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एक ही देश, दो अलग-अलग साँसें 😶🌫️🍃
दिल्ली का AQI 290+ – साँस लेना जंग बन गया
उत्तराखंड का AQI 40 – साँस लेना सुकून 💚
सोचने वाली बात है…
हम विकास कर रहे हैं
या अपनी ही हवा को मार रहे हैं? 😔
आज तस्वीरें बोल रही हैं,
कल हमारी साँसें बोलेंगी।
अब भी वक्त है!
#दिल्लीaqi #स्वच्छहवा #प्रदूषण #उत्तराखंड #पर्यावरण #हकीकत
बस एक राधा नाम ही सबका मंगल कर सकता है इसलिए राधा नाम लेने में कंजूसी ना करेंरात को देख रहे हो तो इग्नोर मत करना..राधे राधे🙏🙏🔱🔱
Jammu and Kashmir’s armless archer and Paralympics medallist Sheetal Devi edged out quadruple amputee Payal Nag of Odisha to win the gold in a much-anticipated clash of the Khelo India Para Games on Sunday.
In the battle between two teenagers, defending champion Sheetal came from behind to successfully bag her second gold medal of the Games at the Jawaharlal Nehru Stadium.
Pitted against the 17-year-old Payal, Sheetal, 18, triumphed 109-103 in their compound open final match.
Current Issue:
Payal lost all four limbs due to electrocution when she was a child, and she now ****s with prosthetic legs.
सोहन सिंह भकना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महान नेता थे। ग़दर पार्टी के प्रमुख सदस्य के रूप में, उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ़ आवाज़ उठाने के लिए जनता को प्रेरित किया। लाहौर षडयंत्र केस में उन्होंने जेल की कठिन यातनाएं भी सही। आज उनकी पुण्यतिथि पर हम उन्हें सादर नमन।
#amritkaal #mainbharathoon
कर्नाटक के किसानों ने नारियल के खोल को बेकार नहीं समझा। उससे चारकोल बनाकर वाटर फ़िल्टर कंपनियों को बेच रहे हैं। कचरा अब कमाई का साधन बन गया और किसान लाखों कमा रहे हैं।
#fblifestyle
उस दौर में क्षत्रियों की तलवार ⚔️ केवल लोहे का टुकड़ा नहीं होती थी, बल्कि उसे 'भवानी' का रूप माना जाता था। जब वह म्यान से बाहर निकलती थी, तो उसका चमकना ही दुश्मन के मनोबल को तोड़ने के लिए काफी होता था। इतिहास गवाह है कि कई बार दुश्मन सेना की संख्या अधिक होने के बावजूद, राजपूती तलवारों के वेग और कौशल के सामने वे टिक नहीं पाते थे।
दुश्मन के भागने का मुख्य कारण केवल शारीरिक बल नहीं, बल्कि वह 'अदम्य साहस' था, जिसे 'केसरिया' करना कहा जाता है। दुश्मन को यह पता होता था कि एक क्षत्रिय योद्धा रणभूमि में तब तक लड़ेगा जब तक उसके शरीर में रक्त की आखिरी बूंद है।
"प्राण जाए पर वचन न जाए" और "युद्ध में पीठ नहीं दिखाना"— ये वो सिद्धांत थे, जो दुश्मन के मन में खौफ पैदा करते थे कि इनका सामना करना साक्षात मृत्यु को गले लगाने जैसा है।
तलवार की धार का डर इसलिए भी था क्योंकि क्षत्रियों को बचपन से ही शस्त्र-विद्या में निपुण बनाया जाता था। चाहे वह घोड़े की पीठ पर बैठकर युद्ध करना हो या पैदल द्वंद्व, उनकी फुर्ती और तलवार चलाने की तकनीक (जैसे कि एक वार में दो टुकड़े करना) दुश्मन सेना में भगदड़ मचा देती थी।