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रणवीर सिंह ने गोवा में 56वें भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव (आईएफएफआई) के समापन समारोह के दौरान ऋषभ की खिल्ली उड़ाई। उन्होंने आंखें बड़ी करके जीभ बाहर निकालकर उनकी मिमिक्री की। इतना ही नहीं, रणवीर ने कहा, 'मैंने ये फिल्म थिएटर में देखी और आपकी परफॉर्मेंस शानदार थी ऋषभ। खासतौर पर जब फीमेल घोस्ट आपके अंदर आ जाती है।' रणवीर जब स्टेज से नीचे आते हैं और ऋषभ शेट्टी के पास जाते हैं, तब भी वो ऐसे ही नकल उतारते हुए मजाक उड़ाते हैं। पर ऋषभ उन्हें बार-बार रोकते हैं। पर वो उनकी तरफ ध्यान नहीं देते हैं।
अब रणवीर के खिलाफ हिंदू जनजागृति समिति (एचजेएस) ने आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि उन्होंने चामुंडादेवी का अपमान किया है। उन्होंने कोटिटुलु समुदाय द्वारा पूजनीय चामुंडी दैव को 'महिला भूत' कहा। इसलिए उन्होंने रणवीर सिंह से माफी की मांग की है।
#ranveersingh #rishabhshetty #kantara | #zeenews
आदरणीय प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi जी की प्रेरणा से लोक भवन, असम दिव्यांगजनों के सम्मान, अधिकारों और समान अवसरों के संवर्धन हेतु सतत प्रतिबद्ध है। लोक भवन की विश्वकर्मा सम्मान योजना उनकी प्रतिभा को राष्ट्र निर्माण की धारा से जोड़ने का एक सशक्त प्रयास है।आइए, हम दिव्यांगजनों के कल्याण एवं सशक्तीकरण की दिशा में सामूहिक प्रयास करें तथा समावेशी समाज और विकसित भारत के निर्माण में योगदान दें।
अंतरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के पावन अवसर पर, सभी दिव्यांगजनों को मेरी हार्दिक बधाई व शुभकामनाएँ।
President of India
एसआईआर को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने खुद एक कड़ा और बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया — जिसने पूरी बहस की दिशा बदल दी। विपक्ष की ओर से तर्क दिया जा रहा था कि लाखों लोगों के वोट काटे जा रहे हैं और एसआईआर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएँ हैं। कपिल सिब्बल, प्रशांत भूषण और अन्य वरिष्ठ वकील लगातार यही मुद्दा उठा रहे थे। लेकिन सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने ऐसा तथ्य सामने रखा कि पूरा माहौल बदल गया।
CJI ने कहा —
“बिहार में दावे किए गए थे कि लाखों लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं। हम भी डर गए थे… कहीं सच में तो ऐसा नहीं हो रहा। इसलिए हमने पैरालीगल वॉलंटियर्स भेजे, लेकिन वहां तो एक भी व्यक्ति नहीं आया। किसी ने नहीं कहा कि उसका नाम गलत तरीके से काट दिया गया है।”
उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि जो नाम हटाए गए, वे या तो मृतक थे, या दूसरे राज्यों में चले गए थे, या फिर डुप्लिकेट वोटर्स की श्रेणी में पाए गए। CJI के अनुसार, इससे यह संकेत मिला कि “बिहार में काम सही तरीके से किया गया।”
जस्टिस बागची ने भी यही सवाल उठाया कि लाखों नाम हटाए जाने के दावों के बावजूद जमीन पर कोई चुनौती सामने क्यों नहीं आई। कोर्ट ने कहा कि सबसे दूरस्थ इलाकों में भी यह प्रक्रिया लोगों के संज्ञान में थी, फिर भी किसी एक भी वोटर ने कोर्ट में शिकायत नहीं की।
सुप्रीम कोर्ट में चल रही यह सुनवाई किसी राज्य में एसआईआर रोकने या लागू करने के मुद्दे पर नहीं, बल्कि एसआईआर की संवैधानिकता और व्यापक कानूनी प्रश्नों पर केंद्रित है। विपक्ष की चिंताओं को सुना जा रहा है, लेकिन कोर्ट की प्रारंभिक टिप्पणियों ने यह भी साफ कर दिया है कि आरोपों और वास्तविकता के बीच बड़ा अंतर हो सकता है।
#fblyfestyle #sir #supremecourt #electioncommission #cji #indianews #legalupdateएसआईआर को लेकर उठ रहे सवालों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने खुद एक कड़ा और बेहद महत्वपूर्ण प्रश्न उठाया — जिसने पूरी बहस की दिशा बदल दी। विपक्ष की ओर से तर्क दिया जा रहा था कि लाखों लोगों के वोट काटे जा रहे हैं और एसआईआर प्रक्रिया में गंभीर अनियमितताएँ हैं। कपिल सिब्बल, प्रशांत भूषण और अन्य वरिष्ठ वकील लगातार यही मुद्दा उठा रहे थे। लेकिन सुनवाई के दौरान CJI सूर्यकांत ने ऐसा तथ्य सामने रखा कि पूरा माहौल बदल गया।
CJI ने कहा —
“बिहार में दावे किए गए थे कि लाखों लोगों के नाम हटाए जा रहे हैं। हम भी डर गए थे… कहीं सच में तो ऐसा नहीं हो रहा। इसलिए हमने पैरालीगल वॉलंटियर्स भेजे, लेकिन वहां तो एक भी व्यक्ति नहीं आया। किसी ने नहीं कहा कि उसका नाम गलत तरीके से काट दिया गया है।”
उन्होंने आगे स्पष्ट किया कि जो नाम हटाए गए, वे या तो मृतक थे, या दूसरे राज्यों में चले गए थे, या फिर डुप्लिकेट वोटर्स की श्रेणी में पाए गए। CJI के अनुसार, इससे यह संकेत मिला कि “बिहार में काम सही तरीके से किया गया।”
जस्टिस बागची ने भी यही सवाल उठाया कि लाखों नाम हटाए जाने के दावों के बावजूद जमीन पर कोई चुनौती सामने क्यों नहीं आई। कोर्ट ने कहा कि सबसे दूरस्थ इलाकों में भी यह प्रक्रिया लोगों के संज्ञान में थी, फिर भी किसी एक भी वोटर ने कोर्ट में शिकायत नहीं की।
सुप्रीम कोर्ट में चल रही यह सुनवाई किसी राज्य में एसआईआर रोकने या लागू करने के मुद्दे पर नहीं, बल्कि एसआईआर की संवैधानिकता और व्यापक कानूनी प्रश्नों पर केंद्रित है। विपक्ष की चिंताओं को सुना जा रहा है, लेकिन कोर्ट की प्रारंभिक टिप्पणियों ने यह भी साफ कर दिया है कि आरोपों और वास्तविकता के बीच बड़ा अंतर हो सकता है।
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मैं ज़िन्दगी का साथ निभाता चला गया🎶
सदाबहार अभिनेता देव आनंद ने अपने किरदारों में नौजवानों की उमंगों, तरंगों और चंचलता को बेहद ख़ूबसूरत अंदाज़ से पेश किया. बाज़ी, ज्वेल थीफ़, गाईड, फंटुश, पेइंग गेस्ट जैसी कई फ़िल्मों से वे जवां दिलों के धड़कन बन गए.
पुण्यतिथि पर सादर स्मरण🙏
गोरा और बादल चित्तौड़गढ़ मेवाड़ के महान
योद्धाओं में से एक थे, जो चित्तौड़गढ़ मेवाड़ के रावल रतन सिंह के बचाव के लिए बहादुरी से लड़े थे |
गोरा ओर बदल दोनों चाचा भतीजे जालोर के चौहान वंश से सम्बन्ध रखते थे |
छल द्वारा 1298 में अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़गढ़ मेवाड़ के शाशक रावल रतन सिंह को कैदी बना दिया था।
फिरौती में खिलजी ने, चित्तौड़गढ़ मेवाड़ के रावल रतन सिंह कि पत्नी रानी पद्मिनी कि माँग कि थी |
यह सब होने के बाद रानी पद्मिनी ने एक युद्ध परिषद आयोजित की जिसमे रावल रतन सिंह को बचाने कि योजना बनाई गयी |
रावल रतन सिंह को बचाने का जिम्मा गोरा ओर बादल को दिया गया |
गोरा ओर उसके भतीजे बादल को अलाउद्दीन
खिलजी के पास दूत बना कर भेजा गया ओर संदेश पहुँचाया गया कि रानी पद्मिनी को खिलजी को सोप दिया जयेगा अगर खिलजी अपनी सेनाये चित्तौड़गढ़ मेवाड़ से हटा दे, पर एक शर्त यह है कि जब रानी पद्मिनी को खिलजी को सोपा जयेगा तब रानी पद्मिनी कि दासिया ओर सेवक 50 पालकियो में साथ होगी |
जब रानी पद्मिनी को खिलजी को सोपा जा रहा था तो हर एक पालकि में 2 अच्छे अच्छे राजपूत योधा को बिठाया गया |
जब रानी पद्मिनी कि पालकि जिसमे गोरा ख़ुद भी बैठा था,जब रत्न सिंह के टेंट के पास पहुँची तो गोरा ने रतन सिंह के टेंट में जाके रत्न सिंह को घोड़े पे बैठने को बोला ओर कहा कि आप किले(चित्तौड़गढ़) में वापस चले ज्यों।
उसके बाद गोरा ने सभी राजपूत योद्धाओं को उनकी पालकी से बाहर आने को कहा ओर बोला कि मुस्लिम सैनिकों पर हमला करो |
गोरा खिलजी के तम्बू तक पहुँचा और सुल्तान को मारने ही वाला था पर सुल्तान अपनी उपपत्नी के पीछे छिप गया |
गोरा एक राजपूत था ओर राजपूत मासूम महिलाओं को नहीं मारते, इसलिए गोरा ने उस महिला पे हाथ नही उठाया, ओर सुल्तान के सैनिकों से युधा करते हुए गोरा ओर बादल वीर गति को प्राप्त हुए |
चित्तौड़गढ़ किले में रानी पद्मिनी के महल के दक्षिण में दो गुंबद के आकार घरों का निर्माण किया गया है जिन्हें गोरा बादल के महल के नाम से जाना जाता है |
#sanatandharma #rajputananews #jaishreeram