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आगरा विजय दिवस हाद्रिक बधाई एवं शुभकामनाएं
आगरा के लाल किले पर जिसने केसरिया ध्वज फहराया था ताजमहल की कब्रों पर जिसने घोड़ा बधवाया था मुगलो को नाकों चने चबवाता था वह बदन सिंह का देवकी नंदन महाराजा सूरजमल कहलाता था।
जितने पराक्रम से आगरा से लेकर दिल्ली तक अपनी विजय पताका फराई तथा मुगलों , अंग्रेजों तथा रजबाडों अपनी तलवार का लोहा मनवाया था। लेकिन फिर इतिहासकारों की कलम की स्हायी सूख गए। जो इतिहास मे उनको खास जगह नहीं दी ।
इसकी सबसे बडी बजह हम सब खुद हैं ओर हमारे महान पूर्वज भी क्योंकि हमारे महान पूर्वजों ने कर्म मे विश्वास किया गुणगान ओर कहानियों में नहीं। बरना जैसे पहले राजे महाराजे अपने साथ कवि ओर कुछ चाटूकार रखते थे कोरा महिमामंडन करने के लिए एक छोटीसी बात को पहाड बनाकर उसका गुणगान करना ही काम था ।
जबकि स्थिति उसके उलट ही थी क्योंकि जो लोग अपने किले ओर महल हार गए थे उनको सिर्फ और सिर्फ महाराजा सूरजमल जी ने जीता। धन्यवाद
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