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यूपी- मैनपुरी के रमपुरा गांव से 21 दिसंबर 2022 को शमशाद अली की 14 वर्षीय बेटी 'मनतारा' का किडनैप होता है। पिता शमशाद पुलिस के पास जाते हैं पुलिस कहती है ढूंढेंगे ढूंढेंगे, यही कहते 8 दिन बीत जाता है। शमशाद को पता चलता है उनकी बेटी को पंजाब ले जाया गया है। शमशाद अपने कुछ लोगों के साथ पंजाब के लिए निकल जाते हैं। शमशाद अलीगढ़ पहुंचते हैं तो उनके बेटे सलमान की कॉल आती है कि अब्बा दो और बहनें निशा (22) और मुस्कान (16) भी आज ग़ायब हैं।
26 जनवरी को उसी मैनपुरी के भोगांव की दो और नाबालिग़ लड़कियां भी ग़ायब हैं। तीन सगी लापता बहनों के भाई सलमान ने प्रशासन से दरख़्वास्त की है कि- "मेरी बहनों को जल्द ढूंढने की कार्रवाई की जाए नहीं तो मैं कुछ ग़लत क़दम उठा लूंगा"
लापता हुई तीन बेटियों के पिता शमशाद का कहना है। इस किडनैपिंग का तार पंजाब से जुड़ा हुआ है। इसमें एक राकेश नामी शख़्स शामिल है।

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यूपी- मैनपुरी के रमपुरा गांव से 21 दिसंबर 2022 को शमशाद अली की 14 वर्षीय बेटी 'मनतारा' का किडनैप होता है। पिता शमशाद पुलिस के पास जाते हैं पुलिस कहती है ढूंढेंगे ढूंढेंगे, यही कहते 8 दिन बीत जाता है। शमशाद को पता चलता है उनकी बेटी को पंजाब ले जाया गया है। शमशाद अपने कुछ लोगों के साथ पंजाब के लिए निकल जाते हैं। शमशाद अलीगढ़ पहुंचते हैं तो उनके बेटे सलमान की कॉल आती है कि अब्बा दो और बहनें निशा (22) और मुस्कान (16) भी आज ग़ायब हैं।
26 जनवरी को उसी मैनपुरी के भोगांव की दो और नाबालिग़ लड़कियां भी ग़ायब हैं। तीन सगी लापता बहनों के भाई सलमान ने प्रशासन से दरख़्वास्त की है कि- "मेरी बहनों को जल्द ढूंढने की कार्रवाई की जाए नहीं तो मैं कुछ ग़लत क़दम उठा लूंगा"
लापता हुई तीन बेटियों के पिता शमशाद का कहना है। इस किडनैपिंग का तार पंजाब से जुड़ा हुआ है। इसमें एक राकेश नामी शख़्स शामिल है।

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यूपी- मैनपुरी के रमपुरा गांव से 21 दिसंबर 2022 को शमशाद अली की 14 वर्षीय बेटी 'मनतारा' का किडनैप होता है। पिता शमशाद पुलिस के पास जाते हैं पुलिस कहती है ढूंढेंगे ढूंढेंगे, यही कहते 8 दिन बीत जाता है। शमशाद को पता चलता है उनकी बेटी को पंजाब ले जाया गया है। शमशाद अपने कुछ लोगों के साथ पंजाब के लिए निकल जाते हैं। शमशाद अलीगढ़ पहुंचते हैं तो उनके बेटे सलमान की कॉल आती है कि अब्बा दो और बहनें निशा (22) और मुस्कान (16) भी आज ग़ायब हैं।
26 जनवरी को उसी मैनपुरी के भोगांव की दो और नाबालिग़ लड़कियां भी ग़ायब हैं। तीन सगी लापता बहनों के भाई सलमान ने प्रशासन से दरख़्वास्त की है कि- "मेरी बहनों को जल्द ढूंढने की कार्रवाई की जाए नहीं तो मैं कुछ ग़लत क़दम उठा लूंगा"
लापता हुई तीन बेटियों के पिता शमशाद का कहना है। इस किडनैपिंग का तार पंजाब से जुड़ा हुआ है। इसमें एक राकेश नामी शख़्स शामिल है।

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सऊदी अरब की हुकूमत ने पिछले हफ़्ते सीरिया और तुर्की में आए ज़लज़लों से मुतअस्सिरीन के लिए पहले मरहले में तीन हज़ार टेंपरेरी घर बनाने का ऐलान किया है।
"किंग सलमान इंसानी इमदाद और रिलीफ़ सेंटर" के चेयरमैन अब्द-उ-ल्लाह बिन अब्द-उल-अज़ीज़ ने कहा- "सऊदी अरब पहले मरहले में तुर्की और सीरिया में तीन हज़ार घर बनाएगा जो घर तमाम बुनियादी सहूलियात से लैस होगा"
#saudiarabia #turkey #syria

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शेख़ अहमद दीदात 1918 में सूरत गुजरात में पैदा हुए। उनके वालिद सिलाई का काम करते थे पर कमाई इतनी नहीं थी कि घर का ख़र्च सुचारू रूप से चल सके, उस समय पैसे कमाने के लिए गुजरात के लोग साऊथ अफ़्रीक़ा जाते थे। अहमद दीदात के वालिद भी साऊथ अफ़्रीक़ा चले गए वहां उन्होंने एक फ़ार्म हाउस में मज़दूरी की जब कुछ पैसे इकट्ठा हुए तो साऊथ अफ़्रीक़ा के शहर डरबन में टेलरिंग की एक छोटी दुकान खोल ली और अपनी फ़ैमिली को अपने पास साऊथ अफ़्रीक़ा बुला लिया।
इस तरह अहमद दीदात साहब 1927 में साऊथ अफ़्रीक़ा पहुंचे उस समय उनकी उम्र 9 वर्ष थी साउथ अफ़्रीक़ा पहुंचने के कुछ महीने बाद उनकी वालिदा का इंतक़ाल हो गया वालिद ने इनका एडमिशन एक स्कूल में करा दिया लेकिन घर की ख़राब आर्थिक स्थिति के कारण कक्षा 6 के बाद पढ़ाई छोड़ना पड़ा कुछ दिनों तक सिलाई के काम में वालिद का हाथ बंटाया ड्राइविंग सीखी और फ़र्नीचर बनाने वाले एक कारखाने में ड्राइवर की हैसियत से नौकरी करने लगे।
16 वर्ष का एक नौजवान जिस की शिक्षा सिर्फ़ क्लास सिक्स तक हुई हो ड्राइवर की हैसियत से नौकरी करता हो, कौन सोच सकता था कि यह नौजवान एक दिन अपने इल्म की बदौलत पूरी दुनिया में मशहूर होगा।
अहमद दीदात साहब जहां नौकरी करते थे वहां ईसाई मिशनरी वाले बहुत सरगर्म थे वह आते अहमद दीदात को ईसाइयत क़बूल करने की दावत देते थे। इस्लाम की बुराई बयान करते और रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में बहुत बुरे कमेंट करते थे। जिससे अहमद दीदात साहब को ग़ुस्सा आता था पर इल्म उतनी नहीं थी कि उन्हें जवाब दे पाते।
इस चीज़ ने उन के अंदर सकारत्मक बदलाव किया और उन्होंने ठान लिया कि इतना पढ़ना है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शान में ग़ुस्ताख़ी करने वालों को भरपूर जवाब दे सकें।
एक दिन वह कारखाने का बेसमेंट साफ कर रहे थे वहां उन्हें एक किताब मिली जो मशहूर आलिम मौलाना रहमतुल्लाह कैरानवी की किताब इज़्हारुल हक़ का इंग्लिश तर्जुमा थी किताब धूल मिट्टी में लत पत थी अहमद दीदात साहब किताब उठा लाए साफ़ करके पढ़ना शुरू किया पढ़ कर बहुत खुश हुए इस किताब में हर वह चीज थी जिस की उन्हें तलाश थी।
फिर उन्होंने बाइबिल ख़रीद ली और इतनी मेहनत की कि सन 1942 में इन्होंने एक लेक्चर दिया जिस का शीर्षक था मोहम्मद अमन के पयाबंर।
अहमद दीदात साहब की शादी हो चुकी थी दो बच्चे भी पैदा हो चुके थे कमाई कम थी और पढ़ाई का शौक भी था इस लिए 1949 में पाकिस्तान के कराची शहर आ गए और कपड़े की एक फैक्ट्री में मैनेजर की नौकरी कर ली लेकिन तीन साल बाद 1952 में कानूनी मजबूरियों के कारण साउथ अफ्रीका वापस जाना पड़ा।
इस बार हालात मुख्तलिफ थे लोग उन के लेखों और भाषणों के कारण उन्हें जानने लगे थे लोग उन के साथ जुटते गएं और 1957 में इन्होंने IPCI के नाम से एक संस्था क़ायम की और दो साल बाद सलाम ऐजुकेशन इंस्टीट्यूट खोला।
शेख अहमद दीदात साहब ने इस्लाम और ईसाई धर्म पर बहुत सी किताबें लिखीं जिस से प्रभावित होकर काफी लोग मुसलमान हुए इन्हें अमरीका यूरोप और आस्ट्रेलिया बुलाया जाने लगा।
इन की शोहरत सुन कर पाकिस्तानी राष्ट्रपति जनरल जिया उल हक़ ने पाकिस्तान बुलाया , मालदीव सरकार ने इन्हें मामून अब्दुल कय्यूम अवार्ड और सऊदी सरकार 1986 ने शाह फैसल अवार्ड से सम्मानित किया।
1996 में इन पर फालिज का हमला हुआ इलाज की जिम्मेदारी सऊदी अरब सरकार ने उठाई लेकिन वह शिफा न पा सके बिस्तर से लग गएं और 2005 में उनका डरबन दक्षिण अफ्रीका में इंतकाल हो गया।
उनकी किताबों का विभिन्न भाषाओं में अनुवाद किया गया उर्दू में उन की किताबें रेख़्ता पर पढी जा सकती हैं।
मोहब्बत में सकारात्मक सोच और सही क़दम ने एक आम से इंसान को अहमद दीदात बना दिया।

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खुद को पत्रकार कहने वाले मनीष कश्यप के सभी बैंक अकॉउंट को बिहार प्रशासन ने फ्रीज करवा दिया है। जिसमें टोटल तक़रीबन 43 लाख रुपए थे। जिसकी जांच बिहार पुलिस कर रही है। बिहार प्रशासन ने गिरफ़्तारी वारंट जारी कर दिया है। पुलिस मनीष कश्यप को गिरफ़्तार करने के लिए जगह जगह छापेमारी कर रही है।

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अगस्त 2022 में 9 साल की मअसूम बच्ची का रेप के बाद क़त्ल करने वाले मुजरिम "कपिल कश्यप" को ग़ाज़ियाबाद की अदालत ने फांसी की सज़ा सुनाई है। अब फांसी हो जाए बस। हर रेपिस्ट/क़ातिल की यही सज़ा होनी चाहिए। बल्कि ऐसे दरिंदों को चौराहे पर फांसी देनी चाहिए ताकि यह दूसरों के लिए निशान-ए-इबरत बन सकें। रेप तभी रुकेगा जब बिना किसी भेदभाव के इन हैवानियत करने वाले रेपिस्टों को सरेआम सज़ा दी जाएगी। हर भारतीय शहरी आगे बढ़कर अदलात के इस फ़ैसले का स्वागत करेगा। सिवाए रेपिस्टों-हत्यारों के पक्ष में रैली/तिरंगा यात्रा निकालने वाले सड़े हुए समाज को छोड़कर।

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क़ुरआन करीम में नाम ’हामान’ का ज़िक्र एक हैरत अंगेज़ और बहुत बढ़ा तारीख़ी मुअज्ज़ह है।
ये नाम हामान क़ुरआन करीम में फ़िरऔन के वज़ीर के तौर पर ज़िक्र हुआ है, जबकि बाइबल या तौरात में इसका कोई हवाला या ज़िक्र नहीं मिलता।
इस चीज़ ने फ़्रांसीसी दुनिया और मेडिकल फ़ील्ड के दिग्गज मौरिस बुकाई की जिज्ञासा को जगाया और इस नाम के राज़ की तलाश में बेक़रार कर दिया।
वो मिस्र के प्राचीन इतिहास के एक माहिर के पास गए, उसे हामान नाम दिखाया और उनसे दरख़्वास्त की कि इस नाम
के मायने को Hieroglyphics ज़ुबान में तर्जुमा करें। (Hieroglyphics प्राचीन मिस्री सभ्यता की ज़ुबान है) प्राचीन इतिहास का वो विशेषज्ञ Hieroglyphics की एक डिक्शनरी लाया जिसका नाम “People in the new Kingdom” था। जब उसने वो किताब खोली तो एक हैरतअंगेज़ बात सामने आयी जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती थी, लफ़्ज़ हामान का माना ’पत्थर की कानों के मज़दूरों के सरबराह’ था।
बुकाई ने उस एक्सपर्ट से कहाः अगर मैं आपसे कहूँ कि ये मैंने 1400 साल पहले लिखी एक किताब में पाया है जिसमें लिखा है कि हामान फ़िरऔन का वज़ीर और वास्तुकारों और राजमिस्त्रियों का सरदार था, तो आप इस के बारे में क्या कहेंगे?
माहिर अपनी जगह से उठा और चिल्लाया, “नामुमकिन!!”
इस नाम का ज़िक्र प्राचीन मिस्र के क़दीम पत्थरों पर और हिरोग्लाफ़िक लिखावट के अलावा और कहीं नहीं मिलता।
उन में से एक ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में Hof म्यूज़ियम में मौजूद है। सिर्फ़ एक शख़्स था जिसने Hieroglyphics ज़ुबान जानकर इस नाम को डिकोड किया। Hieroglyphics ज़ुबान इस जानकारी का ज़िक्र करती है और लफ़्ज़ हामान के मायने को जानती है, 1822 तक ऐसा नहीं हुआ। ऐक्सपर्ट ने कहा, “वो नुस्ख़ा कहाँ है? उस के बाद बुकाई ने क़ुरआन मजीद का तर्जुमा शुदा नुस्ख़ा खोला और कहाः “पढ़ो”
{ وَقَالَ فِرْعَوْنُ يَا أَيُّهَا الْمَلَأُ مَا عَلِمْتُ لَكُمْ مِنْ إِلَهٍ غَيْرِي فَأَوْقِدْ لِي يَا هَامَانُ عَلَى الطِّينِ فَاجْعَلْ لِي صَرْحاً لَعَلِّي أَطَّلِعُ إِلَى إِلَهِ مُوسَى }
(और फ़िरऔन ने कहा, ऐ दरबारियों! मैं तुम्हारे लिए अपने सिवा किसी को ख़ुदा नहीं जानता तो हामान मेरे लिए गारे को आग लगवा (ईंट पकवादो) दो फिर एक ऊँचा महल बना दो ताकि मैं मूसा के ख़ुदा की तरफ़ चढ़ जाऊँ और मैं तो उसे झूठा समझता हूँ )
क़ुरआन मजीद की इस आयत में फ़िरऔन हामान से कह रहा है कि मेरे लिए ऐसी इमारत बना कि जो ईंटों से बनी हुई हो।
ये नबी करीम ﷺ और क़ुरआन मजीद का एक बहुत बड़ा मुअज्ज़ह है।

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आप सभी को रमज़ान मुबारक़..

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