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मुंबई में होने वाली महायुति की बैठक टली: एकनाथ शिंदे अचानक सातारा रवाना

◆ दिल्ली में भाजपा हाईकमान से मुलाकात के बाद एकनाथ शिंदे मुंबई लौट आए

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मोहनजोदड़ो सांड की मुहर को संविधान में सबसे ऊपर जगह देने के पीछे संविधान निर्माताओं की महान सोच थी। पढ़िए।

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संविधान निर्माताओं ने संविधान के पहले पन्ने पर, अनुच्छेद-1 से पहले, मोहनजोदड़ो स्तूप की खुदाई में मिले सांड (Bull) को जगह दी।

ये नीचे संविधान की पहली कॉपी का पहला पन्ना है।

भारत नक़्शे पर खींच दी गई लकीरों से बना बनावटी देश नहीं है। यह सभ्यतामूलक देश है। इसकी सभ्यता में हज़ारों साल की निरंतरता है।

इस मुहर से भारत में हज़ारों साल पहले शासन चलता था। ये मुहर कई जगह खुदाई में मिली है।

गाोवंश के प्रति भारत का जो भाव है, वह ऐतिहासिक है।

गाय को सेकुलर-वामपंथी लोगों ने सांप्रदायिक करार दिया। वे भारत की ऐतिहासिकता को नकारते हैं क्योंकि राष्ट्र के विचार का वे निषेध करते हैं। वे एक करने वाले हर विचार को नकारते हैं।

अब समय है उस गौरव को फिर से हासिल करने का।

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संविधान निर्माताओं ने संविधान के पहले पन्ने पर, अनुच्छेद-1 से पहले, मोहनजोदड़ो स्तूप की खुदाई में मिले सांड (Bull) को जगह दी।

ये नीचे संविधान की पहली कॉपी का पहला पन्ना है।

भारत नक़्शे पर खींच दी गई लकीरों से बना बनावटी देश नहीं है। यह सभ्यतामूलक देश है। इसकी सभ्यता में हज़ारों साल की निरंतरता है।

इस मुहर से भारत में हज़ारों साल पहले शासन चलता था। ये मुहर कई जगह खुदाई में मिली है।

गाोवंश के प्रति भारत का जो भाव है, वह ऐतिहासिक है।

गाय को सेकुलर-वामपंथी लोगों ने सांप्रदायिक करार दिया। वे भारत की ऐतिहासिकता को नकारते हैं क्योंकि राष्ट्र के विचार का वे निषेध करते हैं। वे एक करने वाले हर विचार को नकारते हैं।

अब समय है उस गौरव को फिर से हासिल करने का।

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संविधान निर्माताओं ने संविधान के पहले पन्ने पर, अनुच्छेद-1 से पहले, मोहनजोदड़ो स्तूप की खुदाई में मिले सांड (Bull) को जगह दी।

ये नीचे संविधान की पहली कॉपी का पहला पन्ना है।

भारत नक़्शे पर खींच दी गई लकीरों से बना बनावटी देश नहीं है। यह सभ्यतामूलक देश है। इसकी सभ्यता में हज़ारों साल की निरंतरता है।

इस मुहर से भारत में हज़ारों साल पहले शासन चलता था। ये मुहर कई जगह खुदाई में मिली है।

गाोवंश के प्रति भारत का जो भाव है, वह ऐतिहासिक है।

गाय को सेकुलर-वामपंथी लोगों ने सांप्रदायिक करार दिया। वे भारत की ऐतिहासिकता को नकारते हैं क्योंकि राष्ट्र के विचार का वे निषेध करते हैं। वे एक करने वाले हर विचार को नकारते हैं।

अब समय है उस गौरव को फिर से हासिल करने का।

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नरेंद्र मोदी भारत के संन्यासी राजा हैं, जिन पर सबसे ज़्यादा आक्रमण हुए; जो हमलों के बीच बॉक्सर मुहम्मद अली की तरह महानता हासिल कर पाए।

नरेंद्र मोदी भारतीय ही नहीं विश्व राजनीति में सर्वाधिक अवमानना, आक्रमण, आरोप, लांछन, तिरस्कार, फेक न्यूज, निरादर झेलने वाले नेताओं में हैं। उनकी तुलना कुछ हद तक ट्रंप से की जा सकती है। ट्रंप को भी बहुत ज़्यादा अपमानित किया गया।

पहली बार मुख्यमंत्री बनते ही फ़ौरन मोदी के सिर पर हथौड़े की तरह गोधरा कांड और गुजरात की हिंसा थोप दी गई। उनको संभलने का मौक़ा भी नहीं दिया गया। समय से पहले विधानसभा चुनाव कराने पड़े।

हर मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री स्थिरता चाहता है। पर मुख्यमंत्री मोदी को लगातार हिंसा के ज़रिए अस्थिर किया गया।

मीडिया ने सैकड़ों आलेख उनके ख़िलाफ़ छापे। पत्रिकाओं में बेहद आपत्तिजनक कवर छापे। उनके गंदे तरीक़े से इंटरव्यू किए गए। जाँच एजेंसियों के ज़रिए उनको लगातार परेशान किया गया।

उनके साधारण परिवार से होने से लेकर उनकी गुजराती शिक्षा निरंतर मज़ाक़ का विषय रही।

पर मोदी ज़िंदा रहे। यही लोकतंत्र की ताक़त है। एक मामूली ओबीसी परिवार का आदमी सारे आक्रमण झेल गया।

कैसे?

सिर्फ़ इसलिए कि वह राष्ट्र और समाज हित के प्रति समर्पित है। विकसित राज्य और राष्ट्र बनाना चाहता है और जनता ये बात समझती है।

सबसे बड़ी बात ये कि देश में संविधान है और चुनाव से सरकार बनती है। इसलिए मोदी के हाथ से कभी शासन की बागडोर छूटी नहीं। वह कभी हारा नहीं।

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