दुर्गा सप्तशती, जिसे देवी महात्म्यम भी कहते हैं, मार्कंडेय पुराण का एक भाग है। इसमें तीन प्रमुख चरित्र हैं - राजा सुरथ, समाधि नामक वैश्य और मेधा ऋषि। ये तीनों ऋषि से ज्ञान प्राप्त करते हैं और देवी महात्म्यम की कथाएँ सुनते हैं।
दुर्गा सप्तशती में तीन प्रमुख खंड या "चरित" हैं, और प्रत्येक चरित में एक महत्वपूर्ण कथा का वर्णन किया गया है।
प्रथम चरित: महाकाली की कथा
प्रमुख कथा: मधु-कैटभ वध की कथा।
वर्णन: सृष्टि के आरंभ में, जब भगवान विष्णु योगनिद्रा में लीन थे, तब उनके कानों से मधु और कैटभ नामक दो महाशक्तिशाली असुर उत्पन्न हुए। ये दोनों असुर ब्रह्मा जी का वध करने के लिए तैयार हो गए। ब्रह्मा जी ने भगवान विष्णु को जगाने के लिए महाकाली (योगनिद्रा) की स्तुति की। ब्रह्मा जी की स्तुति से प्रसन्न होकर देवी प्रकट हुईं और भगवान विष्णु को जगाया। जब भगवान विष्णु उठे, तो उन्होंने उन असुरों से युद्ध किया। अंत में, देवी महाकाली की माया के कारण, वे दोनों असुर मारे गए।
महत्व: यह कथा बताती है कि देवी महाकाली ही सृष्टि की मूल शक्ति हैं, जो शुभ और अशुभ दोनों को नियंत्रित करती हैं। वे योगनिद्रा के रूप में विष्णु को भी नियंत्रित करती हैं।