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रवि तेजा, जिन्हें तेलुगु सिनेमा में 'मास महाराजा' के नाम से जाना जाता है, भारतीय फिल्म जगत के सबसे मेहनती और प्रेरणादायक अभिनेताओं में से एक हैं। उनकी कहानी पूरी तरह से संघर्ष, मेहनत और अदम्य जज्बे की मिसाल है। रवि तेजा का असली नाम भूपति राजा है और उनका जन्म आंध्र प्रदेश के जग्गमपेटा में हुआ था। बचपन से ही फिल्मों के प्रति उनका गहरा आकर्षण था, लेकिन उनका फिल्मी सफर आसान नहीं रहा।
रवि तेजा का फिल्मी करियर छोटे-छोटे सहायक किरदारों से शुरू हुआ। 1990 के दशक में उन्होंने फिल्मों में बैकग्राउंड आर्टिस्ट और सहायक भूमिकाओं में काम किया, लेकिन उन्हें लीड एक्टर बनने का सपना हमेशा सताता रहा। उन्होंने बॉलीवुड में भी कुछ फिल्मों में छोटे रोल किए, लेकिन असली पहचान उन्हें तेलुगु सिनेमा में मिली।
उनका बड़ा ब्रेक 1999 में आया जब निर्देशक पुरी जगन्नाथ ने उन्हें *इद्दारू मित्रीलु* में मौका दिया। इसके बाद 2001 में आई फिल्म *इट्लू श्रीनिवास* ने उन्हें एक्शन और कॉमेडी में एक नई पहचान दी। रवि तेजा की सबसे बड़ी खासियत उनकी एनर्जी और स्क्रीन प्रेजेंस है। चाहे एक्शन हो या कॉमेडी, वह हर किरदार में जान डाल देते हैं। 2002 में आई *खड्गम* और फिर *विक्रमारकुडु* (2006) जैसी फिल्मों ने उन्हें सुपरस्टार बना दिया।
रवि तेजा का स्टाइल और उनके संवाद अदायगी का तरीका उन्हें आम दर्शकों के दिलों में बसाने में सफल रहा है। उनकी फिल्मों में हमेशा एक खास 'मास अपील' होती है, जो खासकर युवाओं को बेहद पसंद आती है। उन्होंने *बालनम*, *डॉन सीनू*, और *क्रैक* जैसी फिल्मों से खुद को इंडस्ट्री का "मास महाराजा" साबित किया।
रवि तेजा की कहानी बताती है कि अगर हौसला और मेहनत हो, तो कोई भी सपना बड़ा नहीं होता। उन्होंने छोटे रोल से लेकर तेलुगु सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में अपना नाम दर्ज किया है, और उनकी यात्रा आने वाले अभिनेताओं के लिए प्रेरणास्रोत है।