3 jr - Vertalen

हम सभी को 'कर्ण' को समझने की आवश्यकता है।
वह क्यों ?
भारतीय संस्कृति में धन, वैभव, कानून से महत्वपूर्ण जीवन मूल्य है।
एक अच्छे मित्र का सबसे बड़ा कर्त्तव्य क्या है ?
वह निर्भीक होकर, अपने स्वार्थ से अलग हटकर, हमें सही सलाह दे। यह बात तब और भी महत्वपूर्ण हो जाती है, जब मित्र के रूप में आप शक्तिशाली हों।
ऐसा कभी नहीं हो सकता कि हम गलत न हों, इसको इंकित करने वाला कोई मित्र होना चाहिये।
क्या कर्ण ने यह कर्त्तव्य निभाया था..???
उसने कभी भी दुर्योधन को अच्छी सलाह नहीं दिया।
बल्कि उसने दुर्योधन के हर दुर्गुणों को हवा दी, उसके हर पाप को अपनी सहमति दिया।
जबकि वह जानता था, कि दुर्योधन जो भी कर रहा है। उसके पीछे उसके बाहुबल का भरोसा है।
कभी कभी शकुनि भी उदार हो जाता था, लेकिन कर्ण ऐसा नहीं था।
वेदव्यास की महाभारत में गन्दर्भों ने दुर्योधन के बंदी बना लिया। पांडव ने आकर छुड़ाया।
शकुनी इस घटना के बाद कहता है पांडव से, संधि कर लेनी चाहिये। लेकिन कर्ण, दुर्योधन को उकसाता है। तुम ऐसा कभी न करो।
एक मित्र, आपको ऐसी सलाह और समर्थन दे रहा है कि पूरे कुटुंब का विनाश हो जायेगा।
वह मित्र है या दुश्मन ?
एक व्यक्ति के तौर पर कर्ण कैसा है ?
द्रौपदी चीरहरण में जितने भी कठोर अपशब्द हैं सभी कर्ण ने बोले हैं। वेश्या शब्द उसी के थे। स्वयं ही नहीं बोलता, इसका विरोध करने वाले विकर्ण को डांटकर बैठाने वाला यही था। तुम बच्चे हो, क्या जानो।
यह व्यक्ति इतना अभिमानी है, कि अकारण अर्जुन को हराने के लिये पूरा जीवन खपा दिया।
चार बार आमने सामने के युद्ध में यह अर्जुन को कभी हरा नहीं पाया।
द्रोणाचार्य शिक्षा देने से मना नहीं किये थे। ब्रह्मास्त्र की शिक्षा नहीं देने को कहे। वह एक राजपरिवार से अनुबंधित आचार्य थे।
यह व्यक्ति, हर बात का बतंगड़ बना रहा है।
वास्तव में वह दुर्योधन के प्रति भी निष्ठावान नहीं है।
इसे भीष्म ने नहीं कहा, युद्ध मत करो। यह टीवी धारावाहिक से बना है।
इसको भीष्म ने अर्धरथी कह दिया। इसने, उनके नेतृत्व में युद्ध करने से मना कर दिया।
दानवीर है, कवच इंद्र को दे दिया।
तुम्हारा मित्र, तुम्हारे ही भरोसे एक महायुद्ध कर रहा है। यह तुम्हीं उसको आश्वासन दिये हो। मेरे रहते, कोई तुम्हें हरा नहीं सकता।
अब तुम्हारे लिये अपना अहंकार, सम्मान, दानवीरता महत्वपूर्ण हो गई।
यह किस तरह की निष्ठा है,
मित्रता है।
ऐसे ढोंगी, कर्ण की तरह के मित्रों से सावधान रहना चाहिये।
जो उचित सलाह न देते हो,
पापकर्म, अपराध के लिये प्रेरित करते हों,
समय पर अपने बचन, आश्वासन से अधिक, उनका अपना व्यक्तिगत जीवन महत्वपूर्ण हो जाता है।
भगवान , अर्जुन से तभी तो कहते हैं.....
"क्या देख रहे हो पार्थ ! यह कर्ण, दुर्योधन के हर पाप, अपराध का भागीदार है। इसके पास यह अधिकार ही नहीं है कि धर्म और न्याय की बात करे। यह असहाय है, तो धर्म कि बात कर रहा है। जब शक्ति थी तो एक निहत्थे बालक को घेर कर मारा था। निर्णायक क्षणों में द्वंद्व में मत पड़ो।"

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जो कथित विद्वान होता है, वह तर्क वितर्क करता है। न्याय अन्याय, धर्म अधर्म में उलझता है।
उसका निर्णय तब आता है, जब उस निर्णय का महत्व ही नहीं रह जाता।
जो सरल है !
वह धर्म अधर्म, न्याय अन्याय ईश्वर पर छोड़कर तुरंत निर्णय लेता है।
हस्तिनापुर की सभा, वीरों से अधिक विद्वानों की सभा थी।
एक से बढ़कर एक विद्वान, आचार्य, गुरु, मंत्री सब थे।
यह जान रहे थे कि गलत हो रहा है, लेकिन निर्णय नहीं लिये।
उसमें से एक खड़ा हो जाता कि द्रोपदी के साथ दुर्व्यवहार न करो। दुर्योधन में इतनी क्षमता न थी कि कुछ करता।
जटायु जी, वृद्ध हो चले हैं।
वह जगतजननी की आर्द पुकार सुने, उठ खड़े हुये।
वह जान रहे थे कि रावण के पास इतनी शक्ति है कि मार देगा।
लेकिन उन्होंने रावण को ललकारा।
हे पुत्री, मैं आ रहा हूँ।
इस पापी को अभी यमलोक पहुँचाता हूँ।
घनघोर युद्ध किये।
युद्ध उनके पक्ष में भी था।
चंद्रहास से पंख कट गये।
राम राम कहते नीचे आ गिरे।
परिणति क्या हुई.........................? ?

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#ब्राह्मण तो देश छोड़कर जा ही रहे हैं।
मैं जाति कि बात नहीं कर रहा हूँ। उसमें अब कोई रस बचा नहीं है।
ब्राह्मण शब्द का जो अर्थ है।
विद्वता, ज्ञान, अध्ययन, शिक्षा।
इस समय भारत के जो प्रसिद्ध संस्थान हैं, उनमें विदेशी कम्पनियां टूट पड़ी हैं।
सभी योग्य शोध करने वाले छात्र, IIT के इंजीनियर, IIM से विदेश जा रहे हैं।
अच्छे बच्चों का तो दो तीन संस्थान में हो रहा है।
येल यूनिवर्सिटी के इंटरनेशनल सामाजिक विज्ञान के प्रोफ़ेसर डॉ सादिक खान ने अपने इंटरव्यू में कहा, अरब देशों की स्थिति तो यह हो गई है कि यदि भारतीय निकल जायें तो इनकी अर्थव्यवस्था कोलैप्स हो जाये।
वर्ल्डबैंक की रिपोर्ट दो दिन पहले आई है।
भारत का रेमिटेंस 100 अरब डॉलर हो गया है।
रेमिटेंस का अर्थ है, जो विदेश से भारतीय पैसा भेजते हैं।
इसमें महत्वपूर्ण यह है कि 23 अरब डॉलर अमेरिका से आये हैं। मजदूर नहीं, उच्च शिक्षा प्राप्त लोगों ने भेजे हैं।
चीन 50 अरब डॉलर पर है।
भारत को अब शोध, खोज की आवश्यकता नहीं है। वह शेष दुनिया के लिये सप्लायर बन रहा है।
हमारे एक छोटे भ्राता जैसे मित्र हैं अवनीश सिंह , आज मिलने आये थे। IIT से PHD कर रहे थे।

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बाहर हवा थी।
धूप थी।
घास थी।
मैने कहा आज़ादी.......... फिर सब धूमिल।

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दल गुलामी छोड़िए अच्छे कानून की मांग करिए।
आज के अच्छे नेता 25 वर्ष बाद अलगाववाद कट्टरवाद जिहाद मजहबी उन्माद और धर्मांतरण की आग से आपके बच्चे को बचाने नही आयेंगे।
लेकिन आज का अच्छा कानून 25 वर्ष बाद अलगाववाद कट्टरवाद जिहाद मजहबी उन्माद और धर्मांतरण की आग से आपके बच्चो को बचाएगा।

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