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कब और कैसे करें भोलेनाथ की पूजा की हर समस्या से निदान मिल जाए..?
1) कब करें (समय)
सोमवार का दिन विशेष रूप से शिवजी के लिये शुभ है।
सावन (श्रावण) मास, महाशिवरात्रि और पूर्णिमा/अमावस्या के दिन भी प्रभावी माने जाते हैं।
सुबह शुद्ध स्नान के बाद या संध्या के समय किया जा सकता है।
2) आवश्यक सामान (साधारण)
शिवलिंग (यदि हो) या शिव की तस्वीर/प्रतिमा
पवित्र जल (गंगा जल यदि सम्भव हो)
दूध, दही, घी, शहद, चीनी/शक्कर (चारों प्रकार मिलने पर अभिषेक में प्रयोग) — (ये ‘पांच अमृत’ कहे जाते हैं)
बेल-पत्र (बिल्व/बेल) — यदि उपलब्ध हो तो बहुत महत्वपूर्ण; कम से कम 3-5 पत्ते रोज़ दें।
फूल (धन्य/मन पसंद), धूप, दीया (घी या तेल), कपूर (थोड़ा), रोली/कुमकुम, चावल (कच्चा), नैवेद्य (फल/मिष्टान)
अगर उपलब्ध हो: रुद्राक्ष, चोला/कपास का साफ कपड़ा, मिठाई/फ्रूट प्रासाद
अगर रोंधना हो: घंटी, घंटी बजाएँ (वैकल्पिक)
3) पूजा का सामान्य क्रम (सरल घर पूजा — 15–30 मिनट)
1. स्वच्छता और मन-स्थिरता — स्नान कर शुद्ध कपड़े पहनें; मन को शांत करें।
2. स्थापना — शिवलिंग/प्रतिमा को साफ जगह पर रखें; थोड़ी रोशनी कर दीया जला लें।
3. ध्यान और प्रणाम — 1–3 मिनट बैठकर गहरी साँसों से भगवान शिव का ध्यान करें; प्रणाम/नमन करें।
4. अभिषेक (साधारण) — शिवलिंग पर पानी/गंगा जल डालें, फिर दूध डालें (यदि आप चाहें तो दही/घी/शहद/चीनी भी क्रम से चढ़ा सकते हैं)। अभिषेक के बाद कपड़े से या साफ पानी से हल्का साफ कर दें।
5. बिल्वपत्र अर्पण — 3 या 5 बिल्व पत्र शिवलिंग पर दें (अगर उपलब्ध नहीं तो कम से कम एक पत्ता या तुलसी/फूल दें)।
6. फूल, धूप, दीप — फूल चढ़ाएँ, धूप/लौली लगाएँ, दीया जलाएँ।
7. मंत्र जाप — नीचे दिए मंत्रों में से कोई एक जाप करें (संख्या भी दी है)।
8. प्रसादी अर्पण — फल/मिठाई समर्पित करें और फिर उसे प्रसाद के रूप में ग्रहण करें।
9. शिव का धन्यवाद और शान्ति — अपने मन की मनोकामना व समस्या शिव के समक्ष रखें और श्रद्धा से आभार व्यक्त करें।
4) प्रभावी मंत्र (उच्चारण के साथ)
शिव पंचाक्षर मंत्र — ॐ नमः शिवाय
संख्या: 108 बार जाप बहुत अच्छा; कम से कम 11 बार कर सकते हैं।
महामृत्युंजय मंत्र — संकट दूर करने के लिए बहुत शक्तिशाली:
ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् |
उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात् ||
जाप संख्या: 3, 11, 21 या 108 (स्थिति और समय के अनुसार)।
रुद्राष्टादश नाम (18 नाम) या रुद्राभिषेक करते समय रुद्रसूत्र/रुद्राष्टकम् कहा जाता है — मंदिर या अधिक विधि में प्रयोग होता है।
5) विशेष पूजा — रुद्राभिषेक (जब परेशानी गंभीर हो)
रुद्राभिषेक शिवलिंग पर विशेष अभिषेक है: 11/108 बार Om Namah Shivaya या रुद्र मंत्र के साथ दूध, दही, घी, शहद, शक्कर, चंदन, गंगा जल आदि चढ़ाया जाता है।
यह विधि शक्ति और परिणाम दोनों में अधिक मानी जाती है — संभव हो तो किसी पंडित/पुरोहित से करवाएँ।
घर पर सरल रूप में आप 11 बार Om Namah Shivaya के साथ दूध व गंगा जल का अभिषेक कर सकते हैं और बिल्वपत्र दें।
6) व्रत व अनुशासन (यदि आप करना चाहें)
सोमव्रत (सोमवार का उपवास) — सोमवार को हल्का व्रत रखना और शिव पूजा करना पारंपरिक है।
श्रावण मास में नियमपूर्वक पूजा करने से मन और परिस्थितियाँ शांत होती हैं।
रोज़ाना कम-से-कम 11 या 21 बार Om Namah Shivaya का जाप लाभकारी है।
7) मनोवैज्ञानिक/आध्यात्मिक सलाह
भगवान शिव की पूजा केवल बाहरी कर्म नहीं — मन की प्रार्थना, आत्म-विश्लेषण और दोष सुधार भी जरूरी हैं।
अपने कर्तव्यों का पालन, ईमानदारी, शुद्ध बोल व विचार रखें — इससे आध्यात्मिक शक्ति बढ़ती है।
तनाव घटाने के लिए ध्यान (meditation) और श्वास अभ्यास भी करें।
😎 कुछ उपयोगी सुझाव और सावधानियाँ
पूजा श्रद्धा से और साफ-सुथरा स्थान पर करें; जल्दबाज़ी न करें।
किसी भी जादुई या अवैध साधना से बचें; सुविधा के अनुसार पारंपरिक और नैतिक तरीकों का पालन करें।
अगर रुद्राभिषेक या जटिल रीति करनी हो तो योग्य पंडित से मार्गदर्शन लें।
पूजा का उद्देश्य सकारात्मक परिवर्तन और मानसिक शान्ति मानें — समस्याएँ धीरे-धीरे हल होंगी।
बीमारियाँ/कानूनी/गंभीर आर्थिक समस्याओं के लिये भगवान की पूजा के साथ व्यावहारिक कदम (डॉक्टर, वकील, वित्तीय सलाह) भी जरूरी हैं।
9) छोटा सरल प्रार्थना-पाठ (आप पूजा के अंत में बोल सकते हैं)
हे भोलेनाथ! मेरी स्तुति स्वीकार करो।
मेरी यह विनती है — मेरे दुःख, भय और बाधाओं को दूर करो,
मुझे धैर्य, मार्गदर्शन और शक्ति प्रदान करो।
ॐ नमः शिवाय।
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10 साल की बेटी से रे'प की कोशिश करने पर पिता ने पत्थर से दरिंदे को मा'र डाला और ख़ुद को सरेंडर कर दिया

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क्या था वो रहस्य, जो इतिहास के पन्नों में दब गया? 🇮🇳
आज भी एक सवाल हमें सोचने पर मजबूर करता है: "अगर सारे देशभक्तों को अंग्रेज़ों ने मारा, तो गाँधी को एक भारतीय ने क्यों मारा?" 🤔
यह सिर्फ़ एक सवाल नहीं, बल्कि हमारे इतिहास के एक जटिल और विवादास्पद अध्याय की ओर इशारा करता है। क्या वाकई गाँधी जी और अन्य क्रांतिकारियों के रास्ते इतने अलग थे?
गाँधी जी का तरीक़ा था अहिंसा और सत्याग्रह। उनका मानना था कि प्रेम और शांति से भी आज़ादी मिल सकती है। भगत सिंह, सुभाष चंद्र बोस और अन्य महान वीरों ने क्रांति का रास्ता चुना, क्योंकि उन्हें लगा कि बिना संघर्ष के आज़ादी नहीं मिलेगी। दोनों का लक्ष्य एक ही था - आज़ादी, लेकिन रास्ते अलग थे।
लेकिन, फिर भी सवाल वहीं का वहीं है। जब अंग्रेज़ क्रूरता की हद पार कर रहे थे, उन्होंने हमारे कई वीरों को फाँसी दी, जेलों में डाला, और मारा। तो मोहनदास करमचंद गाँधी को मारने की ज़रूरत एक भारतीय को क्यों पड़ी?
क्या यह राजनीतिक मतभेद था? क्या यह विचारधारा का टकराव था? या फिर यह आज़ादी के बाद की राजनीतिक दिशा से जुड़ा कोई गहरा असंतोष था?
यह तस्वीर और यह सवाल हमें मजबूर करते हैं कि हम अपने इतिहा

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हर हर हर महादेव 🙏

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हमरी उलझन मिटाओ भगवन
तुमरे विन हमरा कौनो नाही |

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हरियाणा के कैथल में रहने वाले फकीरचंद ने दिया मानवता का उदाहरण, रद्दी बेचकर किया 35 लाख रुपये से अधिक दान।
समाज सेवा की तस्वीर अक्सर बड़े उद्योगपतियों और मशहूर हस्तियों के इर्द-गिर्द दिखाई देती है, लेकिन हरियाणा के कैथल जिले के फकीरचंद ने इस धारणा को पूरी तरह बदल दिया है। एक साधारण रद्दी (कबाड़) जमा करने वाले के तौर पर अपनी रोजमर्रा की जिंदगी बिताने वाले फकीरचंद ने पिछले कई वर्षों में 35 लाख रुपये से ज़्यादा राशि गरीब और ज़रूरतमंद लोगों को दान कर सबको चौंका दिया है।
फकीरचंद की कमाई साधारण है, लेकिन दिल बेहद बड़ा। वे अपनी दैनिक आय का लगभग 90% हिस्सा समाज सेवा में खर्च करते हैं। उनका दान गरीब बच्चों की पढ़ाई, बीमारों के इलाज और सामाजिक कल्याण के कई कार्यों में उपयोग किया जाता है। उनकी मदद से कई बच्चों को स्कूल जाने का अवसर मिला है, जबकि कई परिवारों को चिकित्सा सहायता प्राप्त हुई है।
फकीरचंद का कहना है कि समाज में बदलाव लाने के लिए बड़ी पहचान या भारी-भरकम बैंक बैलेंस की ज़रूरत नहीं होती। उनके अनुसार,
"अगर दिल साफ हो और नीयत सही, तो छोटी सी मदद भी किसी के लिए जिंदगी बदल सकती है।"
फकीरचंद सिर्फ आर्थिक सहायता ही नहीं देते, बल्कि लोगों को सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित भी करते हैं। उनकी सोच और सादगी को देखकर कई स्थानीय लोग भी अब अपनी क्षमता के अनुरूप समाजसेवा में हिस्सा लेने लगे हैं।
स्थानीय लोग मानते हैं कि फकीरचंद का जीवन सेवा, श्रम और विनम्रता का ऐसा उदाहरण है, जिसे आने वाली पीढ़ियाँ याद रखेंगी। आज उनका नाम केवल कैथल तक सीमित नहीं, बल्कि पूरे देश में मानवता के एक जीवित प्रतीक के रूप में जाना जा रहा है।
उनकी कहानी यह संदेश देती है कि समाज के लिए बड़ा योगदान करने के लिए अमीर होना ज़रूरी नहीं—एक सच्चा इरादा ही काफी है।
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तीन साल की उम्र में शादी, 19 की उम्र में कैंसर से जंग, लेकिन मुश्किलों से लड़ते हुए भी सुनीता चौधरी ने हार नहीं मानी। हौसले और मेहनत के बल पर वह अपने गांव की पहली महिला कांस्टेबल बनीं। आज उन्हें सब प्यार से 'पुलिसवाली दीदी' कहते हैं,

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At just nine years old, Allu Arha — daughter of actor Allu Arjun — has achieved a remarkable milestone by being recognised in the Noble Book of World Records as the youngest chess trainer. 🏆👧✨
She earned this honour by successfully solving 30 chess puzzles and by training 50 students, setting a new record for someone her age.
Arha’s accomplishment reflects her sharp intelligence, impressive focus, and early enthusiasm for the game. Even at such a young age, she has shown that with passion and dedication, children can reach extraordinary heights. 📚🌟
This proud achievement is a moment of joy for her family and an inspiring example for young learners across the country who dream of achieving something special. 🇮🇳❤️
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Banke Bihari Lal ki jai ho 🙏🙏🙏🙏💐💐🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚🦚

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