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मोदी ने sco में किया बड़ा धमाका
भारत ने SCO में अज़रबैजान की पूर्ण सदस्यता पर वीटो लगा दिया 🔥🔥
अज़रबैजान के लिए बड़ा झटका!!
अज़रबैजान ने SCO का पूर्ण सदस्य बनने की बड़ी महत्वाकांक्षाएँ रखी थीं।
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान उसने पाकिस्तान और तुर्की का खुलकर समर्थन किया था।
अब, भारत ने SCO में अज़रबैजान के प्रवेश को रोक दिया है 🔥
जय हिन्द जय भारत
गुड़ जिसका सेवन सबसे ज्यादा ठंड में किया जाता है ? पर कुछ लोग बहुत थोड़ी मात्रा में सेवन करते है इस सोच के साथ की ज्यादा गुड़ खाने से नुकसान होता है। इसकी प्रवृति गर्म होती है, लेकिन ये एक गलतफहमी है गुड़ हर मौसम में खाया जा सकता है और पुराना गुड़ हमेशा औषधि के रूप में काम करता है। आयुर्वेद संहिता के अनुसार यह शीघ्र पचने वाला, खून बढ़ाने वाला व भूख बढ़ाने वाला होता है। इसके अतिरिक्त गुड़ से बनी चीजों के खाने से बीमारियों में राहत मिलती है।
गुड़ में सुक्रोज 59.7 प्रतिशत, ग्लूकोज 21.8 प्रतिशत, खनिज तरल 26प्रतिशत तथा जल अंश 8.86 प्रतिशत मौजूद होते हैं।इसके अलावा गुड़ में कैल्शियम, फास्फोरस, लोहा और ताम्र तत्व भी अच्छी मात्रा में मिलते हैं। इसलिए चाहे हर मौसम में आप गुड़ खाना न पसन्द करें लेकिन ठंड में गुड़ जरूर खाएं।
यह सेलेनियम के साथ एक एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करता है। गुड़ में मध्यम मात्रा में कैल्शियम, फॉस्फोरस व जस्ता पाया जाता है यही कारण है कि इसका रोजाना सेवन करने वालों का इम्युनिटी पॉवर बढ़ता है। गुड़ में मैग्नेशियम अधिक मात्रा में पाया जाता है इसलिए ये बॉडी को रिचार्ज करता है साथ ही इसे खाने से थकान भी दूर होती है।
(OHO RADIO) #आरजे_काव्य - देव भूमि #उत्तराखंड के लिए ये एक ऐसा नाम है, जिसे क्या पहाड़ और क्या प्लेन, हर कहीं भरपूर प्यार मिलता है. आरजे काव्य को #देवभूमि के लोग अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं और आरजे काव्य ख़ुद को "उत्तर का पुत्तर" कहते हुए गर्व महसूस करते हैं कि - उनका जन्म इस पावन देवभूमि में हुआ है. एफ.एम. रेडियो के क्षेत्र में इन्होंने रेडियो जॉकी के तौर पर अपना मुक़ाम बनाया और पिछले 12 सालों में इन्होंने रेडियो में जो कुछ भी सीखा उस नॉलेज को #उत्तराखंड की भलाई के लिए लगाया. #उत्तराखंड की संस्कृति, यहां का खानपान, म्यूज़िक, पहनावा, बोलचाल - ये सारी चीजें अपने आप में समृद्ध हैं. लेकिन कहीं ना कहीं आज के मॉडर्न हो रहे ज़माने में वो अपना पहचान खो रही थीं. पर #आरजे काव्य ने अपने रेडियो प्रोग्राम्स, अपनी पहल "एक पहाड़ी ऐसा भी" और अपने सोशल मीडिया के ज़रिए इस खोती पहचान को संजोने की कोशिश की और निरंतर करते आ रहे हैं. अपने पहाड़ों के लिए कुछ अलग करने का जज़्बा लेकर आज से लगभग 3 साल पहले जब आरजे काव्य उत्तराखंड लौटे, तभी से इनकी कोशिश रही कि रेडियो को लोगों की आवाज़ बनाएंगे. क्योंकि आरजे काव्य हमेशा कहते हैं कि - उत्तराखंड में देहरादून तो दिखता है, पर देहरादून में उत्तराखंड नहीं दिखता है.💐👏🥰❤🙏
(OHO RADIO) #आरजे_काव्य - देव भूमि #उत्तराखंड के लिए ये एक ऐसा नाम है, जिसे क्या पहाड़ और क्या प्लेन, हर कहीं भरपूर प्यार मिलता है. आरजे काव्य को #देवभूमि के लोग अपने परिवार का हिस्सा मानते हैं और आरजे काव्य ख़ुद को "उत्तर का पुत्तर" कहते हुए गर्व महसूस करते हैं कि - उनका जन्म इस पावन देवभूमि में हुआ है. एफ.एम. रेडियो के क्षेत्र में इन्होंने रेडियो जॉकी के तौर पर अपना मुक़ाम बनाया और पिछले 12 सालों में इन्होंने रेडियो में जो कुछ भी सीखा उस नॉलेज को #उत्तराखंड की भलाई के लिए लगाया. #उत्तराखंड की संस्कृति, यहां का खानपान, म्यूज़िक, पहनावा, बोलचाल - ये सारी चीजें अपने आप में समृद्ध हैं. लेकिन कहीं ना कहीं आज के मॉडर्न हो रहे ज़माने में वो अपना पहचान खो रही थीं. पर #आरजे काव्य ने अपने रेडियो प्रोग्राम्स, अपनी पहल "एक पहाड़ी ऐसा भी" और अपने सोशल मीडिया के ज़रिए इस खोती पहचान को संजोने की कोशिश की और निरंतर करते आ रहे हैं. अपने पहाड़ों के लिए कुछ अलग करने का जज़्बा लेकर आज से लगभग 3 साल पहले जब आरजे काव्य उत्तराखंड लौटे, तभी से इनकी कोशिश रही कि रेडियो को लोगों की आवाज़ बनाएंगे. क्योंकि आरजे काव्य हमेशा कहते हैं कि - उत्तराखंड में देहरादून तो दिखता है, पर देहरादून में उत्तराखंड नहीं दिखता है.💐👏🥰❤🙏
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