Inskirt Online Shopping -
Thinking of Inskirt online shopping? Check out premium quality D’Coats for ladies belonging to various colors and patterns at I AM by Dolly Jain. Visit https://www.iamstore.in/categories/dcoat to explore the entire collection of Inskirts for Inskirt online shopping.

image

ashinde nuovo articolo creato
2 anni - Tradurre

AI Solutions Market Latest Trend, Growth, Size, Application & Forecast 2032 | #artificial Intelligence (AI) # AI Software # AI Solutions

jimnancy nuovo articolo creato
2 anni - Tradurre

Dietary Fibers Market Competitive Landscape and Segment Forecasts 2032 | #dietary Fibers Market

jimnancy nuovo articolo creato
2 anni - Tradurre

Food Diagnostics Market Growth Factors, Applications, Regional Analysis and Trend Forecast 2032 | #food Diagnostics Market

2 anni - Tradurre

आप सभी को पप्पू दिवस की हार्दिक बधाइयाँ...

image
2 anni - Tradurre

भारत का इतिहास स्वर्णिम ही नहीं है। अत्याचारों, दुखों से भरा है।
1947 में भारतमें औसत आयु मात्र 34 वर्ष थी। आज कोई भी इस पर विश्वास नही कर सकता है।
लेकिन इन सभी दर्दनाक घटनाओं सबसे बड़ी घटना चुननी हो तो क्या होगी?
वह है नालंदा विश्वविद्यालय का बख्तियार खिलजी द्वारा जलाया जाना। यह विश्वविद्यालय था जिससे व्हेनसांग 10 हजार प्रतिलिपि बनाकर लेकर गया था। इसी के साथ विक्रमशिला जला दी गई।
भारत का सारा ज्ञान, विज्ञान, धर्म, चिकित्सा, ज्योतिष नष्ट हो गई। कुछ शास्त्र छिपाकर नेपाल ले गये। दक्षिण में बचे रहे।
इस तरह अपने धर्म को बचाने के लिये भारतीय पीढ़ी दर पीढ़ी कथानक को ले जाते। रामायण, महाभारत ऐसे ही आगे बढ़ाया गया। कुछ समय पूर्व तक बच्चे अपने माता पिता से ही रामायण, महाभारत सुनते थे।
भक्तिकाल में कवियों ने लोकस्रुतियो, अपने भक्ति, तप से नये ग्रन्थ रचे। जो समाज के लिये बड़े उपयोगी रहे।
1923 में गीताप्रेस कि स्थापना हुई थी। मैं उसके इतिहास पर नहीं जाता, वह कही भी मिल जायेगा।
गीताप्रेस ने पुस्तकों को ही प्रकाशित किया ऐसा नहीं है। नेपाल, दक्षिण भारत से पांडुलिपियो का खोजा। महाभारत कि मूलप्रतिया चार पाँच स्थानों पर मिली। उनको क्रम से जोड़ना, फिर इसी तरह उपनिषद को पूरे देश में खोजकर क्रमबद्ध किया।
इन सभी गर्न्थो को प्रकाशित करके, जनमानस तक पहुँचाया।
गीताप्रेस न होता तो संभव था कि हम जानते ही नहीं कि हमारे पूर्वजों ने इतना महान ग्रँथ रचे थे।
गीता प्रेस कि विश्वसनीयता इतनी अधिक है कि प्रकांड विद्वान भी कोड करता है कि यह गीताप्रेस से प्रकाशित पुस्तक है।
प्रथम राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने हनुमान प्रसाद पोद्दार को भारत रत्न देने का प्रस्ताव गोविंदबलभ पंत से भेजा। लेकिन उन्होंने लेने से मना कर दिया।
2014 में गीताप्रेस ने जो आंकड़े जारी किये थे।
54 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित किया था।
12 करोड़ गीता,
11 करोड़ रामचरित मानस,
9 करोड़ रामायण, महाभारत,
2.5 करोड़ पुराण, उपनिषद
पत्रिका, चालीसा, कथानक आदि।
2.5 लाख प्रति प्रतिदिन प्रकाशित होती है।
ऐसा अप्रतिम उदाहरण मनुष्य के इतिहास में नहीं है।
गीताप्रेस हमारे लिये 'गीता' कि भांति ही आस्था है। तक्षशिला, नालंदा कि भांति आदरणीय है।
उसके सामने कोई भी पुरस्कार महत्वहीन है।

image
2 anni - Tradurre

आज का युग ऐसा है, कि यदि आप कोई तथ्य रखकर तथ्यात्मक कुछ कहना या लिखना चाहते हैं।
बहुत सरलता से सब कुछ उपलब्ध है।
लेकिन यह हैरान करने वाली बात होती है। लोग अपने पेशे के साथ भी न्याय नही कर पाते।
ऐसा लगता है ,कुछ कथित बुजुर्ग पत्रकार जीवन भर जूता ही उठाये है कि कुछ पढ़े लिखे नहीं है।
शम्भूनाथ शुक्ला का लेख पढ़िये तो लगता है जैसे कोई ग्वार व्यक्ति लिखा हो। उस पर अहंकार भी है।
भगवान राम को तुलसीदास जी ने प्रचारित किया, या यह कि उनका प्राचीनकाल में उतना वर्णन नहीं मिलता।
प्रतिष्ठित लेखक भगवान सिंह ने राम का वर्णन वेदों ( ऋग्वेद) में है। इसको श्लोक और तथ्य से बताया है।
गोस्वामी जी एक महान कवि, रामभक्त है। इसमें कोई संदेह नहीं है। लेकिन उनके बहुत पूर्व भगवान राम पर दक्षिण में एक महान रचना हुई थी।
'कंब रामायण ' को साहित्यिक दृषि से सबसे श्रेष्ठ रचना माना जाता है।
कंब ऋषि, 1168 में चोल राजा कलोतुंग द्वितीय के राजदरबार में थे।
वाल्मीकि जी भगवान राम को मर्यादापुरुषोत्तम कहा है। लेकिन कंब ऋषि ने परमात्मा कहा है।
रामराज्य का सबसे सुंदर वर्णन कंब रामायण में मिलता है।
न्याययुक्त शासन और शक्तिपूर्ण शासन को विस्तार से बताया गया है।
भारत में 400 से अधिक प्रमुख कवियों ने राम पर काव्य लिखें है। जिनकी रचना वर्णित है।
वेदव्यास रचित आध्यत्म रामायण, रामोपख्यांन, आनंद रामायण।
कालिदास कृत रघुवंश,
बौद्ध साहित्य में अनामक जातक, जैन में पउमचरिय।
यह सभी रचनाएं ईसा पूर्व कि है।
तिब्बत में तिब्बती रामायण,
इंडोनेशिया में ककबिन रामायण,
वर्मा में यूतोकि रामायण,
जावा में सेरतराम रामायण।
यह सभी वहां के मूल कवियों ने लिखा है।
यह वर्णन करने में एक पुस्तक लिखनी पड़ेगी।
वासुदेव शरण अग्रवाल की पुस्तक पढ़ रहा था। वह लिखते है कि महाभारत युद्घ होने के पीछे एक प्रमुख कारण यह भी था। कि रामचंद्र जी ने जो जीवन मूल्य स्थापित किये थे। वह सभी तोड़े जा रहे थे।
कौन सा वह काल है, जब राम लोकप्रिय नहीं थे। किस काल के कवि ने राम पर लिखा नही है।।