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आइंस्टीन के जो ड्राइवर थे, उन्होंने एक दिन आइंस्टीन से कहा- " सर,आप हर सभा में जो भाषण देते हैं, वह मैंने याद कर लिया है।''

-आइंस्टीन हैरान रह गये!

फिर उन्होंने कहा, "ठीक है, मैं अगली बैठक में जहां जा रहा हूं, वे मुझे नहीं जानते, आप मेरे स्थान पर भाषण दीजिए और मैं ड्राइवर बनूंगा।"

- ऐसे ही हुआ अगले दिन बैठक में ड्राइवर मंच पर चढ़ गई और ड्राइवर ने हूबहू आइंस्टीन की भाषण देने लगा....

दर्शकों ने जमकर तालियां बजाईं. फिर वे यह सोचकर गाड़ी के पास आए कि ड्राइवर आइंस्टीन है।

- तभी एक प्रोफेसर ने ड्राइवर से पूछा, ''सर, रिश्तेदार ने क्या कहा, क्या आप एक बार फिर संक्षेप में बताएंगे?''

- असली आइंस्टीन ने देखा बड़ा खतरा !!

इस बार ड्राइवर पकड़ा जाएगा। लेकिन ड्राइवर का जवाब सुनकर वह हैरान रह गये....

ड्राइवर ने उत्तर दिया. -"क्या यह साधारण बात आपके दिमाग में नहीं आई?

मेरे ड्राइवर से पूछिए वह आपको समझाएंगे "

नोट : "यदि आप बुद्धिमान लोगों के साथ चलते हैं, तो आप भी बुद्धिमान बनेंगे और मूर्खों के साथ ही सदा उठेंगे-बैठेंगे तो आपका मानसिक तथा बुद्धिमता का स्तर और सोच भी उन्हीं की भांति हो जाएगी..!!
#alberteinstein
साभार सोशल मीडिया 👏

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बहुत ही अच्छा लगा पढ़ने के बाद आप लोग भी पढ़िए.... ।।।👇

#नागासाधू
जब अहमद शाह अब्दाली दिल्ली और मथुरा में मार काट करता गोकुल तक आ गया और लोगों को बर्बरतापूर्वक काटता जा रहा था. महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे थे, तब गोकुल में अहमदशाह अब्दाली का सामना नागा साधुओं से हो गया।
कुछ 5 हजार चिमटाधारी पूज्य नागा साधु तत्काल सेना में तब्दील होकर लाखों की हबसी, जाहिल जेहादी सेना से भिड गए।
पहले तो अब्दाली साधुओं को मजाक में ले रहा था किन्तु कुछ देर में ही अपने सैनिकों के चिथड़े उड़ते देख अब्दाली को एहसास हो गया कि ये साधू तो अपनी धरती की अस्मिता के लिए साक्षात महाकाल बन रण में उतर गए।
तोप तलवारों के सम्मुख चिमटा त्रिशूल लेकर पहाड़ बनकर खड़े 2000 नागा साधू इस भीषण संग्राम में वीरगति को प्राप्त हो गए लेकिन सबसे बड़ी बात ये रही कि दुश्मनों की सेना चार कदम भी आगे नहीं बढ़ा पाई जो जहाँ था वहीं ढेर कर दिया गया या फिर पीछे हटकर भाग गया..

इसके बाद से ऐसा आतंक उठा कि अगर किसी जिहादी आक्रांता को यह पता चलता कि युद्ध में नागा साधू भाग ले रहे हैं तो वह आक्रांता लड़ता ही नहीं था । डर कर दुम दबा कर भाग जाता था।

हमारा इससे बड़ा दुर्भाग्य कुछ नहीं है कि आज हम औरंगजेब, तैमूर,अकबर जैसे बर्बर लुटेरो को तो याद रखते हैं, पर इन भारतीय वीर योद्धाओं के बारें में कुछ नहीं जानते जिन्होंने पग पग पर देश धर्म के लिए अपने बलिदान दिए हैं....
हर हर महादेव 👏

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वैज्ञानिको ने खोज किया है कि चीटियां अनाज और बीजों को जमा करने के बाद !
उनको जमीन में ले जाने और उन्हें जमीन के अंदर अपने बिलों में रखने से पहले दो हिस्सों में तोड़ देती हैं

क्योंकि अगर आनाज वा बीज दो हिस्सों में ना किया जाए तो वह जमीन के अंदर ही फूट जाता है, और एक पौधा बन जाता है

उन्होंने हैरत से कहा कि चीटियां धनिया के बीज को चार हिस्सों में करती हैं क्योंकि एक धनिया का बीज ही है जो दो हिस्सों में होने के बाद भी फूट सकता है

इसलिए चीटियां इस को चार हिस्सों में काटकर रखती हैं फिर अपने बिलों के अंदर जमा करके रखती हैं

सोचने की बात इन सब को यह किसने सिखाया ??

ईश्वर की माया आपार है जिसको कोई नही समझ सकता..
जय हिंद जय भारत

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