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बरसाती डाकू अमेठी जि‍ले के थोरा गांव का रहने वाला था। वो शुरू में मेहनत-मजदूरी करता था, लेकिन भाई की हत्या का बदला लेने के बाद वो एक खूंखार अपराधी बन गया। - वो अपने तीन भाइयों रामचरन, बिर्जू, रघु के साथ आपराधिक वारदातों को अंजाम देता था। उसके खौफ से आसपास के जिलों के कई गांव थर्राते थे।

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बरसाती डाकू अमेठी जि‍ले के थोरा गांव का रहने वाला था। वो शुरू में मेहनत-मजदूरी करता था, लेकिन भाई की हत्या का बदला लेने के बाद वो एक खूंखार अपराधी बन गया। - वो अपने तीन भाइयों रामचरन, बिर्जू, रघु के साथ आपराधिक वारदातों को अंजाम देता था। उसके खौफ से आसपास के जिलों के कई गांव थर्राते थे।

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बरसाती डाकू अमेठी जि‍ले के थोरा गांव का रहने वाला था। वो शुरू में मेहनत-मजदूरी करता था, लेकिन भाई की हत्या का बदला लेने के बाद वो एक खूंखार अपराधी बन गया। - वो अपने तीन भाइयों रामचरन, बिर्जू, रघु के साथ आपराधिक वारदातों को अंजाम देता था। उसके खौफ से आसपास के जिलों के कई गांव थर्राते थे।

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पान सिंह तोमर (1932 - 1 अक्टूबर, 1982) एक भारतीय सैनिक, एथलीट, और बागी (विद्रोही) थे। उन्होंने भारतीय सेना में सेवा की, जहाँ दौड़ने की उनकी प्रतिभा का पता चला वह 1950 और 1960 के दशक में सात बार के राष्ट्रीय स्टीपलचेज़ में चैम्पियन थे और 1952 के एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

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पान सिंह तोमर (1932 - 1 अक्टूबर, 1982) एक भारतीय सैनिक, एथलीट, और बागी (विद्रोही) थे। उन्होंने भारतीय सेना में सेवा की, जहाँ दौड़ने की उनकी प्रतिभा का पता चला वह 1950 और 1960 के दशक में सात बार के राष्ट्रीय स्टीपलचेज़ में चैम्पियन थे और 1952 के एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

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पान सिंह तोमर (1932 - 1 अक्टूबर, 1982) एक भारतीय सैनिक, एथलीट, और बागी (विद्रोही) थे। उन्होंने भारतीय सेना में सेवा की, जहाँ दौड़ने की उनकी प्रतिभा का पता चला वह 1950 और 1960 के दशक में सात बार के राष्ट्रीय स्टीपलचेज़ में चैम्पियन थे और 1952 के एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

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रानी लक्ष्मी बाई का असली नाम मणिकर्णिका था, बचपन में उन्हें प्यार से मनु कह कर बुलाते थे। उनका जन्म वाराणसी में 19 नवंबर 1828 मराठी परिवार में हुआ था। वह देशभक्ति ,बहादुरी, सम्मान का प्रतीक है। इनके पिता मोरोपंत तांबे मराठा बाजीराव की सेवा में थे और उनकी माता एक विद्वान महिला थी।

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नानक जी का जन्म एक हिंदू परिवार में हुआ था। इनके पिता का नाम कल्याण या मेहता कालू जी था और माता का नाम तृप्ती देवी था। 16 वर्ष की उम्र में इनका विवाह गुरदासपुर जिले के लाखौकी नाम स्‍थान की रहने वाली कन्‍या सुलक्‍खनी से हुआ। इनके दो पुत्र श्रीचंद और लख्मी चंद थें।

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बन्दा सिंह बहादुर एक महान सेनापति और बहादुर योद्वा और दूरदर्शी नेता थे। इनका जन्म आज के कश्मीर के पुंछ जिले के राजौरी में 27 अक्टूबर 1670 ई को हुआ था। बचपन में बंदा सिंह का नाम उनके माता पिता के द्वारा वीर लक्ष्मण देव रखा गया था. बन्दा सिंह बहादुर एक हिन्दू राजपूत परिवार में पैदा हुये थे।

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