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स्वस्थ भारत, सशक्त भारत!
8.27 करोड़ से अधिक महिलाओं की आयुष्मान भारत वेलनेस सेंटर के माध्यम से स्तन कैंसर की स्क्रीनिंग की गई।
#सशक्त_नारी_समृद्ध_भारत
Prime Minister Shri Narendra Modi will flag off Rajasthan’s first #vandebharatexpress train on 12th April, 2023 via video conferencing.
PM Modi's strong stewardship is proudly showcasing #incredibleindia before the world!
धार्मिक अवहेलना पर भी आप की छाती नहीं फटती और अवहेलना करने वाले से आप को अपने संबंध महत्वपूर्ण लगते हैं तो आप &₹&₹&#₹ ही हैं।
एक बार एक पहलवान रात को कहीं जा रहा था कि अंधेरे का फ़ायदा उठाकर चार लुटेरों ने उसपर हमला कर दिया। लेकिन पहलवान उनसे इस तरह भिड़ गया जैसे कोई बहादुर इंसान लड़ सकता था औऱ उसने चारों को पस्त कर दिया। वे चार थे लेकिन पहलवान ने उनकी हड्डी पसली तोड़ दी।
कुछ समय बाद बामुश्किल वे चारो लुटेरे उस पहलवान पर कब्जा पा सके। उसके बाद फिर जब उसकी जेब में हाथ डाला तो केवल एक अठन्नी निकली तब वे हैरान रह गए। उन्होंने पहलवान से कहा कि आज अगर तेरे पास कुछ रुपए होते तो तू हमें जिंदा नही छोड़ता। हद कर दी तूने भी। अठन्नी के पीछे ऐसी मारकाट मचाई और हमलोग भी इसलिए बर्दाश्त कर गए क्योंकि हमें लगा तेरे पास बहुत माल है। अजीब आदमी है तू तो।
खैर पहलवान वास्तव में सनातनी योद्धा हुआ और उसने उन लुटेरों को स्पष्ट किया कि सवाल कम या ज्यादा माल का नहीं है बल्कि सवाल इज्ज़त का है। मैं अपनी माली हालत बिलकुल अजनबी लोगों के सामने प्रकट नहीं करता। जेब में अठन्नी ही है लेकिन उससे मेरी आबरू तब तक ढकी हुई है जब तक कोई सच्चाई जान नहीं जाता। तुम लोग ये हकीकत जान कर मुझें बेआबरू न कर पाओ इसलिए मैं लड़ा। अगर मेरे पास दो लाख रुपये रहते तो मैं खुशी खुशी तुम लोगों को दे देता।
इस पटल पर हिंदुओ के आभाषी धर्म ध्वजा वाहक ऐसे ही हैं। उनकी धार्मिकता भले ही धर्म ज्ञान और साहित्य से परिपूर्ण न हो, भले ही वो बहुत बड़े नाम न हों, भले ही उनका लिखा लाखों लाइक कमेंट न पाता हो लेकिन अपने धर्म, अपने तीज त्योहारों,अपने आराध्यों के प्रति किसी की भी अनर्गल टिप्पणी उन्हे बर्दाश्त नहीं होती है।
धर्म से हम हैं हमसे धर्म नहीं है इसलिए कोई कितना भी बड़ा नाम, बड़ी पदवी या बड़े यश का मालिक हो धर्म विरुद्ध जायेगा या धर्म द्रोही के साथ खड़ा दिखेगा तो पेला ही जायेगा यही मूल मंत्र कल था, आज है, कल भी रहेगा।
मैं इन अभाषी धर्म ध्वजा वाहकों का अभिनंदन करते हुए गर्व से कह सकता हूं की जब तक धार्मिक श्रेष्ठता के लिए बिना भेदभाव (ये कोई बड़ा लेखक है, ये बड़ा प्रसिद्ध व्यक्ति है, ये बड़ा नामी है) के हम यूं ही लड़ते रहेंगे तो सनातक की भगवा धर्म पताका यूं ही लहलहाती रहेगी, उत्कर्ष पाएगी।
धर्म ध्वजा वाहक जांबाजों आप की वजह से हम सभी सनातनियों का मस्तक गर्व से ऊंचा है, सतत अभिनंदन है आप का, सदा जय हो आप की।
#नोट:::धार्मिक मुद्दों पर कहानियां या संवेदनाएं लिख कोई एकाध बार बरगला सकता है। धर्म द्रोहियों और पथ भ्रष्टों के लिए खड़े होने का मन ही है तो शांति से तथस्ट हो तमाशा देखिए। व्यवहारिक ज्ञान की बातें गलत व्यक्ति को समझाएंगे तो श्रेष्ठ कहे जायेंगे वरना आप कोई भी हों ऑटो लाइकर से ही लाइ
भारत की भूमि पर जितने भी विद्वान हुये है।
उनमें सबसे अधिक आदर मैं हस्तिनापुर के महामंत्री विदुर जी का करता हूँ। वह विद्वान के साथ लेखक भी थे। विदुरनीति उनकी रचना है।
वह किस स्तर के विद्वान थे इससे अच्छी तरह से समझा जा सकता है की भगवान श्रीकृष्ण उनको महात्मा कहकर संबोधित करते थे।
लेकिन मेरा कारण कुछ अलग है।
बहुधा यह देखा जाता है , विद्वान , प्रबुद्ध , अभिजात्य लोग तटस्थ रहते है या निरपेक्षता का ढोंग करते है। अपनी कायरता को सिद्धांतो के आवरण में छुपाते है।
परंतु महात्मा विदुर ऐसे विद्वान नहीं थे। वह प्राचीन भारत के सबसे उच्च पद पर आसीन थे।
भरत वंश कि सारी प्रशासनिक शक्ति उनके पास थी। महामंत्री होने के साथ वह समस्त भारत की नीति , व्यवस्था के प्रेणता थे।
वह कभी मौन नहीं रहे।
निडरता , स्पष्टता , धर्मपरायणता के साथ उनकी नीति में अधिकारों की स्प्ष्ट व्याख्या थी।
अपनी युवावस्था में उन्होंने धृतराष्ट्र को आयु में श्रेष्ठ होते हुये भी उत्तराधिकारी के अयोग्य बताया था।
पांडु पुत्रों को अधिकार दिलाने के लिये वह संघर्ष करते रहे। माताकुंती को आश्रय दिये , लाक्ष्यागगृह में पांडवों की रक्षा किये।
भीष्म , द्रोण , कृपाचार्य जैसे मनीषियों कि भी आलोचना से हिचके नहीं।
हस्तिनापुर कि राज्यसभा में जँहा रेखायें बिल्कुल स्पष्ट थी कि जो भी दुर्योधन का विरोध करेगा, वह हस्तिनापुर का द्रोही होगा।लेकिन वह द्रोपदी चीरहरण का ऊंचे स्वर में विरोध किये।
दुर्योध
सफ़ेद नमक,स्वास्थ्य और ब्रत🌹🌹❤️❤️
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हमारे धर्म में व्रत रखने को कहा गया है।
पूरे वर्ष में कम से कम 30 दिन व्रत रखना चाहिये।
अधिकतम महीने में चार दिन, वर्ष में 48 दिन कहा गया है।
व्रत का धार्मिक महत्व है। वह सब आप जानते है।
अन्य पंथों, मजहबो में भी व्रत रखा जाता है।उनकी अपने नियम है।
लेकिन मैं स्वास्थ्य कि बात कर रहा हूँ। वह बिल्कुल ही अलग है।
हिंदू धर्म मे व्रत का सबसे कठोर नियम क्या है ?
24 घँटे का है !
ठीक है ,इसका भी महत्व है।
लेकिन कुछ अलग है। जिसका महत्व आज के समय मे बहुत है।
'नमक '
24 घँटे अर्थात दिन और रात आपको नमक नहीं खाना है।
यदि आप वर्ष में तीस दिन( प्रति 24 घँटे ) नमक नहीं खाते। आपका सोडियम संतुलित रहता है।
यदि आप 10 या 12 घँटे में नमक का सेवन कर लिये तो कोई लाभ नहीं होगा।
साल्ट अर्थात नमक ! जहर बन गया है। रक्तचाप ( blood pressure ) सहित लोग हृदय कि बीमारियों से लोग जूझ रहे है। रक्तचाप एक बहुत बड़ा कारण ब्रेन हैमरेज होने का और इससे अपंगता, मृत्यु हो रही है।
WHO का कहना है कि दुनिया 70 लाख लोग इस साल्ट से मर जायेंगें।
एक दिन में एक चम्मच, लगभग 5 ग्राम लेना चाहिये। जिनकी BP बढ़ी है, उनको और भी कम लेना चाहिये।
नवरा
नमक, स्वास्थ्य और व्रत
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हमारे धर्म में व्रत रखने को कहा गया है।
पूरे वर्ष में कम से कम 30 दिन व्रत रखना चाहिये।
अधिकतम महीने में चार दिन, वर्ष में 48 दिन कहा गया है।
व्रत का धार्मिक महत्व है। वह सब आप जानते है।
अन्य पंथों, मजहबो में भी व्रत रखा जाता है।उनकी अपने नियम है।
लेकिन मैं स्वास्थ्य कि बात कर रहा हूँ। वह बिल्कुल ही अलग है।
हिंदू धर्म मे व्रत का सबसे कठोर नियम क्या है ?
24 घँटे का है !
ठीक है ,इसका भी महत्व है।
लेकिन कुछ अलग है। जिसका महत्व आज के समय मे बहुत है।
'नमक '
24 घँटे अर्थात दिन और रात आपको नमक नहीं खाना है।
यदि आप वर्ष में तीस दिन( प्रति 24 घँटे ) नमक नहीं खाते। आपका सोडियम संतुलित रहता है।
यदि आप 10 या 12 घँटे में नमक का सेवन कर लिये तो कोई लाभ नहीं होगा।
साल्ट अर्थात नमक ! जहर बन गया है। रक्तचाप ( blood pressure ) सहित लोग हृदय कि