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गुजरात में बोर्ड की परीक्षा चल रही है
एक मूर्ख पिता अपनी बेटी को गलत परीक्षा केंद्र पर उतार कर चला गया... बेटी ने 15 मिनट तक अपना रोल नंबर खोजने की कोशिश किया फिर वहां एक पुलिस इंस्पेक्टर की ड्यूटी थी उन्होंने जब देखा कि एक छात्रा काफी देर से परेशान है तब उन्होंने उसकी हॉल टिकट लेकर देखा तब पता चला कि लड़की के पिता जी उसे गलत परीक्षा केंद्र पर उतार कर चले गए हैं और इस बच्ची का असली परीक्षा केंद्र वहां से 20 किलोमीटर दूर है
परीक्षा में 15 मिनट बचा था पुलिस इंस्पेक्टर ने अपनी सरकारी गाड़ी में लाइट जलाते हुए और हूटर बजाते हुए उस बच्ची को समय से पहले उसके मूल परीक्षा केंद्र पर पहुंचा कर उस बच्ची का एक साल बिगड़ने से बचा लिया
अभी अभी पढ़ा कहीं
हम अक्सर गलतियां करते है और उन गलतियों को लेकर ताउम्र पछताते रहते है जबकि गलतियों से हमें ख़ुद को दूसरों को जानने का अनुभव आता है गलतियों का होना स्वाभाविक है पर उनको दोहराना और जीवनपर्यंत उसे लेकर चलना, न सिर्फ ग़लत है बल्क़ि आप जीवन मे आने वाले अवसरों को भी खोते जाते है क्योंकि आप उस ग़लती से अपने लिए एक डाउट पैदा कर देते है कि आपके द्वारा किसी काम को या व्यक्ति को चुनना हमेशा ग़लत निर्णय ही रहा है और फिर यही संदेह जो ख़ुद पर हो जाता है आपको आगे बढ़ने से रोकने लगता है
संक्षित में गलतियां करना जरूरी है ख़ुद को एक अनुभवशील इंसान बनाने के लिए पर उन गलतियों से शिक्षा लेकर फ़िर वही न दोहराने का अनुभव लेकर आगे बढ़ना ही मानव की प्रवत्ति होनी चाहिए.!