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त्तर प्रदेश में ग्रेटर नोएडा के डाबरा गांव में मंगलवार की शाम एक ऐसा दृश्य सामने आया जिसने सभी की आंखें नम कर दीं। गांव के शहीद सुरेश सिंह भाटी की बेटी की शादी थी, जिसकी तैयारियों में पूरा परिवार लगा हुआ था। तभी एक बस जिसमें सेना के लगभग 50 जवान सवार थे। गांव में आकर रुकी। यह देखकर हर कोई हैरान रह गया। बाद में ये जवान शादी के पंडाल पहुंचे और बेटी का कन्यादान किया। यह भावुक कर देने वाला दृश्य था, जिसने वहां मौजूद हर व्यक्ति के दिल को छू लिया। इस मौके ने शहादत की महानता और साथियों के अनमोल संबंध को उजागर किया। इस मौके पर गांव में गर्व और भावनाओं की लहर दौड़ गई।

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बांग्लादेश की राजधानी ढाका में एक भीड़भाड़ वाली झुग्गी बस्ती में लगी आग ने 1500 से ज्यादा झुग्गियों को राख में तब्दील कर दिया। रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस घटना में हजारों लोग बेघर हो गए। फायर सर्विस के डायरेक्टर लेफ्टिनेंट कर्नल मोहम्मद ताजुल इस्लाम चौधरी ने कहा कि इस आग में करीब 1500 झुग्गियां जलकर राख हो गईं या बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं, और हजारों लोग अब सड़क पर आ गए हैं। आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक, इस झुग्गी बस्ती में लगभग 60000 परिवार रहते हैं।

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Luxury Residential Projects In Gurgaon | TARC

TARC reimagines modern living with its luxury residential projects in Gurgaon, blending Indian heritage with contemporary sophistication. From ultra-luxury apartments in Gurgaon to elegant residences in Delhi, TARC’s offerings deliver unmatched craftsmanship, spacious layouts, premium materials, and eco-friendly features — giving a lifestyle rooted in comfort, convenience and sustainability. https://www.tarc.in/blog/tarcs....-vision-for-luxury-a

Luxury Living Redefined: Exploring TARC Tripundra by TARC
www.tarc.in

Luxury Living Redefined: Exploring TARC Tripundra by TARC

TARC Tripundra offers luxury living in India with elegant design, premium amenities, and a refined lifestyle for modern, discerning residents.

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उत्तराखंड की पहली महिला बॉडीबिल्डर प्रतिभा थपलियाल ने साउथ कोरिया में हुई वर्ल्ड बॉडी बिल्डिंग चैंपियनशिप 2023 में ओवर 55 Kg कैटेगरी में कांस्य पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया था।

सबसे बड़ी बात: चैंपियनशिप से ठीक पहले 43 साल की प्रतिभा डेंगू से जूझ रही थीं। प्लेटलेट्स सिर्फ 17,000 तक गिर गए थे, हालत बेहद खराब… लेकिन हिम्मत नहीं टूटी।

पति, कोच और फेडरेशन के सपोर्ट से उन्होंने एक बार फिर खुद को तैयार किया और सिर्फ एक महीने की तैयारी में दुनिया के मंच पर चमक उठीं!

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दोस्तोएव्स्की रूस का महान चिंतक, दार्शनिक और लेखक को कभी फाँसी की सज़ा सुनाई गई थी। ठीक छह बजे उसकी जीवन-रेखा समाप्त होनी थी। और छह बजने के पाँच मिनट पहले जार का संदेश आया कि उसे क्षमा कर दिया गया है।

बाद में दोस्तोएव्स्की बार-बार उस क्षण का ज़िक्र अपनी बहुत सी कहानियों में करते है।

वह कहते है जैसे-जैसे घड़ी छह के करीब पहुँच रही थी,
मेरे भीतर न कोई वासना थी,
न कोई इच्छा,
न कोई लालसा।
मन बिलकुल शांत हो गया था…
पूर्ण शून्य।
उसी क्षण मुझे पहली बार समझ आया
कि साधु-संत जिस समाधि की बात करते हैं,
वह क्या होती है।

लेकिन जैसे ही संदेश सुनाया गया कि सज़ा माफ़ हो गई है वह अचानक किसी ऊँचे शिखर से नीचे गिर पड़ा। एक क्षण पहले जो इच्छाएँ मर चुकी थीं, वे सब वापस लौट आईं।

पैर में जूता काट रहा था फिर उसी का एहसास होने लगा दिमाग में यह तक चलने लगा। कि अब नया जूता लेना है सब छोटे-छोटे क्षुद्र विचार। जो अभी कुछ क्षण पहले अस्तित्वहीन हो गए थे, फिर पूरी ताकत के साथ लौट आए।

दोस्तोएव्स्की कहते है “उस शिखर को मैं कभी दुबारा नहीं छू पाया। जो उस दिन, आसन्न मृत्यु के ठीक निकट, एक पल को घटित हो गया वह जीवन की सबसे अद्भुत और सबसे सच्ची अनुभूति थी।”

और हुआ क्या था?
बस इतना कि जब मृत्यु पूरी तरह सुनिश्चित हो जाती है, तो चेतना दुनिया से, इच्छाओं से, हर बंधन से स्वयं को मुक्त कर लेती है।

जीवन यात्रा... 🚶‍♂️

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जीवन में जब कुछ बड़ा मिल जाए

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