imageimage
9 hrs - Translate

दोघट गांव निवासी हर्षित जैन ने महज 30 साल की उम्र में वैराग्य धारण कर लिया है. वह पेशे से कपड़ा व्यापारी हैं जिनका एक करोड़ से ऊपर का टर्नओवर है. दिल्‍ली के चांदनी चौक में उनका शोरूम है. कोरोना काल में जन्म-मरण का खेल देखकर जीवन के बारे में उनकी धारणा बदल गई. उन्होंने हर सुख त्याग कर वैराग्य धारण कर लिया है. 4 साल बाद लिए इस निर्णय से हर्षित जैन बहुत खुश हैं. जैन मुनि से दीक्षा लेकर वह जैन मुनियों जैसा सादा जीवन जियेंगे.
हर्षित जैन बताते हैं कि कोविड काल में उन्होंने सत्य को करीब से जाना है. 2019 के अंत में जब कोविड आया पूरे देश में हाहाकार मच गया. बड़े शहरों में काम करने वाले लोग अपने गांव लौट गए. सभी जगह लॉकडाउन लग गया. बीमारी को देखकर लोग एक दूसरे से दूर भागते थे. कोई किसी के काम नहीं आ रहा था. अपनों की मौत के बाद उनको कोई कंधा देने वाला भी नहीं था. भाई से भाई दूर हो गया. बीमार भाई को दूर से ही खाना दिया जा रहा ह.। कोई पास नहीं आ रहा था. सभी को मौत का डर सता रहा है. किसी में कोई अपनापन नहीं. इंसान अकेला सा रह गया. जब मैंने यह मंजर देखा तो जीवन के बारे में मेरी धारणा बदल गई.

image

image

image

image

image

image

imageimage

image

image