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ਕੈਨੇਡਾ ਤੋਂ ਮੰਦਭਾਗੀ ਖ਼ਬਰ, ਦਿਮਾਗ ਦੀ ਨਾੜੀ ਫ.ਟਣ ਕਾਰਨ ਪੰਜਾਬੀ ਨੌਜਵਾਨ ਦੀ ਹੋਈ ਮੌ.ਤ

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ਜਲੰਧਰ ‘ਚ ਵਰਿਆਣਾ ਵਿਖੇ ਕੂੜੇ ਦੇ ਡੰਪ ‘ਚ ਲੱਗੀ ਭਿ.ਆ.ਨਕ ਅੱ.ਗ, ਫਾਇਰ ਬ੍ਰਿਗੇਡ ਦੀਆਂ 11 ਗੱਡੀਆਂ ਮੌਕੇ ‘ਤੇ ਮੌਜੂਦ

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ਕਰਨਲ ਬਾਠ ਦੇ ਪਰਿਵਾਰ ਵੱਲੋਂ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨ 'ਤੇ ਬੋਲੇ MLA ਨਰਿੰਦਰ ਕੌਰ ਭਰਾਜ

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IPL Prediction 2025 by Accurate Astrologers

The bugle for the 18th season of the Indian Premier League has been blown. IPL 2025 is scheduled to begin on March 22. The final match of the league will be played on May 25. All 10 teams have started preparing for the 18th season. Looking at the position of the planets and constellations of all these, Chirag Daruwalla has predicted what the stars are saying about the players of which team in IPL 2025.

Visit: https://bejandaruwalla.com/blo....gs/sports/ipl-predic

IPL Prediction 2025 by Accurate Astrologers
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IPL Prediction 2025 by Accurate Astrologers

IPL Prediction 2025, IPL 2025 Start Date, and IPL Team Prediction by Accurate Astrologers. IPL Astrology 2025 gives information about which team will win the 2025 IPL.
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विवाह के दो वर्ष हुए थे जब सुहानी गर्भवती होने पर अपने घर पंजाब जा रही थी ...
पति शहर से बाहर थे ........

जिस रिश्ते के भाई को स्टेशन से ट्रेन मे बिठाने को कहा था वो लेट होती ट्रेन की वजह से रुकने में मूड में नहीं था इसीलिए समान सहित प्लेटफॉर्म पर बनी बेंच पर बिठा कर चला गया ....

गाड़ी को पांचवे प्लेटफार्म पर आना था ...

गर्भवती सुहानी को सातवाँ माह चल रहा था.
सामान अधिक होने से एक कुली से बात कर ली....

बेहद दुबला पतला बुजुर्ग...पेट पालने की विवशता उसकी आँखों में थी ...एक याचना के साथ सामान उठाने को आतुर ....

सुहानी ने उसे पंद्रह रुपये में तय कर लिया और टेक लगा कर बैठ गई.... तकरीबन डेढ़ घंटे बाद गाडी आने की घोषणा हुई ...लेकिन वो बुजुर्ग कुली कहीं नहीं दिखा ...

कोई दूसरा कुली भी खाली नज़र नही आ रहा था.....
ट्रेन छूटने पर वापस घर जाना भी संभव नही था ...

रात के साढ़े बारह बज चुके थे ..
सुहानी का मन घबराने लगा ...

तभी वो बुजुर्ग दूर से भाग कर आता हुआ दिखाई दिया .... बोला चिंता न करो बिटिया हम चढ़ा देंगे गाडी में ...भागने से उसकी साँस फूल रही थी ..उसने लपक कर सामान उठाया ...और आने का इशारा किया

सीढ़ी चढ़ कर पुल से पार जाना था कयोकि अचानक ट्रेन ने प्लेटफार्म चेंज करा था जो अब नौ नम्बर पर आ रही थी

वो साँस फूलने से धीरे धीरे चल रहा था और सुहानी भी तेज चलने हालत में न थी
गाडी ने सीटी दे दी
भाग कर अपना स्लीपर कोच का डब्बा ढूंढा ...

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सरला नाम की एक महिला थी। रोज वह और उसके पति दोनो सुबह ही काम पर निकल जाते थे।

दिन भर पति ऑफिस में अपना टारगेट पूरा करने की ‘डेडलाइन’ से जूझते हुए साथियों की होड़ का सामना करता था।

बॉस से कभी प्रशंसा तो मिली नहीं और तीखी-कटीली आलोचना चुपचाप सहता रहता था।

पत्नी सरला भी एक प्राइवेट कम्पनी में जॉब करती थी। वह अपने ऑफिस में दिनभर परेशान रहती थी।

ऐसी ही परेशानियों से जूझकर सरला शाम को लौटती है। खाना बनाती है।

शाम को घर में प्रवेश करते ही बच्चों को वे दोनों नाकारा होने के लिए डाँटते थे पति और बच्चों की अलग-अलग फरमाइशें पूरी करते-करते बदहवास और चिड़चिड़ी हो जाती है।

घर और बाहर के सारे काम उसी की जिम्मेदारी हैं।

थक-हार कर वह अपने जीवन से निराश होने लगती है। उधर पति दिन पर दिन खूंखार होता जा रहा है। बच्चे विद्रोही हो चले हैं।

एक दिन सरला के घर का नल खराब हो जाता है। उसने प्लम्बर को नल ठीक करने के लिए बुलाया...!

प्लम्बर ने आने में देर कर दी... पूछने पर बताया कि...साइकिल में पंक्चर के कारण देर हो गई।

घर से लाया खाना मिट्टी में गिर गया, ड्रिल मशीन खराब हो गई, जेब से पर्स गिर गया...।

इन सब का बोझ लिए वह नल ठीक करता रहा।

काम पूरा होने पर... महिला को दया आ गई और वह उसे गाड़ी में छोड़ने चली गई। प्लंबर ने उसे बहुत आदर से चाय पीने का आग्रह किया।

प्लम्बर के घर के बाहर एक पेड़ था। प्लम्बर ने पास जाकर उसके पत्तों को सहलाया, चूमा और अपना थैला उस पर टांग दिया।

घर में प्रवेश करते ही उसका चेहरा खिल उठा। बच्चों को प्यार किया, मुस्कराती पत्नी को स्नेह भरी दृष्टि से देखा और चाय बनाने के लिए कहा।

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मां की बात तो एकबारगी बरदाश्त भी कर लेता पर भाभी का इस तरह से उलाहना देना उसे कतई मंजूर न था. उस का जी करता कि कानों में कोई शीशा पिघला कर भर दे. जहां तक चाय की बात थी, उस ने कभी गरम चाय की डिमांड नहीं की थी. जैसी मिलती वैसी पी लेता. फिर उस के बिस्तर से उठ जाने से कौन से घर के काम फटाफट होने लगेंगे बल्कि और कलह हो जाएगा.
भाभी को वह फूटी आंखों नहीं सुहाता था. वह नहीं समझ पाती थी कि टूर एंड ट्रैवल्स और ट्रेकिंग का काम थका देने वाला होता है. बड़ा भाई कुछ कहना भी चाहता तो पत्नी के सामने उस का मुंह न खुलता था. एक तरह से वह पत्नी की बातों का मूक समर्थन करता था.
मां जानती थी कि मेरा बेटा बिलकुल नालायक तो नहीं लेकिन ऐसे बेटे को लायक भी तो नहीं कहा जा सकता जिस की शादी की चिंता ने ही उस को इतना परेशान कर दिया हो. कितनी कोशिश नहीं की थी मां ने. जगहजगह रिश्तेदारों से कहा था. चिन्ह भेजा था पर कोई लड़की मिली ही नहीं.
एक समय था जब लड़के वालों की तरफ से शादी का प्रस्ताव आना लड़की वाले अपना सौभाग्य समझते थे लेकिन आज गोकुल जैसे कई लड़के इस कसबे में हैं जिन्हें सुंदरता और बुद्धिमत्ता की कसौटी पर कसी जाने वाली तो क्या, साधारण रंगरूप वाली, घरगृहस्थी का ध्यान रखने वाली लड़कियां भी नहीं मिल रहीं. ऐसे में किस का दोष कहा जाएगा. लड़के का ही कहेगा न? क़ाबिल होता तो क्यों न मिलती लड़की...आगे की कहानी पढ़ने के लिए नीचे कमेंट बॉक्स मे दिए लिंक पर क्लिक करें 👇

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सोशल मीडिया सच में जादू है...यही वो बच्ची है जिसकी कल हाथ में किताबें लिए फोटो वायरल हो रही थी। आज इस बच्ची तक मदद पहुंच गई है। सोशल मीडिया की वजह से ही इस बच्ची की मदद के लिए कई हाथ बड़े हैं और इसकी पढ़ाई का इंतजाम भी हुआ है। दिलचस्प ये है कि बच्ची अफसर ही बनना चाहती है...

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सोशल मीडिया सच में जादू है...यही वो बच्ची है जिसकी कल हाथ में किताबें लिए फोटो वायरल हो रही थी। आज इस बच्ची तक मदद पहुंच गई है। सोशल मीडिया की वजह से ही इस बच्ची की मदद के लिए कई हाथ बड़े हैं और इसकी पढ़ाई का इंतजाम भी हुआ है। दिलचस्प ये है कि बच्ची अफसर ही बनना चाहती है...

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सोशल मीडिया सच में जादू है...यही वो बच्ची है जिसकी कल हाथ में किताबें लिए फोटो वायरल हो रही थी। आज इस बच्ची तक मदद पहुंच गई है। सोशल मीडिया की वजह से ही इस बच्ची की मदद के लिए कई हाथ बड़े हैं और इसकी पढ़ाई का इंतजाम भी हुआ है। दिलचस्प ये है कि बच्ची अफसर ही बनना चाहती है...

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