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जय श्री राम 🙏🚩🚩🚩

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बिहार बोर्ड ने मैट्रिक का रिज़ल्ट जारी किया है। जिसमें इस्लामिया हाई स्कूल शेख़पुरा के "मुहम्मद रूमान अशरफ़" ने 97.8% नंबर के साथ पूरे बिहार प्रदेश में टॉप किया है।

रूमान अशरफ़ को मुबारकबाद। अल्लाह बेहतर मुस्तक़बिल फ़रमाए।

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इस नौजवान का नाम सिब्तैन रज़ा है। सिब्तैन बिहार के ज़िला राजकीय कृत उच्च विद्यालय खुटाहीं से 10वीं के इम्तिहान में मुज़फ़्फ़रपुर ज़िला में पहला मुक़ाम हासिल किया है। सिब्तैन बिहार प्रदेश के टॉप टेन लिस्ट में भी शामिल है।
मुबारकबाद। अल्लाह मुस्तक़बिल रौशन करे।

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मस्जिद-अल-हरम के बेहद खूबसूरत तसावीर।❤️
#masjidalharam #makkah #ramadankareem

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मस्जिद-अल-हरम के बेहद खूबसूरत तसावीर।❤️
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मस्जिद-अल-हरम के बेहद खूबसूरत तसावीर।❤️
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मदरसा अज़ीज़िया के जलने का मतलब..!
बिहार शरीफ़ के सबसे पुराने मदरसे मदरसा अज़ीज़िया को पूरी तरह जला कर ख़ाक कर दिया जाना इस लिए भी बहुत अफ़सोसनाक है, क्यूँकि इस आग में सौ साल की एक पूरी तारीख़ जल कर ख़ाक हो गई है। क्यूँकि ये बिहार में ख़ुदा बख़्श लाइब्रेरी के इलावा इकलौता ईदारा था, जिसका पूरा स्ट्रक्चर वही था, जो इसके खुलने के वक़्त था। रेयर फ़र्नीचर, रेयर अलमीरा, और उसमे उस वक़्त की रेयर किताबें… इसके इलावा इसके पास कई नादिर नादिर मक़तूतात जो मांतिक, फ़लसफ़ा, तिब पर थीं, जिसे अपने वक़्त के बड़े जय्यद जय्यद उलमा ने तरतीब दिया था। मदरसे के प्रिंसिपल मौलाना क़ासिम के अनुसार नादिर किताब और मक़तूतात जो इस आग में जल कर राख हो गईं, उसकी तादाद क़रीब 4500 से ऊपर थीं।
एक और क़ाबिल ए ग़ौर चीज़ ये है की लोगों की नज़र में ये बस आम मदरसा है, जो मुसलमानो के चंदे से चलता था, जबकि ऐसा नहीं है। ये बिहार का पहला वेल-ऑर्गनाइज़्ड मदरसा है। इसकी एक अपनी सुनहरी तारीख़ है, जो आज तक क़ायम थी। ये बिहार का पहला मदरसा है जिसके पास वक़्फ़ की हुई बहुत बड़ी जायदाद थी। जिस वजह कर यहाँ पढ़ाने वाले मौलवी को चंदे के पैसे से नहीं, बल्कि उस वक़्फ़ की हुई जायदाद से हुई आमदनी से तनख़्वाह मिलती थी। और जब 1920 में मदरसा बोर्ड का क़याम बिहार के पहले शिक्षा मंत्री सैयद फ़ख़रुद्दीन ने किया, तो मदरसा अज़ीज़िया भी मदरसा शम्सुल होदा की तरह एक सरकारी मदरसा हो गया। लेकिन इसमें सोगरा वक़्फ़ स्टेट का दख़ल भी रहा, क्यूँकि इस मदरसा को बिहार के इतिहास की सबसे दानी महिला बीबी सोग़रा ने अपने शौहर अब्दुल अज़ीज़ की याद में खोला था। 1896 में बीबी सोग़रा ने अपनी सारी जायदाद जिस की सालाना आमदनी उस वक़्त एक लाख बीस हज़ार थी उसे तालीमी और समाजी कामों के लिए वक़्फ़ कर दी। जिस का निज़ाम आज भी सोगरा वक़्फ़ स्टेट बिहार शरीफ़ नालंदा के ज़रिये होता है।
सोगरा वक़्फ़ स्टेट के ज़ेर ए निगरानी मदरसा अज़ीज़या, सोगरा हाई स्कूल और सोगरा कॉलेज जैसे तालीमी इदारे आज भी जारी हैं, इन सब में सबसे पहले कोई वजूद में आया तो वो मदरसा अज़ीज़या था। ये उस इलाक़े का एक मशहूर दिनी तालीम मरकज़ है, जहाँ कसीर तादाद में बच्चे रह कर पढ़ाई करते थे, जो कोविड आने से पहले तक जारी था। यहाँ से पढ़ कर निकलने वालों की एक बड़ी तादाद है, जिसमे मुफ़्ती निज़ामुद्दीन (देवबंद), मौलाना अबू सलमा (कलकत्ता) आदि का नाम क़ाबिल ए ज़िक्र है।
पिछली सदी में मुसलमानों के जितने भी बड़े लोग बिहार शरीफ़ इलाक़े से निकले हैं, उनमें से अधिकतर ने यहाँ से पढ़ाई की है। आज कल ये Adolescent Education Program का मरकज़ भी था। कुछ माह पहले यूनाइटेड नेशन की एक टीम Andrea M Wojnar की क़ायदत में यहाँ का दौरा कर के गईं थी, जिसने यहाँ के निज़ाम की काफ़ी तारीफ़ भी की।
आज मदरसा अज़ीज़िया में 10 टीचर और 2 नॉन टिचिंग सरकार की जानिब से हैं। वहीं 5 टीचर को सोग़रा वक़्फ़ स्टेट की तरफ़ से तनख़्वाह मिलता था। यहाँ क़रीब 500 बच्चे पढ़ाई करते हैं, जिनमें लड़के और लड़कियाँ दोनों हैं। जिन्हें क्लास अव्वल से फ़ाज़िल तक की पढ़ाई दी जाती थी।
निसाब ए तालीम यानी सेलेबस असरी और दीनी तालीम का
संगम था। जहाँ क़ुरान, हदीस, फ़िक़ह के साथ मांतिक, फ़लसफ़ा, तिब भी पढ़ाया जाता था और साथ ही हिंदी, इंगलिश, उर्दू, अरबी, मैथ्स, भूगोल आदि की पढ़ाई होती थी। कुल मिला कर ये बिहार का एक मॉडल मदरसा था, था इस लिए क्यूँकि फ़साद का बहाना बना कर इसे आग के हवाले किया जा चुका है। और इसमें मंज़ूरीनामा से लेकर बेसिक डॉक्यूमेंटेशन तक ख़त्म हो चुका है। जिसका असर आने वाले दिनों में दिखेगा।
ज़ी न्यूज़ से बात करते हुए मदरसा अज़ीज़िया के सचिव ने इस पूरे वाक़िये को नालंदा विश्वविद्यालय के जलाये जाने से जोड़ा है। उन्होंने कहा जिस तरह से नालंदा यूनिवर्सिटी के साथ कभी हुआ था, उसका दूसरा रूप लोगों ने मदरसा अज़ीज़िया के साथ किया है।
- - वैसे कुछ साल पहले 2017 में भी मदरसा अज़ीज़िया को नुक़सान पहुँचाया गया था। तब यहाँ पर पुलिस को काफ़ी लंबे समय तक तैनात किया गया था।

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