Descobrir PostagensExplore conteúdo cativante e diversas perspectivas em nossa página Descobrir. Descubra novas ideias e participe de conversas significativas
दरअसल सलमान खान फिल्म इंडस्ट्री का छटा–छटाया गुंडा है। कौन किस फिल्म में हीरो होगा ? कौन हीरोइन होगी ? किसको कितना रोल मिलेगा ? कौन कौनसा गाना गायेगा ? यह सब सलमान खान और उसके चमचे तय करते हैं।
सुभाष घई को चाटा जड़ना, ऐश्वर्य राय की लड़ाई, विवेक ओबेरॉय को काम न मिलना, अभिजीत को गाने न मिलना, अरिजीत से नोकझोंक, हिमेश रेशमिया से झिकझिक यह सब सलमान की दबंगई के कुछ उदाहरण है ।
दाऊद के गुर्गों से सलमान की नजदीकी के कारण सलमान खान से कोई नहीं उलझता। यही कारण है कि फिल्म डायरेक्ट से लेकर प्रोड्यूसर तक उससे डरते हैं। सलमान चाहे तो किसी को फर्श से अर्श पर बिठा दे और चाहे तो किसी का भी कैरियर मटियामेट कर दे ।
हमारे यहां एक कहावत है । चलते घोड़े को दाना–पानी जरूरी मिलता है............... सैकड़ों लोगों की बद्दुआओं का ही नतीजा है कि आज सलमान कुत्ते की तरह छुपता फिर रहा है।
सारी हेकड़ी निकल गई। भाई का सही इलाज हुआ है, अब मुंबई की सड़को पर चौड़ा होकर नहीं चलता । साइकिल नही चलाता। अपने घर के बाहर खड़ी हजारों फैंस की भीड़ को झरोखा दर्शन भी नहीं देता......... (लॉरेंस ने उधर भी गोलियां चलवा दी)
गैलेक्सी के बाहर रौनक जाती रही है। सड़क सूनी–सूनी रहती है अब। पूरे घर की बालकनियों को ढंक दिया गया है।
मैं लॉरेंस का समर्थक नहीं हूं....... लेकिन सलमान के साथ जो हो रहा है उसे देखकर मजा आ रहा है। फिल्म इंडस्ट्री में सलमान से कोई नहीं उलझता था। सलमान को फिल्म इंडस्ट्री में ऐसी इज्जत है जैसी मोहल्ले के किसी दादा की होती है......... और आज उसी दादा को उसका बाप मिल गया।
क्योंकि हर बाप का एक बाप जरूर होता है।