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BJP Uttar Pradesh महामंत्री (संगठन) श्री Dharampal Singh जी भाईसाहब के हूरनगला (बिजनौर) स्थित आवास पहुंचकर उनकी दिवंगत पूज्य माता जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी एवं शोक संवेदनाएं व्यक्त की।
ॐ शांति!

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उज्जैन की नगरी में हर बार की तरह इस बार भी महाकाल नगर भ्रमण के लिए निकलेगें। महाकाल की सवारी सावन के सोमवार के साथ भाद्रपद महीने में निकलती है। आज महाकाल की पहली सवारी निकलेगी।

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ਰਾੜਾ ਸਾਹਿਬ

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सीएम भगवंत मान द्वारा पेश किया गया अनादर का बिल
प्रताप सिंह बाजवा ने बिल पर चर्चा करने की अपील की
#partapsinghbajwa #cmbhagwantmann #punjabnews

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एक मेरी बेटी की करुण पुकार, उसने वीडियो के जरिए डाली है। चमोली जिले की छात्रा हैं तनीषा, उसने एक बरसाती नाला कहूं या गधेरा कहूं, उसके तेज बहाव और उस पर लकड़ी के बने हुये आस्थाई पुल का जिक्र कर कहा है "कैसे जाएं स्कूल? प्लीज पुल बनवा दीजिए"!
मुझे विश्वास है कि तंत्र की तंद्रा टूटेगी और वह तनीषा की करुण पुकार को सुनेंगे।
#chamoli #uttarakhand

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Husbands are not safe anymore - Newly wed Wife allegedly pushed husband into Krishna river after asking him to stop Bike on bridge to take a selfie

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सातवीं कक्षा में पढ़ने वाला 12 वर्षीय अखिल प्रताप सिंह उस दिन बेहद खुश था। पूरे एक महीने बाद वह स्कूल जा रहा था। दोस्तों से मिलने की खुशी उसके चेहरे पर साफ झलक रही थी। सुबह मां से बोला कि मम्मी 10 की जगह 20 का नोट दो।
स्कूल से लौटकर 10 वापस कर दूंगा। मां ने हंसते हुए उसे 20 रुपए का नोट थमा दिया। किसे पता था कि ये उसकी मां से आखिरी जिद थी- आखिरी बार मां के हाथ से कुछ लेने की।
बाराबंकी जिले में देवा कोतवाली क्षेत्र के बिशुनपुर गहरी लोहनिया गांव के रहने वाले जितेंद्र प्रताप सिंह का अखिल इकलौता बेटा था। एक प्राइवेट स्कूल सेंट एंथोनी इंटर कॉलेज बाराबंकी में पढ़ता था। पहली जुलाई को स्कूल खुला। पिता ने खुद कार से उसे स्कूल छोड़ा। अखिल स्कूल गेट पर पहुंचा, लेकिन अचानक धराशायी हो गया। पिता ने तुरंत उसे गोद में उठाया, मदद के लिए चीखते रहे, लेकिन तब तक सब कुछ खत्म हो चुका था।
मां ममता सिंह जो एक निजी विद्यालय में शिक्षिका हैं, आज भी उस 20 के नोट को देखकर रो पड़ती हैं। जब बेटे की मौत के बाद स्कूल बैग घर लाया गया तो उसी तरह तह किया हुआ 20 का नोट उसमें रखा मिला। मां की चीख गूंज उठी कि मेरा बेटा तो एक रुपए भी खर्च नहीं कर पाया। ममता सिंह की आंखें अब सूखती नहीं। हर बार जब स्कूल ड्रेस, बैग या किताबें देखती हैं तो उनके भीतर का सूनापन और गहराता जाता है। पिता जितेंद्र प्रताप सिंह आज भी समझ नहीं पा रहे कि उनका स्वस्थ और हंसमुख बेटा अचानक कैसे चल बसा...

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मन भावन, अतिपावन,ये सावन आया है
धरा , व्योम में फिर से घनघोर महोत्सव छाया है।
हर हर, बम बम, बम बम,हर हर तिनका तिनका बोले है
कंकर कंकर रम गए शंकर,दिल में बस गए भोले है
सावन आने की आस बढ़े,तेरे भक्तो का विश्वास बढ़े
भांग,धतूरा और बेलपत्र मंदिर में तेरे खूब चढ़े
मैं अज्ञानी,अबोध शिव मुझ पर भी उपकार करो
दर्शन देकर हे आशुतोष मुझे भवसागर के पार करो
जय नीलकंठ,जय महादेव,जयमहाकाल, जय शिव शंकर
तुम कृपा जरा मुझ पर कर दो,मैं भी आऊं कावड़ लेकर
तेरा नाम जपें,तेरा ध्यान धरें,तेरी महिमा का गुणगान करे
तेरी दयादृष्टि जब हो जाए, तू हर मुश्किल आसान करे
तेरे चरण शरण में पड़ा रहूं , मैं नमन करूं बस नाथ तुझे
तेरे दर के सिवा न शीश झुके, बस इतना दो आशीष मुझे
-दीपक शुक्ला 🌟💫🌈🎉🙏

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