UNESCO ने दिवाली को अमूर्त विश्व धरोहर घोषित कर दिया है। नई जारी हुई Intangible Cultural Heritage सूची में दिवाली को जगह मिलते ही यह त्योहार अब दुनिया की उन सांस्कृतिक परंपराओं में शामिल हो गया है जिन्हें छू तो नहीं सकते, लेकिन अनुभव किया जा सकता है। इस सूची में घाना, जॉर्जिया, कांगो, इथियोपिया और मिस्र की विविध सांस्कृतिक परंपराएँ भी शामिल की गई हैं।
दिल्ली इस समय UNESCO की Inter-Governmental Committee for Intangible Heritage की 20वीं बैठक की मेजबानी कर रहा है, जो 8 से 13 दिसंबर तक चल रही है। इसी अवसर को विशेष बनाते हुए 10 दिसंबर को राजधानी में दिवाली का सांस्कृतिक समारोह आयोजित किया जाएगा ताकि देश की सांस्कृतिक पहचान और इसकी गहरी परंपराओं को दुनिया के सामने प्रभावी ढंग से प्रस्तुत किया जा सके।
दिवाली को वैश्विक धरोहर सूची में शामिल किया जाना इस त्योहार की सांस्कृतिक गहराई और उसके सामाजिक महत्व को दर्शाता है। यह त्योहार प्रकाश, उत्सव, परंपरा और सांस्कृतिक एकता का प्रतीक माना जाता है।
UNESCO की अमूर्त धरोहर सूची में भारत की कई परंपराएँ पहले से ही शामिल हैं, जिनमें दुर्गा पूजा, कुंभ मेला, वैदिक मंत्रोच्चार, रामलीला और छऊ नृत्य जैसी महत्वपूर्ण सांस्कृतिक धरोहरें शामिल हैं।
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