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2 años - Traducciones

Period Pains but No Period Could I Be Pregnant?

Period Pains but No Period Could I Be Pregnant? Early pregnancy may manifest as period-like pains, a potential sign alongside missed periods. Understand pregnancy symptoms and the nuances of early pregnancy discomfort. Stay informed about the possibility of a sign of early pregnancy even without typical symptoms. For complete details about it read more :- https://lifetrixcorner.com/per....iod-pains-but-no-per
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Period Pains but No Period Could I Be Pregnant?

Your periods are not scheduled to arrive for another week or so, according to your calendar. But you have been experiencing cramps

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फाँसी के पहले का ठहाका
11 अगस्त 1908 को सुबह छह बजे खुदीराम बोस को फांसी के फंदे पर झुलाया जाने वाला था । रात को उनके पास जेलर पहुँचा । जेलर को खुदीराम से पुत्रवत् स्नेह हो गया था । वह 10 अगस्त की रात को चार रसीले आम लेकर उसके पास पहुँचा ओर बोला " खुदीराम , ये आम मैं तुम्हारे लिए लाया हूँ । तुम इन्हें चूस लो । मेरा एक छोटा सा उपहार स्वीकार करो । मुझे बड़ा संतोष होगा । " खुदीराम ने जेलर से वे आम लेकर अपनी कोठरी में रख लिये और कह दिया कि " थोड़ी देर बार मैं अवश्य इन आमों को चूस लूंगा । " 11 अगस्त को सुबह जेलर फाँसी के लिए खुदीराम बोस को लेने पहुंच गया । खुदीराम तो पहले से ही तैयार थे । जेलर ने देखा कि उसके द्वारा दिए गए आम वैसे - के - वैसे रखे हुए हैं । उसने खुदीराम से पूछा " क्यों खुदीराम ! तुमने ये आम चूसे नहीं । तुमने मेरा उपहार स्वीकार क्यों नहीं किया ? " खुदीराम ने बहुत भोलेपन से उत्तर दिया " अरे साहब ! जरा सोचिए तो कि सुबह ही जिसको फाँसी के फंदे पर झूलना हो , क्या उसे खाना - पीना सुहाएगा ? " जेलर ने कहा - " खैर , कोई बात नहीं , मैं ये आम खुद उठाए लेता हूँ और अब इन्हें तुम्हारा उपहार समझकर मैं चूस लूँगा । ' ' यह कहकर जेलर ने वे चारों आम उठा लिये । उठाते ही आम पिचक गए । खुदीराम बोस जोर से ठहाका मारकर हँसे और काफी देर तक हँसते रहे । उन्होंने जेलर साहब को बुद्धू बनाया था । वास्तव में उन्होंने उन आमों का रस चूस लिया था और हवा भरकर उन्हें फुलाकर रख दिया था । जेलर महोदय उसकी मस्ती को देखकर मुग्ध और आश्चर्यचकित हुए बिना न रह सके । वे सोच रहे थे कि कुछ समय पश्चात् मृत्यु जिसको अपना ग्रास बना लेगी , वह अट्टहास करके किस प्रकार मृत्यु की उपेक्षा कर रहा है ।
वह कौन सी मस्ती थी कैसा उनका अद्भुत ज्ञान था वास्तव में आप जैसे महापुरुषों का जीवन चरित्र जानकर हृदय गदगद हो उठता है और बार बार एक ही प्रार्थना मां भारती से निकलती है कि मां यह मातृभूमि रत्नगर्भा है और खुदी राम जी जैसे लोग इस मातृभूमि के रत्न है ! ऐसे महापुरुष बार-बार हमारी मातृभूमि और संस्कृति में अवतरण ले ऐसी मंगल कामना है ! एक बार पुनः हृदय से नमन !

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