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19 वर्षीय तुषार शाह ने ऐसा आविष्कार किया है जो हज़ारों नेत्रहीन लोगों की ज़िंदगी बदल सकता है. स्केलर स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी के छात्र तुषार को सैमसंग Solve for Tomorrow 2025 प्रतियोगिता में 25 लाख रुपये का राष्ट्रीय पुरस्कार मिला है. यह सम्मान उन्हें उनकी बनाई एआई स्मार्ट ग्लासेस Percevia के लिए मिला.

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Sachi baat 💯

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क्या दूसरी जाति में विवाह कर सकते हैं? दीदी ने दिया बड़ा सुंदर उत्तर #vivah #patipatni #shortreels

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तमिलनाडु के इरोड में 5 साल के मासूम की गले में केला फंसने से मौत हो गई। परिजन उसे अस्पताल ले गए, लेकिन डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
ऐसे ही खबरों के लिए यहाँ पढ़ें..... https://thebharatnama.in/

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यूपी के अंबेडकर से हैरान करने वाला मामले सामने आया है. जहां 5 बच्चों की मां ने एक नवयुवक से मंदिर में शादी रचाई. इस शादी के दौरान महिला का पति भी मौजूद था.

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आज भारत में नटराज और अप्सरा पेंसिल सिर्फ स्टेशनरी ब्रांड नहीं, बल्कि हर छात्र की पहचान बन चुकी हैं। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि इन ब्रांड्स के पीछे तीन दोस्तों की ऐसी कहानी है, जो असफलताओं, मज़ाक और सीमित संसाधनों से लड़कर बनी है।
1950 के दशक में जब बी. जे. सांगवी, रामनाथ मेहरा और मनसुखानी ने पेंसिल मैन्युफैक्चरिंग का विचार रखा, तो उन्हें ताने सुनने पड़े। लोग कहते थे, “पेंसिल बनाकर कौन अमीर बनता है?”
उस समय भारतीय बाज़ार पर विदेशी पेंसिलों का दबदबा था और देसी उत्पादों को कमतर समझा जाता था।
लेकिन तीनों दोस्तों ने हार नहीं मानी। बी. जे. सांगवी गरीबी और सीमित पूंजी के बावजूद अपने सपने पर डटे रहे। वे जर्मनी गए, जहाँ उन्होंने पेंसिल बनाने की आधुनिक मशीनों और तकनीक को समझा। भारत लौटने के बाद वे महीनों तक जंगलों में सही लकड़ी की तलाश में भटके और आखिरकार उन्हें पॉपलर वुड मिला, जो विदेशी सीडर का मज़बूत और सस्ता विकल्प साबित हुआ।
मशीनें खरीदने के पैसे नहीं थे, इसलिए इन्होंने भारतीय इंजीनियरों के साथ मिलकर देसी जुगाड़ से खुद मशीनें तैयार कीं। यही आत्मनिर्भरता आगे चलकर उनकी सबसे बड़ी ताकत बनी।
साल 1958 में हिंदुस्तान पेंसिल्स लिमिटेड की नींव पड़ी और इसके साथ ही आया नटराज 621 HB, जिसने धीरे-धीरे भारतीय बाज़ार में अपनी जगह बनानी शुरू की। कंपनी ने स्कूलों में फ्री सैंपल देने की रणनीति अपनाई। बच्चों और शिक्षकों ने गुणवत्ता को पहचाना और नटराज देशभर में लोकप्रिय हो गई।
इसके बाद 1970 में अप्सरा ब्रांड लॉन्च हुआ, जिसने आर्टिस्ट और प्रोफेशनल सेगमेंट में अपनी अलग पहचान बनाई। डस्ट-फ्री इरेज़र, प्रीमियम पेंसिल और शार्पनर जैसे इनोवेशन के साथ कंपनी ने लगातार अपने प्रोडक्ट पोर्टफोलियो को मज़बूत किया।
आज हिंदुस्तान पेंसिल्स
भारत के स्टेशनरी मार्केट में 65 प्रतिशत हिस्सेदारी रखती है।
कंपनी रोज़ाना
80 लाख पेंसिल,
15 लाख शार्पनर,
और 25 लाख इरेज़र का उत्पादन करती है।
इसका सालाना ऑपरेटिंग रेवेन्यू करीब 500 करोड़ रुपये है।
यह कहानी सिर्फ पेंसिल बनाने की नहीं है, यह कहानी है हिम्‍मत, नवाचार, देसी इंजीनियरिंग और भारत में ब्रांड बनाने के आत्मविश्वास की।

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भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर जी को
महापरिनिर्वाण दिवस की कोटि कोटि शुभकामनाएं
🙏🏻🙏🏻💐💐
#महापरिनिर्वाणदिन #डॉबाबासाहेबआंबेडकर
#babasahebambedkar

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मुख्यमंत्री श्री MYogiAdityanath जी महाराज से आज लखनऊ में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग, नई दिल्ली की लीगल रिसर्च कंसलटेंट सुश्री वामिका सचदेव जी ने शिष्टाचार भेंट की।

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500 वर्षों की गुलामी को समाप्त करने वाले सभी सनातनी वीरों को शौर्य दिवस पर कोटि-कोटि नमन।
जय श्रीराम🚩

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बॉलीवुड को छठी का दूध याद दिला देंगी सनी देओल की ये 6 अपकमिंग फिल्में, स्वर्ग से मिलेगा पिता धर्मेंद्र का आशीर्वाद

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