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गाय को हिन्दू धर्म में माँ क्यों माना जाता है?
यह सवाल हर भारतीय पुंछता है पर इसका उत्तर बहुत कम लोगों को ही पता होता है। आप लोगो को भी अवश्य पढ़ना चाहिए।
आज कई अंग्रेजियत की पढाई करे हुए लोगों को तथा विदेशियों को इस चीज पर आपत्ति होती है की हिन्दू गाय को माँ क्यों कहते हैं | मैंने भी इस बारे में काफी सोचा के किसी और जानवर को क्यों माँ नहीं बनाया गया या उसके अन्दर सारे देवी देवताओं का वास क्यों नहीं बताया गया फिर मैंने खोजना शुरू किया तो पाया इसका गहरा ताल्लुक भारतीय समाज से है ,
भारत की प्राचीन संस्कृति से है तथा बहुत से ऐसे तथ्य सामने आये जिनको जानकार में आश्चर्यचकित रह गया | शायद आप सब को भी जानकर ख़ुशी हो तथा गर्व हो अपने भारतीय समाज पर इसलिए मैंने यह बात सभी भारतियों को बताने का निश्चय किया , इसे पढ़कर आपकी गाय के बारे में राय बदल जायेगी और वह सिर्फ जानवर ना रहकर उससे ज्यादा हो जाएगी आपकी नजरो में यकीन मानिए| तो जाने हैं गाय को माता क्यों कहा जाता है |
पहले जानते हैं गाय के बारे में कुछ वैज्ञानिक तथ्य जो दुनिया भर के वैज्ञानिको ने तथा भारत में गायत्री परिवार हरिद्वार एवं आर्य समाज व् कई विदेशी और स्वदेशी वैज्ञानिकों ने खोज निकाले हैं :-
गाय के गौ मूत्र में 24 तत्व होते हैं जिनसे हर तरह के रोगों का इलाज संभव है |
गाय के गोबर से लिपे हुए घर में रेडिएशन असर नहीं करती तथा कैंसर के खतरे से बचते हैं |
गाय के गो मूत्र में १.४ एम्पेयर का करंट होता है जिससे आप सही तरह से प्रयोग करके बिजली बना सकते हैं या बल्ब जला सकते हैं |
गोबर से निकलने वाली मीथेन को बिजली के तौर पर उपयोग किया जा सकता है तथा गोबर गैस को सिलिंडर में भरकर गाड़ियाँ भी चलाई जा सकती हैं |
गाय के गोबर के प्रयोग से सबसे अच्छी जैविक खाद मुफ्त में बनाई जा सकती है जिससे हम जहरीले रसायनों के प्रयोग से बचेंगे तथा सुरक्षित भोजन प्राप्त कर सकेंगे तथा निरोगी रहेंगे |
गाय के गौमूत्र से बहुत ही अच्छा कीटनाशक मुफ्त में बनाया जा सकता है जिससे आप विषैले कीटनाशक के प्रयोग से बचेंगे जिससे फसल जहरीली हो जाती है |
गाय के गौमूत्र में कई रोगों का इलाज करने की अदभुत क्षमता है यह वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध हो चुका है तथा भारत में कई जगह इसके द्वारा इलाज किया जाता है |
गोबर का रस यदि उस स्त्री को दिया जाए जिसकी संतान होने वाली है तो संतान बिना ऑपरेशन के हो सकती है |
शुद्ध नस्ल के नंदी के मूत्र का सेवन करने से बाँझ स्त्रियों तक को बच्चा हो सकता है इसके कई प्रयोग देश मे चल रहे हैं |
देसी गाय के दूध के सेवन से हड्डियाँ मजबूत होती हैं |
देसी गाय के घी के सेवन से बवासीर इत्यादि में लाभ होता है |
बैल के द्वारा आप हल से खेती कर सकते हैं जिससे गरीब किसानो का ट्रेक्टर एवं पेट्रोल डीजल का खर्चा बचेगा तथा प्राकर्तिक संसाधनों की भी रक्षा होगी |
अब सबसे महत्वपूर्ण बात के हर देश में या हर भूमि में कुछ ख़ास बात होती है जिसे उस भूमि की खासियत कहा जाता है | जैसे किसी देश में बर्फ ही बर्फ है , कही तेल है , कही हीरे , सोना इत्यादि हैं तो कही पत्थर और हमारे यहाँ खेती की उर्वरक जमीन | इन्ही खासियतो के दम पर वह देश आत्मनिर्भर बनता है या ये कहिये की उसकी अर्थव्यवस्था चलती है | आज हम सभी जानते हैं के भारत कई चीजो में पिछड़ा हुआ है तथा जिन चीजो में कभी हम साड़ी दुनिया में अग्रणी हुआ करते थे उनमे हम समाप्त होते जा रहे हैं और जो बाकी दुनिया करती है उसकी नक़ल करके उसमे अग्रणी बनने का प्रयास कर रहे हैं जबकि हमारे यहाँ वैसे प्राकर्तिक संसाधन ही नहीं हैं |
मै आसान भाषा में समझाता हूँ | एक समय था जब भारत सोने की चिड़िया था जब सारी दुनिया का 30 प्रतिशत से ज्यादा व्यापार हम चलाया करते थे , मैंने जानने की कोशिश की के ऐसा क्या था उस समय में तो पता चला के उस समय हम कृषि प्रधान देश थे | एक देश या व्यक्ति को कही भी जीने के लिए तीन चीजो की आवश्यकता होती है रोटी , कपडा और मकान | इनमे से मकान सभी बना सकते थे पत्थर और प्राकर्तिक चीजों से, अब दिक्कत आती कपडे की तो वह या तो जानवरों की खाल या दूसरी प्राकर्तिक चीजो से मिल जाया करते थे पर सबसे आवश्यक वस्तु भोजन या अनाज थी जिसके बिना मानव जीवित नहीं रह सकता और अनाज उगाने के लिए उर्वरक जमीन होनी चाहिए और वह जमीन भारत को कुदरत के द्वारा मिली क्योंकि हमें 12 महीने सूर्य की रौशनी मिलती है तथा हम तीन तरफ से समुद्र से घिरे हुए हैं |