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PM Narendra Modi held fruitful talks with President Anura Kumara Dissanayake in Colombo. The two leaders reviewed the full spectrum of India-Sri Lanka bilateral relations and explored avenues to deepen cooperation in sectors like energy, solar power, digital technology, trade, agriculture, housing, culture and more.

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PM Narendra Modi held fruitful talks with President Anura Kumara Dissanayake in Colombo. The two leaders reviewed the full spectrum of India-Sri Lanka bilateral relations and explored avenues to deepen cooperation in sectors like energy, solar power, digital technology, trade, agriculture, housing, culture and more.

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PM Narendra Modi held fruitful talks with President Anura Kumara Dissanayake in Colombo. The two leaders reviewed the full spectrum of India-Sri Lanka bilateral relations and explored avenues to deepen cooperation in sectors like energy, solar power, digital technology, trade, agriculture, housing, culture and more.

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भिटोली की भावुक कथा
बहुत समय पहले पहाड़ के किसी दूर गांव में देबुली और नरिया नाम के भाई-बहन रहते थे. दोनों का बचपन बहुत स्नेह पूर्वक बीता, देबुली के लिए अपना भाई बहुत दुलारा था नरिया भी अपनी बहन को बहुत मानने वाला हुआ।
बचपन बीता, दोनों बड़े हुए तो देबुली की शादी हो गई और उसका ससुराल मायके से बहुत दूर ठैरा। तब आज जैसा तो हुआ नहीं कि शादी हो गई तो बहन को कभी वीडियो कॉल तो कभी व्ट्सप मैसेज भेजा जाए। तब तो पहाड़ में महिलाओं के इतने काम ठैरे कि ससुराल से मायका जाना दुभर हो जाने वाला हुआ।
तो ज़ब नरिया को अपनी बहन की बहुत नराई लग गई तो उसकी ईजा (मां)ने कहा कि बहुत दिन हो गए, तुझे रोज देबुली की नराई (याद आना) लगती है। ऐसा कर मैं देबुली के लिए सामान का एक फांच बांध देती हूँ, तू देबुली के ससुराल जाकर उससे भेंट भी कर आना और ये सामान भी दे देना।
नरिया को ईजा की बात सही लगी। अगले दिन ईजा ने देबुली के लिए हलुआ, पूड़ी, पुए आदि बनाए, साड़ी-बिंदी और कुछ फल भी रखे। और सारे सामान को एक रिंगाल की डलिया में रखकर नरिया को च्येली (बेटी) के ससुराल को लगा दिया।
पहाड़ में तब ना सड़के थी ना कुछ, नरिया को अपनी बहन के ससुराल तक पैदल ही जाना था। उसे चलते-चलते दो तीन दिन लग गए और ज़ब वो अपनी बहन देबुली के घर पहुंचा तो देखा देबुली के घर कोई नहीं है। वो चाख (कमरे) में गया तो देखा देबुली बैठे-बैठे सो रही है। नरिया ने अपनी डलिया वही रखी और दीदी के जगने का इंतज़ार करने लगा।
उसने सोचा दिन भर देबुली काम कर रही होगी, अभी जरा बैठने का मौका मिला होगा तो इस बेचारी की आँख लग गई, अब मैं इसे उठा दूंगा तो इसका क्षणिक आराम भी खराब हो जाएगा। वो थोड़ी दे और बैठा रहा ओर उसने देबुली को नहीं उठाया।
जब देबुली नहीं उठी तो समय पर वापस घर के लिए निकलने के चक्कर में वापस बिना बात किये, देबुली के लिए लाया सामान वहीं रखकर घर निकल गया।
नरिया के जाने के बाद ज़ब देबुली की आँख खुली तो सामने रखा सामान, और ईजा के हाथो से बने पकवान देखकर वो समझ गई कि उसकी आँख लगे में भाई नरिया घर आकर वापस मायके को चला गया है।
इस बात से देबुली बहुत दुखी हुई, और सोचने लगी कि उतनी दूर से पैदल चलकर मेरा भाई भूखा-प्यासा आया होगा लेकिन मैं उसे एक गिलास पानी तक नहीं पीला पाई. ना उसे कुछ खिलाया। इस बात से वो बहुत गमगीन हो गई, उसे सोचकर बहुत पीड़ा हुई कि मेरी नींद ना खराब हो जाए इसलिए नरिया बिना मुझे जगाए वापस चला गया। इसी गम में वो दूर-दूर तक देखने लगी, लेकिन भाई कबका जा चुका था।
इसके बाद देबुली यह कहते हुए रोने लगी ‘‘भै भूखों-मैं सिती‘‘ अर्थात भाई भूखा रहा और मैं सोती रही। इसके बाद उसे इस बात की रट लग गई और गम से उसके प्राण तक निकल गये।
कहते हैं कि अगले जन्म में देबुली घुघुति नाम की पक्षी बनी जो चैत्र मास में "भै भूखों-मैं सिती" की आवाज लगाती है।
तभी से भिटोली के बहाने भेंट करने की एक ऐसी परम्परा बन गई कि विवाहिता महिला चाहे जिस भी उम्र की हो उसे मायके की भिटौली का बेसब्री से इंतजार रहता है।
तो दोस्तों ये तो थी कहानी, अब आप कमेंट करके बताना ज़रूर कि आप अपनी बहन को भिटोली देते हो कि नहीं ? शादी शुदा लड़कियां भी कमेंट करें कि क्या आपको भिटोली का कितना इंतज़ार रहता है...
आप सभी उत्तराखंड के भाई बहनों को भिटोली के महीने की बधाई।

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आज महा अष्टमी के पावन अवसर पर दंतेवाड़ा (छत्तीसगढ़) स्थित माँ दंतेश्वरी मंदिर में दर्शन-पूजन कर आध्यात्मिक शांति का अनुभव कर रहा हूँ।
माँ दंतेश्वरी से सभी की सुख, समृद्धि और सुरक्षा की कामना करता हूँ।

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माँ दंतेश्वरी से सभी की सुख, समृद्धि और सुरक्षा की कामना करता हूँ।

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