मंदिर में दो नेत्र हैं जो नैना देवी को दर्शाते हैं। नैनी झील के बारें में माना जाता है कि जब शिव सती की मृत देह को लेकर कैलाश पर्वत जा रहे थे, तब जहां-जहां उनके शरीर के अंग गिरे वहां-वहां शक्तिपीठों की स्‍थापना हुई। नैनी झील के स्‍थान पर देवी सती के नेत्र गिरे थे। इसीसे प्रेरित होकर इस मंदिर की स्‍थापना की गई है।

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पौराणिक कथा के अनुसार जब देवी सती अपने योगशक्ति से अपना देह त्याग दी तो भगवान शिव उनको लेकर घूमने लगे उसके बाद भगवान विष्णु अपने चक्र से उनका देह काटते गए तो नीलाचल पहाड़ी में भगवती सती की योनि (गर्भ) गिर गई, और उस योनि (गर्भ) ने एक देवी का रूप धारण किया, जिसे देवी कामाख्या कहा जाता है।

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एक पिता का मर्तबा क्या समझेगी औलाद। वो स्कूटर पर जाकर आपके लिए कार लाते है। 😌😮👑

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Safe Driver Dubai | #safe driver Dubai

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पितृ दोष से मुक्ति के लिए श्री राम चरित्र मानस का पाठ भी काफी अमोघ है इसी चरित्र में मर्यादा पुरुषोत्तम राम 14 वर्ष वनवास पूरा कर और रावण का वध करके पितृ ऋण से भी मुक्त हुए थे।

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