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यह पोस्ट केवल एक याद नहीं, बल्कि उस इंसान को श्रद्धांजलि है जिसने अपनी पूरी ज़िंदगी सिनेमा और कला के नाम कर दी। पापा जी ने अपने जीवन का हर पल इस सोच के साथ जिया कि दर्शकों तक कुछ ऐसा पहुंचे जिससे उन्हें खुशी, सीख और प्रेरणा मिले। सिनेमा उनके लिए सिर्फ एक पेशा नहीं, बल्कि उनका जुनून, उनकी पहचान और उनकी आत्मा था।
आज उनकी पुण्यतिथि पर हम सब उन्हें याद कर रहे हैं। वह सिर्फ एक कलाकार नहीं थे, बल्कि अपने चाहने वालों के दिलों में बसने वाले इंसान थे। उन्होंने हमें यह सिखाया कि असली कामयाबी वही है, जो जाने के बाद भी लोगों की यादों में जिंदा रहे। उनकी मेहनत, उनका संघर्ष और उनका समर्पण आज भी प्रेरणा देता है।
पापा जी की कमी कभी पूरी नहीं हो सकती, लेकिन उनकी बनाई हुई पहचान और उनका काम हमेशा अमर रहेगा। उनके चाहने वालों के लिए यह दिन सिर्फ दुख का नहीं, बल्कि उनकी यादों को सलाम करने का भी है।

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कॉमेडी के बादशाह असरानी जी ने अपनी अदाकारी और बेहतरीन टाइमिंग से दशकों तक दर्शकों को हँसाया और मनोरंजन किया है। उन्होंने भारतीय सिनेमा को अनगिनत यादगार किरदार दिए, जो आज भी लोगों की जुबां पर हैं। लेकिन उम्र केवल एक संख्या है, और इसका सबसे बड़ा सबूत असरानी जी ने 84 साल की उम्र में पेश किया है। उन्होंने Doctor of Arts की डिग्री हासिल कर यह दिखा दिया कि सीखने और आगे बढ़ने की कोई उम्र नहीं होती।
यह उपलब्धि केवल उनके लिए ही नहीं, बल्कि हम सबके लिए प्रेरणा है। जहां लोग इस उम्र में आराम और सुकून चुनते हैं, वहीं असरानी जी ने मेहनत और लगन से एक नई पहचान बनाई। यह साबित करता है कि असली कलाकार कभी रुकते नहीं, बल्कि हर पल कुछ नया सीखते और करते रहते हैं।
अफसोस की बात यह है कि इतनी बड़ी उपलब्धि पर अभी तक किसी ने उन्हें बधाई तक नहीं दी। यह हमारा फ़र्ज़ बनता है कि हम असरानी जी को सम्मान और शुभकामनाएँ दें। उनका यह कदम हर युवा और बुजुर्ग के लिए प्रेरणा है कि सपनों की कोई एक्सपायरी डेट नहीं होती।

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देश में युवा प्रतिभाओं की कोई कमी नहीं है, और आज हम बात कर रहे हैं जाह्नवी पंवार की—जो सिर्फ 21 साल की उम्र में इतिहास रचने में कामयाब रही हैं। उन्होंने IT दिल्ली में PhD प्रोग्राम में प्रवेश लेकर यह साबित कर दिया कि अगर लगन, मेहनत और दृढ़ संकल्प हो तो उम्र सिर्फ एक संख्या भर है।
जाह्नवी की यह उपलब्धि न केवल उनके परिवार और दोस्तों के लिए गर्व का विषय है, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा भी है। इतनी कम उम्र में उच्च शिक्षा के इस स्तर तक पहुँचना और शोध के क्षेत्र में अपना कदम रखना आसान नहीं है। यह वह मिसाल है जो हर युवा को यह सिखाती है कि सपनों को छोटा मत समझो और अपनी मेहनत में विश्वास रखो।
फिर भी, इस महान उपलब्धि को उचित सराहना नहीं मिली। सोशल मीडिया पर या आस-पास के लोगों ने उन्हें बधाई देने में कंजूसी दिखाई। लेकिन असली प्रेरणा वह होती है जो बिना शोर-शराबे के कामयाबी हासिल करती है।

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बे. ਅ. D/B के मामलों से जुड़ी बड़ी खबर!
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साथ चलो बदलाव जरूर आयेगा। लव जिहाद पूर्ण रूप से बंद होगा??

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एक ही महिला से थे दोनों के अवैध संबंध, रात में चाचा पहुंचा तो पहले से बैठे भतीज ने लाठी मारकर की हत्या?

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मां... मैं यहां हूं, मुझे मत छोड़ो पत्थरों में दबा मासूम, मुंह पर चिपकी फेवी क्विक..😥🥺
मां मैं यहां हूं... मेरी छोटी-छोटी सांसें तुम्हारे प्यार की तलाश कर रही हैं. मेरे छोटे हाथ तुम्हारे हाथ को छूना चाहते हैं, मेरे छोटे कदम तुम्हारे कदमों का सहारा चाहते हैं. लेकिन ये पत्थर... ये फेवी क्विक... मुझे तुम्हारे पास जाने नहीं दे रही. कोई नहीं सुन सकता मेरी पुकार...' राजस्थान के भीलवाड़ा में पत्थरों के नीचे दबाया गया 10 दिन का मासूम यदि बोल सकता, तो शायद यही बातें अपनी मां से कहता. भीलवाड़ा में पत्थरों के नीचे दबे इस नन्हें नवजात को समय रहते बचा लिया गया.😭

बायो में दिए लिंक में पढ़ें पत्थर के नीचे से जिंदगी की गुहार

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ये है हमारी धरोहर इनका सम्मान और हमारी शान जय उत्तराखंड,

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