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"वो 9 अगस्त 1979 का दिन था जब अपने एक दोस्त राजा के साथ मैं दिल्ली से निकल पड़ा और अगले दिन मुंबई आ पहुंचा। मेरी जेब में भले ही सिर्फ़ 800 रुपये थे लेकिन, अपने सामान के अलावा हम सपनों की इस नगरी में दिल में ढेरों उम्मीदें लेकर आये थे, विश्वास था कि हुनर के बल पर कुछ कर लेंगे यहाँ।"
"शुरुआत में मैं भायखला में अपने एक रिश्तेदार के यहाँ रहा। वे यह जानकर हैरान थे कि मैं यहाँ एक्टर बनने आया हूँ। आज, चार दशक बाद यहाँ मेरे अपने दोस्त हैं, काम है और रहने के लिए लिए छत है। मैं इस सब के लिए बहुत शुक्रगुज़ार हूँ और खुद को बहुत भाग्यशाली मानता हूँ।"
- सतीश कौशिक
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