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प्रदेश की युवाशक्ति को विश्व युवा कौशल दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं।
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री @narendramodi जी के कुशल नेतृत्व में युवाओं को कौशल संपन्न बनाने के लिए अनेक ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं। स्किल इंडिया मिशन के माध्यम से रोज़गारपरक प्रशिक्षण प्राप्त कर कई युवा रोजगार से जुड़ चुके हैं।

हमारी डबल इंजन सरकार भी युवाओं के कौशल उन्नयन के लिए लगातार कार्य कर रही है। युवाओं को स्वावलंबी बनाने में मुख्यमंत्री कौशल उन्नयन योजना एवं वैश्विक रोजगार जैसी योजनाएं संचालित की जा रही है।

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क्या पैरों के आवरण पर श्रीनाथ जी को बिठाना,
सनातन का सम्मान करना है ?
हिन्दू धर्म की प्रतिष्ठा बढ़ाना है ?

हिन्दू धर्म के ‘स्वघोषित ठेकेदार’ कुछ दिन पहले तो बड़े प्रवचन दे रहे थे…

अब इनके मालिक के मालिक सनातन का अपमान कर रहे हैं तब
अँधभक्तों की भावनाएँ आहत नहीं हो रहीं 🙄

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यूपी से समाचार आ रहे हैं कि योगी के विरोध में विधायकों को उकसाया जा रहा है। यह कार्य उत्तर प्रदेश के किसी पूर्व/वर्तमान उपमुख्यमंत्री द्वारा ‘ऊपर’ से आ रहे निर्देशों के आधार पर हो रहा है।

किसी तरह से चुनाव में हुई ‘हार’ का पूरा भार योगी आदित्यनाथ पर डालने के उपक्रम चल रहे हैं। ‘ऊपर’ के लोग राष्ट्रीय और क्षेत्रीय मीडिया का भी पूर्ण ‘सदुपयोग’ कर रहे हैं।

आज के संदर्भ में देखा जाए तो भले ही पार्टी में नरेन्द्र मोदी के उत्तराधिकार पर संशय हो, पर जनता ने वह पद 2019 से ही योगी को दे रखा है। आज भी, राष्ट्रीय परिदृश्य में योगी की छवि को कोई क्षति नहीं पहुँची है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति और पार्टी की आंतरिक राजनीति चाहे जो भी हो, भाजपा के अगले नेता के रूप में जो स्वीकार्यता योगी की है, वह अभी किसी अन्य नेता की नहीं है। हालाँकि, हर बड़े नेता की लक्ष्य प्रधानमंत्री पद होता है, पर प्रारब्ध ही अंतिम चुनाव करता है।

यदि चुनाव में 71 और 63 सीटों की जीत का श्रेय कोई लेता है, तो 33 का श्रेय भी वहीं जाना चाहिए। प्रश्न यह होना चाहिए कि टिकट किसने बाँटे थे? दागी लोगों को पार्टी में ला कर, छः महीने में टिकट क्यों दिया गया?

हर नेता के उत्थान की राह में षड्यंत्र अपने ही लोग करते हैं। जो भी विधायकों को उकसा रहे हैं, वो यह भूल जाएँ कि योगी के चेहरे के बिना भाजपा 2027 में वापसी कर लेगी। योगी को यूपी से हटाने का प्रभाव आपको बिहार से ले कर कर्नाटक तक दिखेगा। अपने भविष्य की अंत्येष्टि हेतु लकड़ियाँ इकट्ठा करना बंद कीजिए (पूर्व/वर्तमान) उपमुख्यमंत्री जी!

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"मुझसे शादी करोगी? हां या न, अभी जवाब दो।"

मुकेश अंबानी ने नीता से पूछा, नीता ने जवाब दिया, "हां करूंगी। लेकिन मेरी एक शर्त है, मैं भी शादी के बाद काम करूंगी।"

मुकेश अंबानी और नीता अंबानी कार में थे जब मुकेश ने नीता को शादी के लिए प्रपोज़ किया था।

दोनों अक्सर मिला करते थे। नीता को मुकेश से खुद धीरूभाई अंबानी ने मिलवाया था। धीरूभाई ने नीता को एक प्रोग्राम में नृत्य करते देखा था। वो नीता से बहुत प्रभावित हुए। उन्हें लगा कि ये लड़की तो उनके घर की बहू बननी चाहिए।

दो-तीन दिन बाद धीरूभाई ने नीता को कॉल किया और उन्हें अपने ऑफिस मिलने आने को कहा।

धीरूभाई, जो बहुत बड़े बिजनेसमैन थे, उनके ऑफिस से बुलावा आना नीता के लिए बड़ी बात थी। उन्हें हैरत हो रही थी कि आखिर धीरूभाई ने क्यों उन्हें अपने ऑफिस बुलाया है? क्या धीरूभाई उन्हें कोई नौकरी ऑफर करना चाहते हैं?

नीता जब धीरूभाई के ऑफिस गई तो थोड़ी बातचीत के बाद धीरूभाई ने नीता से पूछा कि क्या तुम मेरे बड़े बेटे मुकेश से मिलना चाहोगी?

वो ही मुकेश अंबानी और नीता अंबानी की पहली मुलाकात थी।

धीरूभाई ने नीता को बता दिया था कि वो चाहते हैं कि नीता की शादी उनके बेटे मुकेश से हो। यूं तो नीता को भी मुकेश का हंबल नेचर बहुत पसंद आया था। लेकिन वो शादी को लेकर श्योर नहीं थी।

हालांकि मुकेश अंबानी, जो पहली ही मुलाकात में नीता को पसंद करने लगे थे, वो ज़रूर नीता से शादी करने का फैसला कर चुके थे।

"नीता वो पहली लड़की थी जिससे मिलने के बाद मैंने तय कर लिया था कि यही मेरी लाइफ पार्टनर बनेगी।" एक इंटरव्यू में मुकेश अंबानी ने ये बात कही थी।

उस पहली मुलाकात के बाद नीता और मुकेश अक्सर मिलने लगे और जब उस दिन मुकेश ने नीता की शर्त मान ली तो आखिरकार 1985 में इन दोनों की शादी हो गई।

दोनों तीन बच्चों के माता-पिता बने और अब तीनों की शादी हो चुकी है।

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फिल्म की हीरोइन होती तो लाखो लाइक मिल जाते लेकिन देश की होनहार बेटी के लिए लाइक मांगने पड़ते है , बड़े दुःख की बात है 😢💔🙏
जालौन की होनहार खिलाड़ी स्वाती सिंह ने दक्षिण अफ्रीका के यूगांडा शहर में आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में ब्रोंज मेडल जीतकर अपने गांव का नाम रोशन किया है। स्वाती की यह सफलता संघर्ष और मेहनत की मिसाल है, जिसने सबको प्रेरित किया है।
स्वाती सिंह का सपना था कि वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का प्रतिनिधित्व करें और मेडल जीतें। लेकिन उनके पास इतने पैसे नहीं थे कि वह अपनी खेल किट भी खरीद सकें। उनके इस सपने को साकार करने में गांव के लोगों ने उनका साथ दिया। गांववालों ने मिलकर स्वाती को आर्थिक मदद दी, जिससे वह यूगांडा तक पहुंच सकीं।
स्वाती ने कहा, "मेरे पास किट खरीदने तक के पैसे नहीं थे, लेकिन गांव के लोगों की मदद और समर्थन ने मुझे यहां तक पहुंचाया। यह मेडल सिर्फ मेरा नहीं, बल्कि पूरे गांव का है।"

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परिणीति चोपड़ा ने पति राघव चड्ढा के साथ देखा विंबलडन 2024 का फाइनल
एक दूसरे का हाथ पकड़कर शेयर की रोमांटिक तस्वीरें

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परिणीति चोपड़ा ने पति राघव चड्ढा के साथ देखा विंबलडन 2024 का फाइनल
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परिणीति चोपड़ा ने पति राघव चड्ढा के साथ देखा विंबलडन 2024 का फाइनल
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