बचेंगे तो सूरज के पश्चिम से निकलने की उम्मीद करने वाले तमाशबीन भी नहीं ..!!
आतंकियों को हवाई जहाज में साथ बिठा कर कंधार ( अफगानिस्तान ) छोड़ने जाने , गुजरात नरसंहार को अंजाम देने, मालेगांव ब्लास्ट के आरोपियों को बचाने - संसद में पहुँचाने , पुलवामा हमले की जाँच में जान - बूझ कर कोताही बरतने , उस पर पर्दा डालने, मणिपुर को जलाने - जलने के लिए छोड़ देने वालों से आप अगर आतंकवाद पर अंकुश लगाए जाने की उम्मीद कर रहे हैं, तो आपकी उम्मीद सूरज के पश्चिम से निकलने की उम्मीद करने जैसी है ..
सवाल उठाना है तो बेख़ौफ़ हो कर उठाईए .. लेकिन अगर जाहिलों की गाली सुनने और कार्रवाई किए जाने की आशंका से भयाक्रांत हैं तो तमाशबीन बन एक राजनीतिक जमात विशेष और उसकी रखैल मीडिया के द्वारा देश को बर्बाद किया जाना देखिए ..
बचेगा कोई नहीं ..मौन रहने वाले तमाशबीन भी भुगतेंगे , गलत को सही बताने वाले , हाँ में हाँ मिलाने वाले भी भुगतेंगे और अफ़सोस के साथ मरेंगे , मगर सवाल उठाने वालों को इस बात का अफ़सोस तो कतई नहीं होगा कि जब देश को बर्बाद , जम्हूरियत को जमूरा बनाया जा रहा था तो वो अकर्मण्यों की भाँति जमूरों की भीड़ का हिस्सा थे ..
