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"दादाजी से एक मुलाक़ात जो दिल छू गई..."
आज रेलवे स्टेशन पर एक बुज़ुर्ग व्यक्ति से मुलाक़ात हुई, जिन्हें देखते ही मेरी आंखें भर आईं। उनका एक पैर नहीं था। जब मैं उनके पास गई और पूछा, "दादाजी, ये क्या हुआ?"
तो उन्होंने मुस्कराकर जवाब दिया,
"बहुत साल पहले एक हादसे में मेरा पैर चला गया था बेटा... तब से छोटा-मोटा काम करके जैसे-तैसे अपना पेट पालता हूँ।"
फिर मैंने पूछा, "आज कुछ खाया आपने?"
तो उनका जवाब था, "नहीं बच्चा, आज सुबह से कुछ नहीं खाया है।"
ये सुनकर दिल टूट सा गया। मैंने तुरंत उन्हें खाना दिया और थोड़ी सी मदद करने की कोशिश की।
उनकी आंखों से निकली दुआएं और वो सच्चे दिल से मिला आशीर्वाद—शायद ज़िंदगी की सबसे कीमती कमाई थी।
सीख यही है कि हमें जहां भी किसी ज़रूरतमंद की मदद करने का मौका मिले, उसे जाने ना दें। क्योंकि किसी के चेहरे पर मुस्कान लाना सबसे बड़ा इंसानियत का काम है।
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"मैंने एक छोटा-सा कदम उठाया है—फुटपाथ पर रहने वाले नन्हे सपनों को पढ़ाने का। जब ये मासूम आँखें सीखने की चमक से जगमगाती हैं, तो लगता है जैसे मेरी दुनिया संवर गई। अगर हम सब थोड़ा-थोड़ा प्यार और समय बांटें, तो किसी की ज़िंदगी बदल सकती है।"
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