Discover postsExplore captivating content and diverse perspectives on our Discover page. Uncover fresh ideas and engage in meaningful conversations
घुसपैठ पर अब सख़्त रुख़: ज़ीरो टॉलरेंस का साफ़ संदेश
भारत–बांग्लादेश सीमा के पास हिराछड़ा BSF कैंप (कैलाशहर क्षेत्र) में घुसपैठ की कोशिश कर रहे एक बांग्लादेशी घुसपैठिए को BSF जवानों ने ढेर कर दिया। यह सिर्फ़ एक सुरक्षा कार्रवाई नहीं, बल्कि एक स्पष्ट और कड़ा संदेश है—भारत की सीमाएँ कोई खुला रास्ता नहीं हैं कि बिना अनुमति कोई भी प्रवेश कर सके।
सीमा सुरक्षा बल केवल पहरा देने वाली इकाई नहीं, बल्कि देश की पहली रक्षा पंक्ति है। BSF के जवान 24×7 सतर्क रहकर घुसपैठ, तस्करी, आतंकवाद और अन्य अवैध गतिविधियों के खिलाफ़ मोर्चा संभालते हैं, ताकि देश के नागरिक सुरक्षित रहें। उनकी यह तत्परता यह दिखाती है कि सीमा पर किसी भी तरह की साज़िश को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
भारत का संदेश बिल्कुल साफ़ है—अवैध घुसपैठ अब स्वीकार्य नहीं है। बिना वैध दस्तावेज़ और कानूनी प्रक्रिया के सीमा पार करने की कोशिश करने वालों के खिलाफ़ सख़्त कार्रवाई होगी। देश की ज़मीन, संसाधन और सुरक्षा पर पहला अधिकार भारतीय नागरिकों का है।
BSF के जवानों को सलाम—यही दृढ़ता भारत की सीमाओं को सुरक्षित रखेगी और देश के भविष्य को मजबूत बनाएगी।
#bsf #bordersecurity #zerotolerance #indiafirst #nationalsecurity
CM मान ने चंडीगढ़ में स्वरोजगार युवाओं को बांटे मिनी बस परमिट, देखें तस्वीरें
#cmbhagwantmann #punjab #chandigarh #minibuspermit
CM मान ने चंडीगढ़ में स्वरोजगार युवाओं को बांटे मिनी बस परमिट, देखें तस्वीरें
#cmbhagwantmann #punjab #chandigarh #minibuspermit
CM मान ने चंडीगढ़ में स्वरोजगार युवाओं को बांटे मिनी बस परमिट, देखें तस्वीरें
#cmbhagwantmann #punjab #chandigarh #minibuspermit
CM मान ने चंडीगढ़ में स्वरोजगार युवाओं को बांटे मिनी बस परमिट, देखें तस्वीरें
#cmbhagwantmann #punjab #chandigarh #minibuspermit



केरल के कासरगोड ज़िले के एक छोटे से गाँव कन्नारिया की यह कहानी हमें याद दिलाती है कि परिवार खून से नहीं, दिल से बनते हैं।
करीब 12 साल पहले, एक खेत मज़दूर की मौत के बाद उसकी 10 साल की बेटी राजेश्वरी पूरी तरह अकेली रह गई। माँ पहले ही गुजर चुकी थीं। रिश्तेदारों के नाम पर कोई सहारा नहीं था। उसी खेत में काम करने वाले अब्दुल्ला और खदीजा ने तब कोई सवाल नहीं किया—न धर्म का, न समाज का। उन्होंने राजेश्वरी को अपनी बेटी बना लिया।
राजेश्वरी जन्म से हिंदू थी, और अब्दुल्ला-खदीजा ने उसे उसी प्यार, उसी संस्कार और उसी सम्मान के साथ पाला, जिस तरह हर माता-पिता अपनी संतान को पालते हैं। गाँव में वह हमेशा “अब्दुल्ला की बेटी” के नाम से जानी गई। उनके तीन बच्चों—शमीम, नजीब और शरीफ—के साथ वह एक परिवार बनकर बड़ी हुई। उसकी पढ़ाई, परवरिश और भविष्य—सब कुछ उसी घर की ज़िम्मेदारी बना।
जब राजेश्वरी 22 साल की हुई, तो उसके माता-पिता ने उसके लिए उसी धर्म में जीवनसाथी ढूँढा, जिससे वह जुड़ी थी। और फिर, पूरे सम्मान और खुशी के साथ, उन्होंने अपनी बेटी की शादी एक स्थानीय मंदिर में, सभी हिंदू रीति-रिवाज़ों के साथ करवाई।
उस दिन मंदिर में आशीर्वाद देते अब्दुल्ला और खदीजा के चेहरे पर जो सुकून था, वह किसी भी शब्द से बड़ा था। क्योंकि उन्होंने अपना फ़र्ज़ नहीं निभाया था—उन्होंने प्यार निभाया था। यह कहानी किसी धर्म की नहीं, यह कहानी इंसानियत की है।
#pyarikhabar #heartwarming #kasaragodnews #keralapride #abdullahandkhadija #humanityfirst #inspiringstory #janbalnews
राणा बालाचौरी भभौर के राजपूत परिवार से थें।
उनकी देखरेख में सिखों की सबसे पवित्र रोजाना की प्रार्थना - चौपाई साहिब - गुरु गोबिंद सिंह ने लिखी थी।
राणा पंजाब के सबसे जाने-माने नए ज़माने के राजपूतों में एक थे और राज्य में एक उभरती हई हस्ती थे।
पहले सुखदेव जी की भी हत्या इसी प्रकार हुई थी।
अब राणा बलचौरिया भाई की भी हत्या।
समाज चुप क्यों है इस मुद्दे पर?
देश का राजपूत न जाने क्यों Rana Balachauria की हत्या के बाद चुप है।
समाज के जो मजबूत और सक्षम लोग है उनकी हत्या पर भी समाज चुप है सभी संगठन चुप है।
क्या कारण है इसका ?
RIP 😢😢 #ranabalachauria