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अपने जीवन में कम से कम 2-4 ऐसे साथी या रिश्ते रखिए जो हर परिस्थिति में आपके साथ खड़े हों, आपको सुन सकें तब जब आप कुछ कह न पाएं, आपकी भड़ास और गुस्सा खुद पर सह सकें तब जब वो जानलेवा बनने वाला हो, आपको समझ और समझा सकें तब जब आप खुद को भी समझ न पा रहे हों। वर्चुअल दुनिया में नहीं असली वाली दुनिया में। हो सकता है वो आपकी क्लास या स्टैंडर्ड से मैच न खा रहे हों लेकिन आपके जीवन की जो मांग है उससे मैच खा रहे हों। उन्हें ढूंढिए,पहचानिए और सहेज कर रखिए। अपनी ज़मीन और जड़ों से जुड़े ज्यादातर इंसान आज भी इस मामले में लकी हैं कि उनके पास टूटे-फूटे ही सही ऐसे रिश्ते मौजूद हैं।
फेसबुक,इंस्टाग्राम और ट्विटर जैसे डिजिटल मंचों पर बड़े-बड़े नामचीन लोग फॉलोवर्स बनाते हैं और फॉलोवर्स मतलब आपका पीछा करने वाले आपके पीछे चलने वाले लोग होते हैं साथ में नहीं। फॉलोवर्स को गिनते-गिनते पता ही नहीं चलता कि आस-पास तो कोई है ही नहीं । जबकि आपके दुख-सुख वो लोग बांटते हैं जिन्हें आप साथ ले कर चलते हैं या साथ चलने देते हैं ।
जो आप के साथ ही नहीं चल रहे आपके पीछे हैं उन्हें क्या मालूम आपके अंदर बाहर क्या चल रहा है किस मुश्किल के दौर से आप गुज़र रहे हैं या अंदर से आप कैसा महसूस कर रहे हैं। आप तो उनसे इतना आगे हैं कि जब तक वो आपकी जगह पर आएंगे आप उनसे और आगे निकल चुके होंगे चाहे ज़िंदगी में हों या मौत में।यह कैसी दौड़ है ? मिलियंस से ज्यादा सोशल मीडिया फॉलोवर्स रखने वाले लोग भी अंदर से बिलकुल अकेले हो जाते हैं और एक दिन ज़िंदगी से हार कर मौत को गले लगा लेते हैं।