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ये आत्महत्या नहीं... "हत्या" है

निकिता की इस हंसी के पीछे न जाने कितनी साज़िशें छुपी थीं, लेकिन अतुल सुभाष साफ दिल से ये फोटो खींच रहा था...

अतुल सुभाष के एक नजदीकी मित्र ने बताया
कि अतुल शुरू से ही बेहद गंभीर व जीवन में सफल होने की प्रबल इच्छा रखने वाला व्यक्ति था, लेकिन एक गलत महिला के कारण आज वो इस दुनिया में नहीं है

ऐसा नहीं कि अतुल जिंदगी से लड़ने में पीछे था लेकिन कभी कभी अपनों द्वारा दिए गए दर्द को बर्दास्त कर पाना मुश्किल हो जाता है, वो जिनके लिए दुनिया से लड़ने की ताकत रखता था जब वही अपने दुनिया के साथ मिलकर अतुल से लड़ने लगे तो अतुल टूट गया और अपनों से जीतने की जगह उसने खुद से हार मान ली..

निकिता शादी के बाद से ही अतुल पर गैर जरुरी दबाव डालती थी उसे इस बात का घमंड शादी के दिन से ही था कि वो महिला है और सारे कानून समाज हर गलती में उसके साथ खड़े हैं अक्सर अतुल से इसको लेकर बहस करती थी, लेकिन बेटा होने के बाद से निकिता पूरी तरह बदल गयी, निकिता का भाई हर गलती में निकिता का पक्ष लेकर अतुल को जलील करता रहता था... और अक्सर निकिता से पैसे मांग लेता था, अतुल के खून पसीने की कमाई के कई लाख रूपये निकिता अपने भाई को दे चुकी थी...

एक बार जब अतुल ने पैसे मांगे तो निकिता के भाई ने निकिता को इस तरह घुमाया कि निकिता अतुल के ही खिलाफ होकर अपने भाइयों के साथ मिलकर अतुल और उसके परिवार को भारी बेइज्जत कर गयी...

जिसके बाद से अतुल निकिता के संबंध कभी सुधर न पाए, और मामला कोर्ट पंहुच गया, अतुल से निकिता ने समझौते के बदले पहले 50 लाख... फिर एक करोड़ और फिर 3 करोड़ की मांग की..
निकिता का मुँह बढ़ता देख अतुल ने केश लड़ना उचित समझा और तारीखें करने लगा, लोकल में अच्छी जान पहचान होने की वजह से निकिता के भाई ने फटाफट केस के कुछ ही दिन बाद जज वकीलों से सेटिंग करके बच्चे के नाम पे अतुल की सैलरी का 50% से ज़्यादा मेंटिनेन्स बंधवा लिया...

सिर्फ पैसे की बात होती तो शायद अतुल बर्दास्त कर जाता लेकिन इसके साथ साथ निकिता अक्सर अतुल के माँ बाप को जलील करती थी और अतुल को फोन करके गन्दी गंदी गालियां देती थी जिससे अतुल अवसाद में आ गया.. और एक दिन ऐसा आया कि अतुल ने अपनों से जीतने की जगह हारना स्वीकार किया..

और आज अतुल इस दुनिया में नहीं है

निकिता अतुल की प्रॉपर्टी के हसीन सपनों की दुनिया में आज भी खोई हुईं है क्यूंकि अतुल की मौत भी उसकी प्लानिंग का एक हिस्सा थी.

इस सच्चाई को पढ़कर आपका क्या विचार है ?

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