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शोक संदेश
मेरे दादाजी श्री पीतांबर सिंह जी का अभी स्वर्गवास हो गया है

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Vinod Khanna was a celebrated Indian actor, producer, and politician known for his charm, versatility, and strong screen presence. Born on October 6, 1946, in Peshawar (now in Pakistan), he made his Bollywood debut in 1968 with Man Ka Meet. Initially recognized for playing villainous roles in films like Rakhwala (1971) and Mere Apne (1971), he soon transitioned into a leading man, delivering hit films such as Amar Akbar Anthony (1977), Qurbani (198, and Dayavan (1988). His ability to portray both intense and romantic characters with ease made him one of the most sought-after actors of the 1970s and 1980s.
Apart from his acting career, Vinod Khanna took a spiritual hiatus in the 1980s to follow his guru, Osho, but returned to Bollywood and continued delivering memorable performances. He later joined politics and became a Member of Parliament, serving in various capacities, including as a minister in the Indian government. Despite his political commitments, he remained active in films, appearing in movies like Dabangg (201 in his later years. He passed away on April 27, 2017, after battling cancer
Amitabh Bachchan is one of the most iconic and influential actors in Indian cinema, known for his deep voice, towering presence, and powerful performances. Born on October 11, 1942, in Allahabad (now Prayagraj), he initially struggled to find success in Bollywood. However, his breakthrough came with Zanjeer (1973), where he introduced the "angry young man" persona that resonated with audiences. Throughout the 1970s and 1980s, he dominated the industry with films like Sholay (1975), Deewaar (1975), Amar Akbar Anthony (1977), and Muqaddar Ka Sikandar (1978). His ability to blend intense action with deep emotional performances made him a superstar, earning him the title of the "Shahenshah of Bollywood."
Despite facing setbacks, including financial struggles in the late 1990s, Amitabh Bachchan reinvented himself with films like Mohabbatein (200, Black (2005), Paa (2009), and Piku (2015). Apart from films, he gained immense popularity as the host of Kaun Banega Crorepati, India's version of Who Wants to Be a Millionaire?, which revived his career. His contribution to Indian cinema has been recognized with numerous awards, including the Padma Vibhushan, India's second-highest civilian honor. Even in his 80s, he remains a dominant figure in the industry, continuing to inspire generations of actors and audiences alike.

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मेरी समदनजी का एक अलग ही लेवल का प्यार मेरे लाइफ मे आया, कभी सोचा नही था, इतना प्यारा हो सकता है, हम 5 सिस्टर है, समदनजी के रूप मे छटी सिस्टर मिली, बोहोत प्यारी है☺️🙏
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अच्छा कार्य करने पर लोग मुंह ही नहीं पांव चूमते हैं
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#kanewilliamson के आउट होने के बाद #viratkohli ने खेल-खेल में #axarpatel के पैर छुने लगे✊👍🫡🙋

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पाकिस्तान के हार के बाद बौखलाई मुस्लिम कांग्रेसी नेता shama mohamed शमा मोहम्मद

रोहित शर्मा मोटे हैं', कांग्रेसी नेता ने हिटमैन को बताया भारत का सबसे खराब कप्तान, फैंस ने लगाई फटकार पोस्ट की डिलीट

Cricket: Fit Rohit Sharma पर ‘अनफिट’ राजनीति! Shama Mohamed के विवादित Post

हम अपने देश के भारतीय योद्धा की सराहना करते ❤️

Love you Rohit 😘 respect you cricket warrior 🌺 ⭐ 💫 🌟 🔥 🫡 🇮🇳

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जय हिन्द जय भारत ❤️
चन्द्रशेखर आजाद के बारे मे एक अंग्रेज अफसर ने लिखा हैं कि मैं रेलवे क्रोसिंग पर चेकिंग कर रहा था। सूचना थी कि आजाद शहर मे हैं। दो थानो की मय फोर्स भी साथ थी। आजाद बुलेट से रुकते हैं, मैं उनको जाने देता हूँ। तभी साथी मातहत सिपाही टोकता हैं, साहब ये पण्डित जी हैं। कांधे पे जनेऊ, तगड़ी कद काठी, रौबदार मूछे बस आजाद की ही हो सकती हैं। अंग्रेज अफसर ने भारतीय सिपाही से मुखातिब होते हुए कहा था कि मुझे अपने जान की परवाह नही हैं। हां पर ऐसे अकेले बागी को रोकने के लिये ये फोर्स काफी नही हैं।
कानपुर मे अपने भूमिगत रहने के दौरान आजाद एक जगह किराये का रूम लेकर स्टूडेंट बनकर रहते थे। आसपास कई परिवार और कुछेक स्टूडेंट भी किराये पर रहते थे। परिवार लेकर रहने वाले लोग ज्यादेतर कानपुर मे जॉब ही करते थे। उन दिनों कानपुर और कोलकाता हब भी था।
आजाद अकेले रहने के कारण कई बार एक टाइम खाना बनाते और एक टाइम नही बनाते थे। जब उनके रूम से स्टोप जलने की आवाज नही आती तो बगल मे रहने वाली एक महिला उनको खाना देने आती थी। वो शिष्टाचार के साथ दोनो हाथ जोड़ मना कर देते थे।
आजाद गम्भीर व्यक्तित्व के धनी थे। मोहल्ले के लोग उस महिला के पति के शराब पीकर अपने पत्नी से झगड़ा करने, मारपीट करने और उनके बच्चों के रोने के कारणों से त्रस्त भी थे। हाँ पर कोई उस महानगरीय वातावरण मे उनका निजी मामला होने के कारण उनको कुछ बोलता नही था।
ऐसे ही एक रोज उस महिला का पति शराब पीकर अपनी पत्नी से लड़ रहा था तो आजाद वहाँ धमक पड़े थे। किसी से कभी न बोलने वाले आजाद को देख उस महिला के पति की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी थी। जैसे ही बोला तुम कौन होते हो, हमारे बीच दखल देने वाले, आजाद ने बोला, ये मेरी बहन हैं, कभी गलती से भी हाथ उठाये तो हाथ तोड़ दूसरे हाथ मे पकड़ा दूँगा।
पहली बार मोहल्ले के लोगो ने आजाद की आवाज सुनी थी। फिर ये ड्रामा भी बंद हो गया। जब कभी उनके कमरे से स्टोप जलने की आवाज नही आती तो उस महिला का पति अपने बच्चो से या पत्नी से उनको खाना भी भेजवा दिया करता, आलसी पर स्वाभिमानी आजाद हर बार की तरह शिष्टाचार के साथ मना कर देते थे।
फरारी के दिनों मे एक बार पूरे शहर मे नाकाबंदी थी। रात छिपने के लिये आजाद एक बुढ़िया के घर मे आसरा लेते हैं। घर मे बस माँ बेटी ही थी। बुढ़िया आसरा तो दे देती हैं पर उनके रात की नींद उचट जाती हैं। घर मे जवान लड़की हैं, आजाद बात समझ बुढ़िया के पास आते हैं। आजाद बोलते हैं, आप भी मुझे अंग्रेजी सरकार की तरह समझती हैं तो अभी पुलिस बुलाकर गिरफ्तार करा दीजिये। ईनाम के पैसे से माताजी मेरी बहन की शादी भी कर दीजियेगा। बुढ़िया रोने लगती हैं। बोलती हैं कि अरे पागल मैं देशद्रोही नही हूँ, बस एक माँ हूँ, तुम नही समझोगे। खैर मैं भूल गयी थी मेरा पाला एक पण्डित से पड़ा हैं। बुढ़िया की जब नींद खुलती हैं सुबेरे तो आजाद जा चुके थे। उनके बिस्तर पर तकिये के नीचे एक चिट्ठी मिलती हैं। चिट्टी अपने लड़की से पढ़ने के लिये बोलती हैं। आजाद रात भर मे उस घर की कहानी समझ चुके थे। चिट्टी मे लिखा था कि दस हजार की छोटी सी रकम बहना की शादी के लिये, सादर चरण स्पर्श सहित माताजी आपका आजाद।
भगत सिंह से जेल मे लोग पूछते थे कि आजाद दिखते कैसे हैं ? आजाद की कोई फोटू अंग्रेजी खुफिया ब्यूरो फोब्स 32 के पास भी नही थी। एक मोछ पर ताव देते हुए उनके साथी द्वारा खिंची पिक ही पब्लिक डोमेन में थी।
भगत सिंह ने बोला था, जो कभी गम्भीरता ओढ़े कभी गलती से हँसता भी न हो, इरादे फौलादी पर अंदर से मोम हो, समझ लेना आजाद हैं।
साभार सोशल मीडिया 👏

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