जंगल और खेत-खलिहानों में बीता बचपन
बागेश्वर की गरुड़ तहसील स्थित लखनी गांव की रहने वाली कमला देवी ने बताया, उनका बचपन गाय-भैंसों के साथ जंगल और खेत-खलिहानों के बीच बीता। छोटी उम्र में शादी हो गई तो घर, खेतीबाड़ी में ही लगी रहीं। पिता से मिली विरासत में कमला देवी न्यौली, छपेली, राजुला, मालूशाही, हुड़कीबोल आदि गीत गाती हैं।
गीत गाने का शौक था, लेकिन नहीं मिला मौका
कमला देवी ने बताया, उन्हें बचपन से गाने का शौक था, लेकिन कभी मौका नहीं मिला। एक दिन प्रसिद्ध जागर गायक शिरोमणि पंत से उनकी मुलाकात हुई और उन्होंने गाने का मौका दिया। पंत ने कहा, उत्तराखंडी लोकगीतों व संस्कृति को संरक्षित करने के लिए हम सबको मिलकर काम करना होगा। वहीं, उनके पति गोपाल राम ने कहा, कमला की आवाज ने सालों बाद उनके परिवार और गांव को नई पहचान दी है।
फोटो साभार :- कमला देवी व कोक स्टूडियो