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भारत मे अक्सर कई महिलाएं ऐसा सोचती हैं कि माँ बनने के बाद वह अपना प्रोफेसनल करियर या अपने शौक को पूरा नहीं कर पाएंगी; और बहुत बार ऐसा होता भी है! लेकिन इस #mothersday के मौके पर हम आपको एक ऐसी महिला से मिलाने जा रहें है जिन्होंने माँ बनने के बाद कुछ नया करके सफलता हासिल की है। मेरठ की ज्योति श्रीवास्तव 'लिटिल चेरी मॉम' नाम से एक कंपनी चलाती हैं जो बच्चों के लिए हेल्थी फ़ूड बनाती है।
दरअसल, ज्योति श्रीवास्तव एक केमिकल इंजीनियर हैं और पहले भारतीय सेना के लिए रॉकेट डिज़ाइन करने का काम करती थीं। 2018 में वह यह नौकरी छोड़कर वायु सेना के लिए फ्रीलांसर के रूप में काम करने लगीं। कई कारणों से यह ठीक नहीं चला। फिर 2019 में उन्हें पता चला कि वह प्रेग्नेंट हैं हर नई मां की तरह ही बच्चे के जन्म के बाद उन्हें अपने बेटे को स्तनपान कराने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ा था। इस वजह से उन्होंने बच्चे को पौष्टिक आहार देने के लिए रिसर्च करना शुरू किया। उन्हें पता चला कि बाजरा, राजगिरा जैसे अनाज बड़ों के साथ साथ बच्चों के पोषण के लिए भी बहुत फायदेमंद हैं। उन्होंने इसको लेकर लोगों में जागरूकता लाने के लिए सोशल मीडिया पेज की शुरुआत भी की। जब ज्योति ने अपनी नौकरी छोड़कर बच्चों के फ़ूड और स्तनपान के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए एक पेरेंटिंग पेज शुरू किया, तो रिश्तेदारों ने उनका मज़ाक उड़ाया, लोगों ने इसके विपरीत बात की.. लेकिन ज्योति ने अपना काम जारी रखा।
2022 में उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर 'लिटिल चेरी मॉम' की शुरुआत की, जो आज बच्चों के लिए पौष्टिक आहार बनाता है। यह कंपनी बाजरे का आटा, इंस्टेंट डोसा मिक्स, चीनी और गुड़ मुक्त लड्डू , बच्चों के लिए स्वस्थ स्नैक्स जैसे खाखरा, A2 बिलोना, गाय का घी और आंवलाप्राश जैसे प्रॉडक्ट बनाती है। 2022 में लॉन्च होने के बाद से, कंपनी के 12,000 से ज़्यादा ग्राहक हैं और ज्योति की यह कंपनी लगभग 1 करोड़ तक का मुनाफा भी कमा चुकी है।
ज्योति उन सभी महिलाओं के लिए एक प्रेरणा हैं जो सोचती हैं कि माँ बनने के बाद अपने सपनों को पूरा नहीं किया जा सकता या कुछ अलग और नया नहीं किया जा सकता है। आपका पेशा और शौक कुछ भी हो, बेबी होने के बाद उसको ख़त्म करने की बिलकुल ज़रूरत नहीं है। बच्चे को प्रेरणा बनाकर जैसे ज्योति ने सफलता पाई है, वैसा आप भी ज़रूर कर सकती हैं!

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उत्तराखंड के चमोली जिले के कंडारा गांव की दिव्या रावत ने ‘मशरूम गर्ल’ के नाम से अपनी अलग पहचान बनाई है। 23 साल की उम्र में, दिव्या ने एक छोटे कमरे से मशरूम फार्मिंग की शुरुआत की और आज करोड़ों का बिज़नेस खड़ा कर लिया है। नोएडा से सोशल वर्क में मास्टर्स करने के बाद, दिव्या ने शहरों में पलायन रोकने और स्थानीय रोजगार के लिए मशरूम फार्मिंग को अपनाया।
2016 में ‘सौम्य फूड प्राइवेट लिमिटेड’ कंपनी शुरू कर उन्होंने बटन, ओएस्टर और मिल्की मशरूम उगाए। आज 10,000+ किसान उनसे जुड़े हैं। दिव्या ‘कैसे उगाएं’ के साथ ‘कैसे पकाएं’ भी सिखाती हैं और मशरूम-आधारित 70+ प्रोडक्ट्स बेचती हैं। नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित दिव्या, सचमुच प्रेरणा हैं!
#uttarakhand #inspiringwomen #mushroomfarming #agribusiness #viralpost #fbpost #fbpage #postoftheday

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#फोटोग्राफी का इतिहास
दो महत्वपूर्ण सिद्धांतों की खोज के साथ शुरू हुआ: पहला कैमरा अस्पष्ट छवि प्रक्षेपण है, दूसरा यह खोज है कि कुछ पदार्थ प्रकाश के संपर्क से स्पष्ट रूप से बदल जाते हैं[२]. 18 वीं शताब्दी से पहले हल्के संवेदनशील सामग्री के साथ चित्रों को कैप्चर करने के किसी भी प्रयास को दर्शाती कोई कलाकृति या विवरण नहीं हैं।
ले ग्रास 1826 या 1827 में खिड़की से दृश्य, माना जाता है कि सबसे पहले जीवित कैमरा तस्वीर थी। [1] मूल (बाएं) और रंगीन पुनर्मिलन सुधार (दाएं)।
1717 के आसपास, जोहान हेनरिक शुल्ज़ ने एक बोतल पर कट-आउट अक्षरों की छवियों को कैप्चर करने के लिए एक हल्के संवेदनशील स्लरी का इस्तेमाल किया। हालांकि, उन्होंने इन परिणामों को स्थायी करने का प्रयास नहीं किया। 1800 के आसपास, थॉमस वेडवुड ने पहला विश्वसनीय रूप से प्रलेखित किया, हालांकि स्थायी रूप में कैमरे की छवियों को कैप्चर करने का असफल प्रयास किया। उनके अनुभवों ने विस्तृत फोटोग्राम का उत्पादन किया, लेकिन वेजवुड और उनके सहयोगी हम्फ्री डेवी को इन चित्रों को ठीक करने का कोई तरीका नहीं मिला।
1826 में, निकेफोर निपेस पहली बार एक कैमरे के साथ कैद की गई एक छवि को ठीक करने में कामयाब रहे, लेकिन कैमरे में कम से कम आठ घंटे या कई दिनों के एक्सपोजर की आवश्यकता थी और शुरुआती परिणाम बहुत कच्चे थे। निप्स के सहयोगी लुइस डागुएरे ने डागुएरेओटाइप प्रक्रिया को विकसित किया, जो पहली सार्वजनिक रूप से घोषित और व्यावसायिक रूप से व्यवहार्य फोटोग्राफिक प्रक्रिया थी। डैगुएरियोटाइप को कैमरे में केवल मिनटों के एक्सपोजर की आवश्यकता होती है, और स्पष्ट, बारीक विस्तृत परिणाम उत्पन्न किए। 2 अगस्त, 1839 को डागुएरे ने पेरिस में साथियों के चैंबर को प्रक्रिया का विवरण प्रदर्शित किया। 19 अगस्त को संस्थान के पैलेस में विज्ञान अकादमी और ललित कला अकादमी की एक बैठक में तकनीकी विवरण सार्वजनिक किया गया था। (जनता को आविष्कारों के अधिकारों को प्रदान करने के लिए, डागुएरे और निएप्स को जीवन के लिए उदार वार्षिकियों से सम्मानित किया गया था। )[3][4][5] जब धातु आधारित डेगुएरियोटाइप प्रक्रिया को सार्वजनिक रूप से प्रदर्शित किया गया था, तो पेपर आधारित कैलोटाइप नकारात्मक और नमक प्रिंट पीआर के प्रतियोगी दृष्टिकोण

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निकाय चुनावों को लेकर राज्य में आचार संहिता प्रभावी हो गई है, मैंने आज 11.30 बजे घंटाघर में बाबा साहब भीम राव अंबेडकर जी की मूर्ति के सम्मुख उनके अपमान को लेकर जो कार्यक्रम रखा था अब वह कार्यक्रम उस सार्वजनिक स्थल पर नहीं होगा बल्कि अब मैं अपने घर पर 12 बजे सांकेतिक #मौन_उपवास रख कर जिस प्रकार माननीय गृह मंत्री ने बाबा साहब भीम राव अंबेडकर जी पर अपमानकारी टिप्प्णी की है, उसके विरोध में बैठूंगा।
Indian National Congress Uttarakhand

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निकाय चुनावों को लेकर राज्य में आचार संहिता प्रभावी हो गई है, मैंने आज 11.30 बजे घंटाघर में बाबा साहब भीम राव अंबेडकर जी की मूर्ति के सम्मुख उनके अपमान को लेकर जो कार्यक्रम रखा था अब वह कार्यक्रम उस सार्वजनिक स्थल पर नहीं होगा बल्कि अब मैं अपने घर पर 12 बजे सांकेतिक #मौन_उपवास रख कर जिस प्रकार माननीय गृह मंत्री ने बाबा साहब भीम राव अंबेडकर जी पर अपमानकारी टिप्प्णी की है, उसके विरोध में बैठूंगा।
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निकाय चुनावों को लेकर राज्य में आचार संहिता प्रभावी हो गई है, मैंने आज 11.30 बजे घंटाघर में बाबा साहब भीम राव अंबेडकर जी की मूर्ति के सम्मुख उनके अपमान को लेकर जो कार्यक्रम रखा था अब वह कार्यक्रम उस सार्वजनिक स्थल पर नहीं होगा बल्कि अब मैं अपने घर पर 12 बजे सांकेतिक #मौन_उपवास रख कर जिस प्रकार माननीय गृह मंत्री ने बाबा साहब भीम राव अंबेडकर जी पर अपमानकारी टिप्प्णी की है, उसके विरोध में बैठूंगा।
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