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समुद्र मंथन के समय, समुद्र को मथने के लिए मंदरांचल पर्वत का प्रयोग किया गया था, मंदार पर्वत आज भी बिहार के भागलपुर के निकट बांका जिला में स्थित है।
समुद्र मंथन के समय जो विष निकला, उस विष को भगवान शिव ने अपने गले में धारण किया, इस हलाहल को धारण करने के लिए जिस पात्र का प्रयोग किया था, वो यह शंख था, इस शंख से भोले बाबा ने अपने कंठ में विष धारण किया।
मंदार पर्वत पर आज भी यह शंख कुण्ड स्थित है, यह शंख शिवरात्रि के एक दिन पहले कुंड से ऊपर आ जाता है, बाकी दिनों ये कुंड के अंदर पड़ा रहता है ।
कुंड की गहराई का आज तक अवलोकन नही किया जा सका है।
गर्व करें अपने सनातन संस्कृति के गौरवपूर्ण इतिहास पर!
🚩ॐ नमः शिवाय🚩
🙏🏻

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