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उत्तर प्रदेश के बागपत में ट्रेन में सीट को लेकर 39 साल के दीपक की पीट-पीटकर हत्या!
—दिल्ली से लौट रहे थे घर, अकेले थे — भीड़ ने लात-घूंसे, बेल्ट और धारदार हथियारों से हमला कर मार डाला!
—दीपक दिल्ली में नौकरी करते थे.
—शुक्रवार को दिल्ली से बागपत स्थित घर आ रहे थे।
👉 15-20 हमलावर, तीन वीडियो सामने आए
👉 खेकड़ा स्टेशन पर ट्रेन रुकते ही भाग गए आरोपी
👉 मृतक दीपक दो बच्चों का पिता, घर का इकलौता बेटा था
👉 परिवार बोला: "सिर्फ इसलिए मारा क्योंकि अकेला था"
👉 पुलिस ने 4 संदिग्धों को हिरासत में लिया, राहुल बाबा गैंग पर शक
क्या आम आदमी की जान अब ट्रेन में भी महफूज़ नहीं?
एक इमारत, कई कहानियां और अब,
फिर से जीवंत इतिहास
कभी इस भवन की दीवारों ने अंग्रेज अफसरों की योजनाएं सुनी थीं, फिर इन्हीं गलियारों में आज़ाद भारत के पहले अफसरों की चहलकदमी हुई। पौड़ी का 150 साल पुराना कलेक्ट्रेट भवन, जो कभी जिले का प्रशासनिक केंद्र था। अब विरासत के रूप में एक नई पहचान पाने जा रहा है।
डॉ. आशीष चौहान (जिलाधिकारी, पौड़ी) की पहल पर इस ऐतिहासिक धरोहर को हेरिटेज भवन के रूप में संवारा जा रहा है। भवन के पुराने स्वरूप को यथासंभव उसी रूप में संरक्षित रखते हुए, इसमें अब एक ऐसा केंद्र विकसित हो रहा है जहाँ स्कूली बच्चे, पर्यटक और शोधार्थी ब्रिटिश काल की प्रशासनिक व्यवस्था से लेकर आधुनिक प्रशासन तक की यात्रा को देख और समझ सकेंगे। तीन करोड़ ग्यारह लाख की लागत से हो रहा यह कार्य अब अपने अंतिम चरण में है। बहुत जल्द यह भवन एक जीवंत संग्रहालय की तरह खुलेगा। जहाँ दीवारें केवल पत्थर नहीं होंगी, बल्कि बीते दौर की गवाही बनकर खड़ी होंगी। DM पौड़ी आशीष चौहान की यह पहल न केवल इतिहास को सहेजने की एक कोशिश है, बल्कि जिले की सांस्कृतिक पहचान और पर्यटन को भी एक नई दिशा देने वाला कदम है।
#pauriheritage #इतिहास_की_गूंज #britishera #uttarakhand #legacybuilding #heritagerevival #districtcollectorate
एक इमारत, कई कहानियां और अब,
फिर से जीवंत इतिहास
कभी इस भवन की दीवारों ने अंग्रेज अफसरों की योजनाएं सुनी थीं, फिर इन्हीं गलियारों में आज़ाद भारत के पहले अफसरों की चहलकदमी हुई। पौड़ी का 150 साल पुराना कलेक्ट्रेट भवन, जो कभी जिले का प्रशासनिक केंद्र था। अब विरासत के रूप में एक नई पहचान पाने जा रहा है।
डॉ. आशीष चौहान (जिलाधिकारी, पौड़ी) की पहल पर इस ऐतिहासिक धरोहर को हेरिटेज भवन के रूप में संवारा जा रहा है। भवन के पुराने स्वरूप को यथासंभव उसी रूप में संरक्षित रखते हुए, इसमें अब एक ऐसा केंद्र विकसित हो रहा है जहाँ स्कूली बच्चे, पर्यटक और शोधार्थी ब्रिटिश काल की प्रशासनिक व्यवस्था से लेकर आधुनिक प्रशासन तक की यात्रा को देख और समझ सकेंगे। तीन करोड़ ग्यारह लाख की लागत से हो रहा यह कार्य अब अपने अंतिम चरण में है। बहुत जल्द यह भवन एक जीवंत संग्रहालय की तरह खुलेगा। जहाँ दीवारें केवल पत्थर नहीं होंगी, बल्कि बीते दौर की गवाही बनकर खड़ी होंगी। DM पौड़ी आशीष चौहान की यह पहल न केवल इतिहास को सहेजने की एक कोशिश है, बल्कि जिले की सांस्कृतिक पहचान और पर्यटन को भी एक नई दिशा देने वाला कदम है।
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एक इमारत, कई कहानियां और अब,
फिर से जीवंत इतिहास
कभी इस भवन की दीवारों ने अंग्रेज अफसरों की योजनाएं सुनी थीं, फिर इन्हीं गलियारों में आज़ाद भारत के पहले अफसरों की चहलकदमी हुई। पौड़ी का 150 साल पुराना कलेक्ट्रेट भवन, जो कभी जिले का प्रशासनिक केंद्र था। अब विरासत के रूप में एक नई पहचान पाने जा रहा है।
डॉ. आशीष चौहान (जिलाधिकारी, पौड़ी) की पहल पर इस ऐतिहासिक धरोहर को हेरिटेज भवन के रूप में संवारा जा रहा है। भवन के पुराने स्वरूप को यथासंभव उसी रूप में संरक्षित रखते हुए, इसमें अब एक ऐसा केंद्र विकसित हो रहा है जहाँ स्कूली बच्चे, पर्यटक और शोधार्थी ब्रिटिश काल की प्रशासनिक व्यवस्था से लेकर आधुनिक प्रशासन तक की यात्रा को देख और समझ सकेंगे। तीन करोड़ ग्यारह लाख की लागत से हो रहा यह कार्य अब अपने अंतिम चरण में है। बहुत जल्द यह भवन एक जीवंत संग्रहालय की तरह खुलेगा। जहाँ दीवारें केवल पत्थर नहीं होंगी, बल्कि बीते दौर की गवाही बनकर खड़ी होंगी। DM पौड़ी आशीष चौहान की यह पहल न केवल इतिहास को सहेजने की एक कोशिश है, बल्कि जिले की सांस्कृतिक पहचान और पर्यटन को भी एक नई दिशा देने वाला कदम है।
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