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हाहाकार मचा हुआ है... नैनीताल जाम, भीमताल जाम, रानीखेत जाम, अल्मोड़ा जाम, शिमला जाम, मनाली जाम, हरिद्वार जाम, ऋषिकेश जाम, धर्मशाला जाम, मैक्लोडगंज जाम, बद्रीनाथ जाम, केदारनाथ जाम... हर तरफ जाम।
टूरिस्ट कह रहे हैं कि पहाड़ के लोग, टैक्सी और दूसरे वाहन वाले लूट रहे हैं। पहाड़ के लोग कह रहे हैं कि टूरिस्ट खराब हैं। आठ दस किलोमीटर लंबे जाम में फँसा आदमी कह रहा है कि उसकी गाड़ी से अगली गाड़ी आगे नहीं सरक रही है, इसलिए जाम लगा है। हर पीछे वाला, आगे वाले को कोस रहा है। अपने बगल वाले को कोस रहा है कि इसने गाड़ी फँसा दी, इसलिए जाम लगा है।
आपस में मारपीट हो रही है। लाखों के मालिक, हजारों खर्च करने के बाद भी धूप में और रात में अपनी कार में ही सोने को मजबूर हैं। खाने पीने की, रहने की, पेट्रोल की... जबरदस्त मारा मारी है।
भेड़धंसान है। नये-नये पैसेवाले पगलाये हुए हैं। पैसा है तो तफरी भी होनी चाहिए, पर लाखों करोड़ों लोग.. एक साथ तफरी पर निकलेंगे तो... उतनी जगह ही कहां है धरती पर। सारी व्यवस्था तो चरमरा ही जायेगी। अब ऐसे में पहाड़ में भूकंप आ जाय तो...
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पर जय हो भारत भाग्य विधाता।