबी के कारण कुछ समय के लिए बंद पड़ी है और इस महीने के अंत तक ही उत्पादन शुरू होने की उम्मीद है. जैसे-जैसे कृषि क्षेत्र में मांग बढ़ती जा रही है पंजाब स्टेट पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (Punjab State Power Corporation) ने मांग को पूरा करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. वर्तमान में राज्य में कुल बिजली की मांग 12280 मेगावाट है. भारत सरकार द्वारा राज्य की खरीद क्षमता को 400 मेगावाट बढ़ाकर 7800 मेगावाट करने के बाद राज्य ने पावर एक्सचेंज से क्रय शक्ति में वृद्धि की है. पिछले साल राज्य की खरीद क्षमता 6400 मेगावाट थी, जिसे इस साल बढ़ाकर 7400 मेगावाट कर दिया गया है.