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इस बार तो कांग्रेस ने ही #संजीवनी की
व्यवस्था कर दी है बजरंग दल के लिए....
बहुत सारे लोगों की शिकायत थी कि नरेंद्र मोदी के
प्रधानमंत्री रहते, हिंदू संगठनों को किनारे लगा दिया गया।
90 के दशक में बजरंग दल युवाओं का एक मजबूत, प्रभावशाली संगठन था।
बजरंग दल को संगठित और मजबूत बनाया था अशोक सिंघल जी ने। उन्होंने विनय कटियार को इसका अध्यक्ष बनाया था।
बजरंग दल सुरक्षात्मक रणनीति से अधिक आक्रमकता पर विश्वास करता था। जैसा कि अशोक सिंघल ने उसे मंत्र दिया था।
'यदि कोई पूंछ में आग लगायेगा तो हम पूरा महल फूंक देंगें।'
अशोक सिंघल के जाते ही, बजरंग दल कमजोर पड़ने लगा। संघ प्रमुख भागवत के आने के बाद (जो उदारवादी छवि रखते है) बजरंग दल और कमजोर पड़ गया।
सदस्यों की संख्या घटने लगी। कभी कभी गोरक्षा, वेलंटाइन डे आदि के विरोध से अपनी उपस्थिति दर्ज कराते थे। ऐसा बहुत से पत्रकारों का मानना था कि बजरंग दल, स्वेदशी जागरण मंच जैसे संगठनों को अपनी सरकार की छवि के लिये नरेंद्र मोदी ने दंतविहीन किया है।
भाजपा के लिये दक्षिण का द्वार कहे जाने वाले राज्य कर्नाटक चुनाव ने बजरंग दल को पुनर्जीवित कर दिया है।
यह काम भाजपा ने नहीं, कांग्रेस ने किया है। कांग्रेस के कट्टर समर्थक पत्रकार भी हैरान हैं। कांग्रेस ने घोषणा पत्र में बजरंगदल को प्रतिबिंबित करने का वादा किया।
पहली बात तो यही है कि बजरंगदल, अलग से कोई संगठन नहीं है। वह विश्व हिन्दू परिषद की एक इकाई है।
दूसरी बात यह है कि यदि यह मान भी लिया जाए कि बजरंग दल का कोई सदस्य हिंसा में लिप्त था, तो कांग्रेस के हजारों सदस्य हिंसा में लिप्त रहे हैं। 84 के दंगे में उसके बड़े बड़े नेता हिंसा में लिप्त पाए गए।
फिर कांग्रेस को भी क्या प्रतिबंधित कर दिया जाय ??
लेकिन बात यह नहीं है। कांग्रेस "हिंदू विरोधी मानसिकता" से निकल नहीं पाती है।
पिछले चुनाव में उसने लिंगायतों को हिंदू धर्म से अलग करने का वादा किया था।
बजरंगदल पर प्रतिबंध के वादे को प्रधानमंत्री ने तुरंत पकड़ लिया। अपनी रैलियों में बजरंगबली के जयकारे लगवाये।
इससे घबराकर कांग्रेस के डी शिव कुमार अब कह रहे हैं कि कांग्रेस सत्ता में आई तो पूरे कर्नाटक में हनुमान मंदिर बनेंगे।
लेकिन गौर करने वाली बात ये है कि यह मुद्दा, जिसे साम्प्रदायिक कहा जा रहा है, उसको किसने उठाया, उठाया ही नहीं बल्कि घोषणापत्र में शामिल किया।
ताजा सर्वे कहते हैं कि इससे भाजपा ने बढ़त बना ली है।
चुनाव में क्या होगा, यह तो पता नहीं लेकिन कांग्रेस ने बजरंगदल को जीवित अवश्य कर दिया। उनके सदस्यों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। पूरे देश में बजरंगदल विरोध कर रहा है।
कम से कम बजरंगदल के लिये कांग्रेस का घोषणापत्र संजीवनी का काम किया है।