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वणी सूत री सींदरी, वणी सूत री पाग।
बंधवा बंधवा में फरक, जश्यो जणी रो भाग।।

अर्थात सूत को बंट कर रस्सी बनायी जाती है और सूत से ही पगड़ी बनायी जाती है। लेकिन इन दोनों के बाँधने में अंतर होता है। रस्सी से पशुओं को बांधा जाता है तो वहीं पगड़ी सर की शोभा बढाती है। अत: जिसका जैसा भाग्य होता है, वह वैसा ही पाता है।

- प्रसिद्ध लोककवि बावजी चतुर सिंह जी (करजाली - मेवाड़)

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मेवाड़ के महाराणा अमरसिंह जी व उनके बाद के सभी महाराणाओं व राजपरिवार की छतरियां (महासतिया, आहाड़ - उदयपुर)

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उम्मेद भवन पैलेस (जोधपुर)

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उदयपुर की पिछोला झील का रियासतकालीन दृश्य

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महान सम्राट पृथ्वीराज जी चौहान

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खानवा के भीषण युद्ध में वीरगति पाने वाले राजा माणिकचन्द चौहान (राजौर - एटा)

ये मेवाड़ के कोठारिया ठिकाने के चौहानों के पूर्वज हैं।

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चालुक्य नरेश राजा भीमदेव प्रथम की रानी उदयमती जी द्वारा बनवाई गई रानी की वाव (पाटन - गुजरात)

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मेहरानगढ़ दुर्ग (जोधपुर)

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