स्तब्ध और इस नृशंस कायरतापूर्ण नरसंहार से आक्रोशित भारत कश्मीर से कन्याकुमारी तक एकजुट होकर, एक स्वर में, समवेद स्वर में संकल्प दोहरा रहा है कि पाकिस्तान की साजिश के लिए मानवता के प्रति इस क्रूर अपराध के लिए मानवतावादी भारत तुम्हें दंडित करेगा और इस बार भारत के दंड का आघात उन लोगों तक भी पहुंचेगा जो इस साजिश के पीछे खड़े हैं। यह वह लोग हैं जिनको बहुधर्मी भारत कभी अच्छा नहीं लगा। सन् 1947, 1965, 1971 फिर कारगिल, इन्होंने हमेशा भारत पर आक्रमण किया और हमेशा साजिश रची कि हमारे सामाजिक एकता टूट जाए। मगर यह भारत है, भारत का संविधान है जिसने ऐसी शक्तियों के मंसूबों को इनके जन्म काल से ही विफल किया और आज भी हम सब एक हैं। हम कश्मीर के दर्द को भी समझ रहे हैं। सबसे ज्यादा इस दहशतगर्दी से किसी की आत्मा छिद रही है तो वह कश्मीर का वह भोला-भाला इंसान जो अपनी आजीविका के लिए संघर्ष कर रहा है।
पहलगाम में पर्यटकों पर यह हमला कश्मीर की कमर पर ही नहीं बल्कि कश्मीर की आत्मा को कुचलने का भी प्रयास है जो आत्मा उभर करके भारतीयता को मजबूत कर रही है। यह उस भावना पर हमला है।