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🚨 Political Flashpoint in West Bengal

BJP leader Mithun Chakraborty has triggered a storm with a blunt and fiery statement:

“We won’t allow TMC to turn West Bengal into ‘West Bangladesh’. I appeal to Hindus in the Communist Party and Congress to unite with us. We will not allow this till the last drop of blood in our body.”

A sharp warning.
A direct appeal across party lines.
And words that have instantly ignited intense political reactions across Bengal

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Aditya Dhar is a rare case in Bollywood where quality effortlessly beats quantity.
With just two films as a director — Uri: The Surgical Strike and the much-anticipated Dhurandhar — Dhar has already carved out a reputation for intense storytelling and razor-sharp screenwriting.
Uri wasn’t just a commercial success; it became a cultural moment. National Awards, iconic dialogues, and a complete reset of how military and patriotic cinema is approached in India — all from a debut that hit with conviction and clarity.
Now, even before release, Dhurandhar is generating massive buzz, with expectations soaring. Dhar’s strength lies in gripping narratives, tight character arcs, and an uncompromising creative vision — no noise, no excess, just impact.
His journey proves one thing clearly:
You don’t need a long filmography to leave a mark.
Sometimes, one powerful screenplay is enough to shake the industry

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29 दिसम्बर/इतिहास-स्मृति
लंदन में गुरु गोविंद सिंहजी का जन्मोत्सव
जो लोग काम-धंधे या अन्य किसी कारण से विदेश में बस जाते हैं, वे लम्बा समय बीतने पर प्रायः अपनी भाषा-बोली, रीति-रिवाज खान-पान और धर्म-कर्म आदि भूल जाते हैं। गुलामी के काल में इंग्लैंड निवासी अधिकांश भारतीय और हिन्दुओं की यही हालत थी। ऐसे माहौल में जुलाई 1906 में वीर विनायक दामोदर सावरकर बैरिस्टरी की पढ़ाई करने के लिए लंदन पहुंचे। वे वहां स्वाधीनता सेनानी पंडित श्यामजी कृष्ण वर्मा के ‘इंडिया हाउस’ में रहते थे। वहां रहकर उन्होंने जहां स्वाधीनता संग्राम में कई तरह से योगदान किया, वहां देश और धर्म के लिए बलिदान होने वाले वीरों की जयंती और पुण्य-तिथि आदि मनाकर भारत से गये हिन्दुओं में भी जागृति लाने का प्रयास किया।
इसी क्रम में 29 दिसम्बर, 1908 को लंदन के प्रसिद्ध ‘कैक्स्टन हाॅल’ में खालसा पंथ के संस्थापक श्री गुरु गोविंद सिंहजी का जन्मोत्सव मनाया गया। खराब मौसम के बावजूद इसमें हिन्दुओं और सिखों के अलावा कई अंग्रेज, मुसलमान और पारसी भी शामिल हुए। सभा स्थल पर गुलाबी रंग के एक भव्य झंडे पर ‘देग तेग फतह’ लिखा था। गुलाबी पृष्ठभूमि पर ये शब्द बहुत अच्छे लग रहे थे। एक बैनर पर Honour to the secred memory of Shree Guru Govind Singh के नीचे Prophet, Poet and warrior लिखा था। सभागार धूपबत्ती और ताजे पुष्पों की सुगंध से महक रहा था। श्वेत राष्ट्रीय झंडियों से वातावरण में पवित्रता व्याप्त हो गयी।
समारोह की अध्यक्षता स्वाधीनता सेनानी श्री विपिनचंद्र पाल ने की। उनके मंचासीन होने पर ‘राष्ट्रगीत’ हुआ। फिर ‘बंगाली आमार देश’ तथा ‘मराठी प्रियकर हिन्दुस्थान’ गीत गाये गये। इसी क्रम में दो सिख युवाओं ने धार्मिक प्रार्थना बोली। पहले वक्ता प्रोफेसर गोकुलचंद नारंग एम.ए. (दयानंद काॅलेज) ने अपने आवेशयुक्त भाषण में कहा कि गुरु गोविंद सिंहजी का स्मरण हिन्दुओं के मन में अभिमान, प्रेम, आत्मनिष्ठा और पूज्यता का भाव भर देता है। ईसाई लोगों के मन में ईसा मसीह का नाम लेने से जो मनोभावना उत्पन्न होती है, केवल उसी से इसकी तुलना हो सकती है।
दूसरे वक्ता स्वाधीनता सेनानी लाला लाजपतराय थे। उन्होंने कहा कि गुरु गोविंद सिंहजी हिन्दुस्थान की महान विभूति थे। पंजाब में तो वे अनन्य थे ही। उनके चार छोटे बच्चे शत्रु के रोष की बलि चढ़ गये। गुरुजी वास्तव में सिंह थे। अध्यक्ष विपिन चंद्र पाल ने गुरुजी को याद करते हुए कि उन्होंने मानव की दैवी शक्ति का विकास करने का प्रयास किया। आज भारत में जिसे नयी जागृति या नया पक्ष आदि कहा जा रहा है, वह कुछ नया नहीं है।

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पर्यटक बनकर जाओगे तो सिर्फ पत्थर दिखेंगे,
वारिस बनकर देखोगे तो हर पत्थर में बलिदान दिखेगा।
यह सिर्फ ईंट-पत्थर नहीं, यह हमारा गौरवशाली इतिहास है, इसे सम्मान दें।

इनका संरक्षण और सम्मान हम सबकी जिम्मेदारी है।

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स्वर्गीय सुखदेव सिंह जी गोगामेड़ी व शीला शेखावत जी की बेटी उर्वशी शेखावत को जन्मदिन की हार्दिक बधाई।

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"बिहार का मान और देश का गौरव! 🌟
बेटी आस्था सिंह को सबसे कम उम्र में IAS (AIR-66) बनने पर हार्दिक बधाई। आपकी सफलता हम सभी के लिए गर्व का विषय है। 💐

देश की बेटी को बधाई नहीं दोगे?

जय हिन्द!

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🇮🇳 अदम्य साहस और अद्भुत कला का संगम: सियाचिन के वीरों को नमन! 🇮🇳
सियाचिन ग्लेशियर की हाड़ कंपा देने वाली ठंड और मुश्किल हालात में, जहाँ तापमान शून्य से कई डिग्री नीचे रहता है, वहाँ हमारे भारतीय सेना के जवान न सिर्फ़ देश की सीमाओं की रक्षा कर रहे हैं, बल्कि अपनी कला और संस्कृति को भी जीवंत रखे हुए हैं। ❄️🏔️
देश के लिए उनके बलिदान को देखकर सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।
कमेंट में इन सच्चे नायकों के लिए एक शब्द जरूर लिखें और 'जय हिंद' का उद्घोष करें! 👇
#indianarmy #siachenglacier #realheroes #maharanapratap

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झुक गए नवाब झुक गए मुगल, झुक गया था गगन सारा,
जो कदे ना झुका, कदे ना रूकया ऐसा सूरजमल जाट हमारा।
अजेय योद्धा ,धर्म रक्षक ,महाराजा सूरजमल जाट जी के बलिदान दिवस पर उन्हें सादर नमन। महाराजा सूरजमल जी केवल एक शासक नहीं थे, वे स्वाभिमान, साहस और धर्मरक्षा के जीवंत प्रतीक थे। उन्होंने तलवार से नहीं, नीति, पराक्रम और राष्ट्रधर्म से इतिहास लिखा।

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दिग्विजय सिंह ने 1995 की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी की एक पुरानी फोटो साझा की… और उसी के साथ ऐसा राजनीतिक बवंडर खड़ा हो गया कि मानो कांग्रेस की जड़ें हिल गई हों।

दरअसल, यह तस्वीर उस दौर की है जब केशुभाई पटेल के शपथ-ग्रहण समारोह में नरेंद्र मोदी जी नीचे बैठकर कार्यक्रम का हिस्सा बने थे। दिग्विजय सिंह ने इस फोटो के साथ लिखा — कैसे एक साधारण कार्यकर्ता ज़मीन से उठकर आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंच सकता है, यह सिर्फ संघ और भाजपा में ही संभव है।

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🚀 6G की रेस शुरू!
होलोग्राम कॉल्स और रिमोट सर्जरी अब दूर नहीं — भारत भी तैयार 🇮🇳✨

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