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कल्पना कीजिए, एक छोटा सा लड़का, जो दिल्ली की संकरी गलियों में फलरस बेचते हुए बड़े सपने देखता था। दरियागंज के बाजार की भीड़-भाड़ और शोरगुल में, इस लड़के के मन में कुछ अलग करने की ललक थी। यह लड़का और कोई नहीं, बल्कि गुलशन दुआ थे, जिनका नाम बाद में पूरे देश में गूंजा—गुलशन कुमार के नाम से। 🌟🎶
गुलशन का जन्म एक साधारण पंजाबी परिवार में हुआ था। उनके पिता, चन्द्रभान, दरियागंज बाजार में एक छोटे से फलरस विक्रेता थे। गुलशन का जीवन यहीं से शुरू हुआ—फलरस बेचते हुए, जीवन की कठिनाइयों को समझते हुए। लेकिन उनकी आँखों में कुछ बड़ा करने का सपना था। 🍹👦
जीवन के उतार-चढ़ाव और संघर्षों के बीच, गुलशन ने अपने परिवार के साथ मिलकर कारोबार का रुख बदलने का फैसला किया। उन्होंने रिकॉर्ड और सस्ते ऑडियो कैसेट्स बेचने की दुकान संभाली, जो कि उनके भविष्य के साम्राज्य की नींव बनने वाली थी। 🎧💿
यह वही समय था जब भारत में संगीत की दुनिया में क्रांति की शुरुआत हो रही थी, और गुलशन ने इस मौके को भुनाने का फैसला किया। उनकी मेहनत, समर्पण, और कुछ नया करने की चाह ने उन्हें टी-सीरीज़ का निर्माण करने के लिए प्रेरित किया। टी-सीरीज़ ने न सिर्फ संगीत की दुनिया में तहलका मचा दिया, बल्कि गुलशन कुमार को 'किंग ऑफ म्यूजिक' बना दिया। 🎤👑
गुलशन का सफर बताता है कि चाहे आप कितनी भी साधारण पृष्ठभूमि से क्यों न हों, अगर आपमें सपने देखने और उन्हें साकार करने का जुनून है, तो दुनिया की कोई भी ताकत आपको सफल होने से नहीं रोक सकती। दरियागंज की छोटी सी दुकान से लेकर एक विशाल संगीत साम्राज्य बनाने तक की यह यात्रा प्रेरणा का एक जीता-जागता उदाहरण है। 🌍🚀
आज गुलशन कुमार का नाम भारतीय संगीत की दुनिया में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाता है। उनका यह सफर बताता है कि संघर्षों से कभी हार नहीं माननी चाहिए, क्योंकि इन्हीं संघर्षों में आपके सपनों की कुंजी छुपी होती है। उनकी कहानी हर उस व्यक्ति के लिए एक प्रेरणा है, जो अपने सपनों को हकीकत में बदलना चाहता है। 🌟
चुनाव तो ठीक है लेकिन सुप्रीम कोर्ट का निर्देश भी सभी राजनीतिक दलों को पालन करना होगा जरूर पढ़ें यह पूरी रिपोर्ट ⬇️
"केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस, चुनाव के दौरान फ्रीबीज का वादा और रिश्वत का सामान को लेकर"
महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव की तारीख कुछ ही देर में जारी होने वाली है।
जारी होने से ठीक पहले सुप्रीम कोर्ट का निर्देश आ गया केंद्र सरकार और चुनाव आयोग फ्रीबीज का वादा और रिश्वत के समान आदि के ऊपर जवाब दे।
देखा जाए तो बहुत ही सराहनीय कदम है कर्नाटक के मूल निवासी शशांक जे श्रीधर ने याचिका दायर की थी जिसकी सुनवाई आज चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया चंद्रचूड़ और उनकी बेंच ने करते हुए यह नोटिस जारी किया।
श्रीधर का कहना है फ्री रेवड़ी से सरकारी खजाने पर बोझ आ रहा है और जनता को लुभावने वाले देकर पूरा भी नहीं किया जा रहा है।
आप इस व्यक्ति के सोच से और उनके याचिका दायर करने के ऊपर अपने विचार जरूर रखें ⬇️