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जय श्री राम 🚩
#sialkot #indiapakistanwar
#morningmotivation श्री गणेश
#indopakborder #akshayatritiya
#happybirthdayrohitsharma
भगवान परशुराम , भगवान विष्णु,

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आरम्भ है प्रचंड 🕉️🔥

यतो धर्मस्ततो जयः

Full support to our brave Indian Army. 💯

#pahalgamterroristattack
#sialkot #pakistanbehindpahalgam

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BIG BREAKING 🚨⚡:

Mia Khalifa extends her support for Pakistan. She said, she can spread her legs as a shield to prevent Indian missiles from entering Pakistan.

#indiapakistanwar #sialkot

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पहलगाम हमले को लेकर रिपोर्टर द्वारा सवाल पूछने पर

एक कश्मीरी बालक ने कहा: पहलगाम हमले के लिए पाकिस्तान दोषी हैं

इसपर महिला ने तुरंत जड़ दिया अपने बेटे को थप्पड़

ये कैसी माँ हैं ? ये कैसी मानसिकता है?

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#sialkot
#pahalgamterroristattack
#pakistanbehindpahalgam
#balochistan

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#संस्कृति और धर्म के मध्य एक बहुत पतली सी रेखा होती है। संस्कृति का उपयोग आप संकीर्णता के लिए करते हैं तो फिर संस्कृति सबको अपने साथ नहीं जोड़ पाती है और यदि आप संस्कृति का उपयोग उदारता के साथ करते हैं तो संस्कृति दूसरे धर्म को मानने वाले लोगों को भी अपने साथ जोड़ती है। हमने उत्तराखंड के ग्रामीण और शहरीय, दोनों जीवन में रामलीला का बहुत बड़ा महत्व है। जब मनोरंजन के व्यापक साधन नहीं थे तो उस समय रामलीलाएं मनोरंजन के साथ-साथ लोगों के अंदर भावनात्मक एकता और अपनी संस्कृति के साथ जुड़ाव पैदा करने का काम करती थी और गांव-गांव में, कभी दो-तीन गांव के बीच में रामलीलाओं का आयोजन होता था। कई रामलीलाएं इसमें बहुत नामचीन रामलीलाएं थी,जो वर्षों-वर्षों से संचालित हो रही होती हैं। हमारे राज्य में भी ऐसी कई रामलीलाएं और इन रामलीलाओं में भीमतालिया तर्ज की रामलीला कुमाऊं क्षेत्र में और गढ़वाल के भी कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है। टिहरी तर्ज पर रामलीला का भी अपना महत्व है।

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#संस्कृति और धर्म के मध्य एक बहुत पतली सी रेखा होती है। संस्कृति का उपयोग आप संकीर्णता के लिए करते हैं तो फिर संस्कृति सबको अपने साथ नहीं जोड़ पाती है और यदि आप संस्कृति का उपयोग उदारता के साथ करते हैं तो संस्कृति दूसरे धर्म को मानने वाले लोगों को भी अपने साथ जोड़ती है। हमने उत्तराखंड के ग्रामीण और शहरीय, दोनों जीवन में रामलीला का बहुत बड़ा महत्व है। जब मनोरंजन के व्यापक साधन नहीं थे तो उस समय रामलीलाएं मनोरंजन के साथ-साथ लोगों के अंदर भावनात्मक एकता और अपनी संस्कृति के साथ जुड़ाव पैदा करने का काम करती थी और गांव-गांव में, कभी दो-तीन गांव के बीच में रामलीलाओं का आयोजन होता था। कई रामलीलाएं इसमें बहुत नामचीन रामलीलाएं थी,जो वर्षों-वर्षों से संचालित हो रही होती हैं। हमारे राज्य में भी ऐसी कई रामलीलाएं और इन रामलीलाओं में भीमतालिया तर्ज की रामलीला कुमाऊं क्षेत्र में और गढ़वाल के भी कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है। टिहरी तर्ज पर रामलीला का भी अपना महत्व है।

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